राजीव कुमार झा, कोलकाता : Nandigram Election Result बंगाल विधानसभा चुनाव में सबसे हाईप्रोफाइल नंदीग्राम सीट पर भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी 1957 वोटों से यहां जीत गए हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने अब तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की है। गौरतलब है कि सुबह में वोटों की गिनती के बाद से ही इस सीट पर कांटे का मुकाबला चल रहा था। कभी ममता तो कभी सुवेंदु यहां आगे चल रहे थे। इससे पहले 16वें राउंड में ममता नंदीग्राम में छह वोटों से पिछड़ गई थी। इसके बाद 17वें व अंतिम राउंड में खबर आई कि ममता ने सुवेंदु अधिकारी को 1200 वोटों से हरा दिया है। लेकिन, इस बीच खबर है कि अंतत: सुवेंदु ने इस सीट को जीत लिया है। दरअसल, नंदीग्राम सीट के नतीजे पर इस बार पूरे देश-दुनिया की नजर थी।
ममता ने कोलकाता की अपनी परंपरागत भवानीपुर सीट छोड़ इस बार नंदीग्राम से लडऩे का फैसला कर बड़ा दांव खेला था। ममता के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय बन गया था। यहां उनका मुकाबला कभी उनके सहयोगी रहे और विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले कद्दावर नेता सुवेंदु अधिकारी के ही साथ था। नंदीग्राम सुवेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है। इस सीट के नतीजे पर पूरे देश की नजर थी, क्योंकि बंगाल चुनाव की यह सबसे हाईप्रोफाइल सीट बन गई थी।
भाजपा ने ममता को नंदीग्राम में हराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक ने यहां रैली व रोड शो किया था। नंदीग्राम सहित पूर्व मेदिनीपुर जिले में अधिकारी परिवार का खासा दबदबा माना जाता है। सुवेंदु के पिता शिशिर अधिकारी और भाई दिव्येंदु अधिकारी भी इस जिले की कांथी एवं तमलुक सीट से सांसद हैं। लेकिन, सुवेंदु को हराकर ममता ने यहां अपनी बादशाहत साबित की है। बताते चलें कि 2007 में ममता ने बहुचर्चित नंदीग्राम आंदोलन का नेतृत्व किया था। माना जाता है कि इसी आंदोलन के चलते ममता ने बंगाल में साल 2011 में 34 साल लंबे वाममोर्चा शासन का अंत कर दिया था।
माना जा रहा था कि यहां बड़ी संख्या में हिंदुओं का वोट सुवेंदु के पक्ष में गया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तक ने यहां सुवेंदु अधिकारी के लिए रैली व रोड शो किया था। सभी ने यहां जय श्रीराम का नारा जमकर बुलंद किया था। साथ ही सुवेंदु ने ममता बनर्जी को बेगम की संज्ञा देने से लेकर पाकिस्तान तक का मुद्दा उछाल कर यहां हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की पूरी कोशिश की।
भाजपा ने यहां ममता बनर्जी को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। हालांकि ममता पूरी तरह आश्वस्त हैं कि नंदीग्राम में उनकी की जीत होगी।बता दें कि नंदीग्राम में दूसरे चरण में एक अप्रैल को मतदान हुआ था और बंपर वोटिंग हुए थे। यहां 88 फीसद से अधिक मतदान हुआ था।
नंदीग्राम में लगभग 2,57,000 मतदाता हैं, जिनमें से करीब 2,27,000 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इन मतदाताओं में से 54,000 मुस्लिम मतदाता हैं और बाकी 1,73,000 हिंदू मतदाता हैं। करीब 83 फीसद मुस्लिम मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है, जबकि 92 फीसद से अधिक हिंदू मतदाताओं ने। चुनाव विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने बताया कि नंदीग्राम जैसी जगह में, जहां मतदाताओं का ध्रुवीकरण हो गया है, यह निश्चित रूप से एक निर्णायक कारक बन जाएगा। एक तथ्यात्मक विश्लेषण भी इस सिद्धांत का समर्थन करेगा।
2021 में नंदीग्राम में रिकार्डतोड़ हुआ था मतदान
हाई वोल्टेज नंदीग्राम सीट पर नजर डालें तो वहां वोट प्रतिशत पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में बढ़ा है। 2016 में नंदीग्राम सीट पर 87.48 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि इस बार 88.01 प्रतिशत मतदान हुआ है। केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने भी माना कि बंगाल के नंदीग्राम में हाल के वर्षो में सबसे अधिक मतदान हुआ है।
एक चौथाई से अधिक बूथों में 90 फीसद से अधिक मतदान हुआ है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक नंदीग्राम में 88.01 फीसद मतदान हुआ है, जो राज्य में पिछले तीन चुनावों की तुलना में मामूली रूप से ज्यादा है। वर्ष 2014 और 2019 में लोकसभा चुनावों में नंदीग्राम में क्रमश: 85.7 और 85 फीसद मतदान हुआ था और पिछले विधानसभा चुनाव में इसका प्रतिशत 87.48 था। केवल 2011 के विधानसभा चुनावों में, जब ममता बनर्जी भूमि सुधार आंदोलन के कारण सत्ता में आई थीं, नंदीग्राम ने 87.93 फीसद मतदान हुआ था।
रिकार्डतोड़ मतदान के अपने अपने तरीके से मायने
चुनाव विश्लेषक सुबल पाल का कहना है कि किसी सीट विशेष पर वोट प्रतिशत बढ़ने को आमतौर पर सत्ता पक्ष के खिलाफ माना जाता है लेकिन इसका कोई पुख्ता आधार नहीं है। ऐसा भी देखा गया है कि सत्ताधारी दल के उम्मीदवार वोट प्रतिशत बढ़ने पर पिछली बार की तुलना में ज्यादा वोट से जीते हैं। कुछ चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि नंदीग्राम में बढ़ा वोट प्रतिशत इस बात का संकेत देता है कि मतदाताओं ने पहले ही किसी एक को जिताने का मन बना लिया था यानी जिसकी भी जीत होगी, वह भारी वोट के अंतर से जीतेगा।
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