कवच पर आरोप की चोट: कोवीशील्ड वैक्सीन लेने वाले ने कहा- दिमागी समस्याएं आ रहीं; सीरम इंस्टीट्यूट बोला- वैक्… – दैनिक भास्कर

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एक घंटा पहले

कोरोना की वैक्सीन कोवीशील्ड (Covidshield Vaccine) के गंभीर साइड इफेक्ट होने का आरोप लगा है। चेन्नई में ट्रायल के दौरान वैक्सीन लगवाने वाले 40 साल के वॉलंटियर ने यह आरोप लगाया है। वॉलंटियर ने कहा कि वैक्सीन का डोज लेने के बाद से उसे न्यूरोलॉजिकल समस्याएं (दिमाग से जुड़ी परेशानियां) शुरू हो गई हैं।

वॉलंटियर ने इसके लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) से 5 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा है। हालांकि, SII ने वॉलंटियर के सभी आरोपों को खारिज कर दिया। कहा कि उनकी समस्याओं के लिए कहीं से भी वैक्सीन जिम्मेदार नहीं है। प्रेस नोट जारी कर 100 करोड़ रुपए के नुकसान की भरपाई के लिए क्लेम करने को कहा है।

SII, ICMR समेत कई संस्थानों को लीगल नोटिस भेजा

वॉलंटियर ने सीरम इंस्टीट्यूट के साथ इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) , ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI), ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ट्रायल के चीफ इन्वेस्टीगेटर एंड्र पोलार्ड, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के द जेनर इंस्टीट्यूट ऑफ लेबोरेटरीज और रामचंद्र हायर एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर के वाइस चांसलर को कानूनी नोटिस भेजा है। वॉलंटियर के वकील एनजीआर प्रसाद ने बताया कि सभी को 21 नवंबर को नोटिस भेजा गया था।

वॉलंटियर ने ट्रायल रोकने की मांग की

वॉलंटियर ने अपने लीगल नोटिस में वैक्सीन का ट्रायल तुरंत रोकने की मांग भी की है। उधर, डिस्चार्ज रिपोर्ट के मुताबिक, वॉलंटियर ने खुद डिस्चार्ज करने की रिक्वेस्ट की थी। वह उस वक्त एक्यूट एन्सेफैलोपैथी से रिकवर कर रहा था। उसमें विटामिन B12 और विटामिन D की भी कमी थी। इसके अलावा शायद वह कनेक्टिव टिश्यू डिसऑर्डर से भी जूझ रहा था।

ये भी आरोप लगाए

  • वैक्सीन बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। तुरंत इसके सारे अप्रूवल्स कैंसिल कर देने चाहिए। उत्पादन और वितरण पर भी रोक लगना चाहिए।
  • वैक्सीन लेने के बाद वह ट्रामा में चला गया था।
  • वैक्सीन के एडवर्स इफेक्टिव को इससे जुड़े लोग छिपा रहे हैं।
  • ECG टेस्ट से पता चला है कि वैक्सीन लेने के बाद दिमाग धीरे-धीरे प्रभावित होता है। ये काम करना बंद कर देता है।
  • साइकैट्रिस्ट ने रिपोर्ट का इवैल्युएशन करने के बाद बताया कि इससे बोलने और देखने की क्षमता पर भी असर पड़ा है। इसने पूरे कागनेटिव फंक्शन को प्रभावित किया है।
  • वैक्सीन ने न्यूरोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल दोनों ही तरह से प्रभावित किया है। इसने मुझे पूरी तरह से तोड़कर रख दिया है।

SII ने कहा, आपके साथ सहानुभूति, लेकिन वैक्सीन का इसमें दोष नहीं

SII ने वॉलंटियर के आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। बयान जारी कर इंस्टीट्यूट ने कहा कि ये गलत खबरें दुर्भावना के तहत फैलाई जा रहीं हैं। इससे कंपनी को नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई के लिए हम 100 करोड़ रुपए का डैमेज क्लेम करेंगे।

आगे इंस्टीट्यूट ने कहा ”हम उनके (वॉलंटियर) स्वास्थ्य समस्याओं पर उनके साथ सहानुभूति रखते हैं, लेकिन इन समस्याओं का वैक्सीन के ट्रायल से कोई मतलब नहीं है। उनके मेडिकल कंडिशन के लिए कहीं से भी वैक्सीन जिम्मेदार नहीं है। वह अपनी समस्याओं के लिए झूठा आरोप वैक्सीन पर लगा रहे हैं।

वैक्सीन 70% असरदार होने का दावा

कोवीशील्ड के आखिरी फेज के ट्रायल्स दो तरह से किए गए हैं। पहले में दावा किया गया कि यह 62% असरदार दिखी, जबकि दूसरे में 90% से ज्यादा। औसत देखें तो वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 70% के आसपास रही है। SII के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव ने हाल ही में दावा किया था कि वैक्सीन का प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। जनवरी से हर महीने 5-6 करोड़ वैक्सीन बनने लगेंगी। सरकार से परमिशन मिलने पर इसकी सप्लाई शुरू कर दी जाएगी।

एक दिन पहले ही मोदी SII गए थे

पुणे-बेस्ड सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) कोवीशील्ड बना रहा है। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। यह वैक्सीन इस समय भारत में आखिरी स्टेज के ट्रायल में है। शनिवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीरम इंस्टीट्यूट जाकर वैक्सीन तैयार होने का जायजा लिया था।

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