Hyderabad Election Result : हैदराबाद नगर निगम चुनाव में बीजेपी की बड़ी छलांग, जानें क्या है 5 से 50 तक पहुंचने के मायने – नवभारत टाइम्स

बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को नैतिक जीत बताते हुए कहा कि भगवा पार्टी तेलंगाना में टीआरएस की एकमात्र विकल्प के रूप में उभरी है। उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे आश्चर्यजनक बताया है। आइए जानते हैं कि क्या वाकई एक नगर निगम के चुनाव परिणाम को दुनिया की सबसे बड़े राजनीतिक दल का दावा करने वाली बीजेपी के लिए बहुत बड़ी जीत कहना सही है? आखिर बीजेपी इसे इतनी बड़ी जीत के रूप में क्यों देख रही है? क्या इसका राज्य और देश की राजनीति पर भी असर पड़ने जा रहा है…

​करीब 10 गुना बढ़ा बीजेपी का प्रदर्शन



150 सीटों वाले हैदराबाद निकाय में बीजेपी करीब 50 सीटों पर कब्जा जमाने जा रही है। यह वही बीजेपी है जिसके हिस्से इस निकाय में 2016 के पिछले चुनाव में सिर्फ चार सीटें आ सकी थीं। यानी, सिर्फ चार साल में बीजेपी ने अपना प्रदर्शन 10 गुना बढ़ा लिया। वह सत्तारूढ़ दल तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है जबकि टीआरएस पिछली बार के 99 सीटों से करीब 55 से 60 सीटों तक सिमटती दिख रही है। उधर, असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहाद-उल-मुसलमीन (AIMIM) की स्थिति में पिछले बार के मुकाबले कोई खास बदलाव नहीं आई है। उसके पास पिछली बार 44 सीटें थीं और इस बार भी पार्टी इसी के आसपास सिमटती दिख रही है।

​बीजेपी ने लपक की कांग्रेस की जगह !



2009 के हैदराबाद नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को 52, टीडीपी को 45, एआईएमआईएम को 43 जबकि बीजेपी को 5 सीटें मिली थीं। कांग्रेस पार्टी 52 से घटकर 2016 में 2 पर आ गई और इस बार भी इसी दो सीटों पर सिमटती दिख रही है। ध्यान रहे कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम में कुल वार्ड 150 हैं। सत्तारूढ़ टीआरएस ने सभी 150 वार्ड पर, बीजेपी ने 149 वार्ड, कांग्रेस ने 146 वार्ड, टीडीपी ने 106 वार्ड, एमआईएम ने 51 वार्ड, सीपीआई ने 17 वार्ड, सीपीएम ने 12 वार्ड और अन्य दलों ने 76 वार्ड पर अपने प्रत्याशी उतारे।

कांग्रेस पार्टी का इसी तरह से पूरे तेलंगाना में सफाया हो रहा है। 2018 में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव में टीआरएस ने राज्य में 88 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटों से संतोष करना पड़ा था। AIMIM को 7, अन्य को 2 और बीजेपी को दो सीटें मिली थी। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को राज्य में 7.07 फीसदी वोट मिले थे जबकि टीआरएस को 47 प्रतिशत से ज्यादा, कांग्रेस को 32 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। बीजेपी को तेलंगाना में कांग्रेस का विकल्प बनकर उभरने की कोशिश में है और इस दिशा में उसे पहली बड़ी सफलता हासिल हो चुकी है।

यही वजह है कि बीजेपी महासचिव ने इस जीत पर कहा, ‘बीजेपी राज्य में सत्तारूढ़ टीआरएस की एकमात्र विकल्प और उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर उभरी है।’ उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रदर्शन से यह भी प्रदर्शित होता है कि जनता ने वंशवाद की राजनीति के खिलाफ और टीआरएस के भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना जनादेश दिया है। भाजपा ने अपने एक मुख्य चुनाव प्रबंधक, भूपेंद्र, को नियुक्त कर इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। भाजपा की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी चुनाव प्रचार किया था।

निगम के रास्ते प्रदेश और फिर देश पर नजर



हैदाराबाद इलाके में तेलंगाना विधानसभा की 24 सीटें आती हैं जबकि 5 लोकसभा सीट है। बीजेपी को यहां दक्षिण के किले में बड़ी उम्मीद जीत रही है। 82 लाख की आबादी वाला यह क्षेत्र तेलंगाना में बीजेपी की भविष्य की रणनीति का हिस्सा है। फिलहाल तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों में बीजेपी के पास महज 2 सीट है जबकि 17 लोकसभा सीटों में से उसके 4 सांसद हैं। 2016 में GHMC चुनाव में टीआरएस को 43.85 फीसदी वोट मिले थे। AIMIM को 15.85 प्रतिशत वोट मिले थे। टीडीपी को इस चुनाव में 13.11 पर्सेंट वोट मिले थे। बीजेपी को GHMC चुनाव में 10.34 प्रतिशत वोट मिले थे।

​विधानसभा चुनाव के ‘सेमीफाइनल’ में लगा छक्का



बीजेपी इस चुनाव को तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव से सेमीफाइनल के तौर पर भी देख रही है। हालांकि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों में अभी काफी समय है, लेकिन उससे पहले बीजेपी अपनी स्थिति मजबूत करने के इरादे के साथ जुट गई है। ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है। इस नगर निगम में हैदराबाद, रंगारेड्डी, मेडचल-मल्काजगिरि और संगारेड्डी समेत 4 जिले आते हैं। इस नगर निगम के अंदर 24 विधानसभा सीटें और 5 लोकसभा सीटें आती हैं।

​दक्षिण भारत के दुर्ग पर पहला प्रहार सफल



दक्षिण भारत अभी भी बीजेपी के लिए मुश्किल चुनौती सरीखा बना हुआ है। एक कर्नाटक को छोड़ दें तो आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल में बीजेपी का प्रभाव अधिक नहीं है। अपने दम पर बीजेपी खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी है। चुनावों में अन्य दलों के साथ गठबंधन करके ही बीजेपी कुछ सीटों पर जीत दर्ज कर पाती है। इसलिए GHMC के चुनाव में परचम लहराकर दक्षिण भारत के अभियान को मजबूत करना चाहती है।

​बच गई प्रचार करने वाले बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा



जीएचएमसी चुनाव सिर्फ कहने के लिए नगर निगम का चुनाव था, बीजेपी ने जिस अंदाज में यहां अपने स्टार प्रचारकों की फौज उतार दी उससे साफ है कि पार्टी ने इसके लिए लंबी तैयारी की थी। देश के किसी भी नगर निगम चुनाव को बीजेपी ने पहली बार इतनी आक्रामकता से लड़ा। चुनाव प्रचार के लिए पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को छोड़ अपनी पूरी फौज उतार दी। चुनाव प्रचार के लिए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृह मंत्री अमित शाह हैदराबाद पहुंचे और रोडशो किया। इसके अलावा पार्टी ने स्मृति इरानी, प्रकाश जावड़ेकर, तेजस्वी सूर्या, देवेंद्र फडनवीस जैसे नेताओं को भी चुनाव प्रचार में उतारा था।

4 से 50 की ओर जाने की खुशी

बीजपी महासचिव का दावा

खुशी में झूम उठे बीजेपी कार्यकर्ता

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