DNA ANALYSIS: लॉकडाउन के बीच दिल्ली में सबसे बड़ी लापरवाही का DNA टेस्ट – Zee News Hindi

आज लॉकडाउन का छठा दिन है और हम उम्मीद करते हैं कि आप सकुशल होंगे और स्वस्थ होंगे. कोरोना संक्रमण के मामले अचानक स्पीड पकड़ते हैं और फिर आउट ऑफ कंट्रोल हो जाते हैं. भारत में मामले ज़रूर बढ़े लेकिन संक्रमण की स्पीड उतनी नहीं बढ़ी, जितनी दूसरे देशों में बढ़ी. इसे हम आपको एक ग्राफ से समझाते हैं.

भारत में संक्रमण के मामले 147 से 1000 तक पहुंचने में 12 दिन लगे. ब्रिटेन में 12 दिन में मामले 164 से बढ़कर करीब 2600 हो गए थे. फ्रांस में 12 दिन में मामले 191 से बढ़कर करीब 4500 हो गए थे. इटली में 12 दिन में मामले 155 से बढ़कर करीब 4600 हो गए थे. दक्षिण कोरिया में 111 से बढ़कर करीब 5100 मामले हो गए थे. अमेरिका में 159 से बढ़कर 6300 मामले हो गए थे. स्पेन में 12 दिन में मामले 165 से बढ़कर करीब 8 हज़ार हो गए थे.

ये विकसित देशों का हाल है, जहां संसाधन बहुत हैं, पैसा बहुत है, इसके बावजूद वो संक्रमण की स्पीड को रोक नहीं पाए. लेकिन भारत अपने संयम और संकल्प से कोरोना संक्रमण के सामने स्पीड ब्रेकर की तरह आ गया. बहुत लोग भारत में कम टेस्ट होने पर सवाल उठाते हैं तो उसके बारे में भी हम आपको बता देते हैं. 

भारत में अब तक करीब 38 हज़ार 400 टेस्ट हुए हैं. हर एक हज़ार टेस्ट पर भारत में करीब 27 पॉजिटिव केस मिले हैं. जबकि ब्रिटेन में हर एक हज़ार टेस्ट में 141 पॉजिटिव केस मिले. अमेरिका में ये आंकड़ा 148, जर्मनी में 76 और इटली में 215 है. यानी अभी हमारे यहां टेस्ट करने पर औसतन कम पॉजिटिव केस मिल रहे हैं. इसीलिए हम ये कह सकते हैं कि अभी हम संक्रमण की तीसरी स्टेज में नहीं हैं.

तीसरी स्टेज में संक्रमण उन व्यक्तियों में होने लगता है, जो ना तो कभी विदेश गए, ना विदेश गए व्यक्ति के संपर्क में आए. इस स्टेज में सोर्स का पता ही नहीं चलता कि किससे किसको संक्रमण फैल गया. इस स्टेज में संक्रमण कम्युनिटी लेवल पर होने लगता है. वायरस संक्रमण की चौथी स्टेज भी होती है, जिसमें महामारी किसी के कंट्रोल में नहीं आती. इस स्टेज में ये नहीं कहा जाता सकता कि महामारी कब और कैसे खत्म होगी. दुनिया का हाल ये है कि 24 घंटे में 1 लाख से ज़्यादा नए मामले आ गए हैं. 

5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अमेरिका में 39 हज़ार नए मामले आए हैं, 845 लोगों की जान गई. इटली में करीब 5 हज़ार नए मामले आए और करीब साढ़े 7 सौ लोगों की जान गई. स्पेन में करीब 13 हज़ार नए मामले आए और कल से आज तक करीब 1600 लोगों की जान जा चुकी है. फ्रांस में करीब 3600 नए मामले आए और 300 लोगों की मौत हुई है. दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने नहीं दिया है. भारत में अब तक करीब 1300 लोग संक्रमित पाए गए हैं. करीब 32 लोगों की जान गई है.

इस वायरस का संक्रमण कितनी तेज़ी से फैलता है. ये आप इन आंकड़ों से समझ गए होंगे लेकिन बावजूद इसके हमारे देश में कई लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. ताज़ा मामला देश की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके का है. जहां कुछ दिनों पहले पाबंदियों के बावजूद एक बड़ा धार्मिक कार्यक्रम चल रहा था. इस कार्यक्रम में करीब 1400 लोग शामिल थे. कल रात इनमें से 34 लोगों की तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इनमें से एक बुजुर्ग की मौत हो गई .

ये कार्यक्रम सुन्नी इस्लाम से संबंधित संस्था तबलीगी जमात का था जो सालभर चलता है. इस कार्यकम्र में हिस्सा लेने के लिए 1400 लोग निज़ामुद्दीन में तबलीगी जमात के सेंटर पर आए थे. इनमें 100 विदेशियों के अलावा, देश के अलग अलग राज्यों से आए लोग भी शामिल थे. अब इस मामले की जांच विश्व स्वास्थ्य संगठन, दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य विभाग और दिल्ली पुलिस मिलकर कर रही है. इस घटना के बाद अब तक 300 लोगों को यहां से निकाल कर अलग-अलग जगहों पर रखा गया है .

पुलिस ने पिछले पांच दिनों में दो बार दिया था नोटिस
हालांकि, अभी इनमें से किसी में भी कोरोना वायरस की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है क्योंकि पाबंदी के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में लोगों का इकट्ठा होना बताता है कि अगर इनमें से एक भी कोरोना वायरस से संक्रमित हुआ तो ये हज़ारों लोगों की जान के लिए खतरा साबित हो सकता है. बताया जा रहा है कि पुलिस ने इन्हें पिछले पांच दिनों में दो बार नोटिस भी दिया था लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ. इसलिए सबसे पहले आप ये सुनिए कि इस मामले पर दिल्ली पुलिस का क्या कहना है .

अब ये पता लगाया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में शामिल विदेशी जनवरी महीने से पहले ही भारत आ गए थे या उसके बाद भारत पहुंचे थे .हालांकि, इस संस्था का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से कार्यक्रम में आए लोग वापस नहीं लौट सके और यहीं फंस गए. तबलीगी जमात सुन्नी इस्लाम को मानने वालों का एक संगठन है जिसके तहत इस्लाम का प्रचार प्रसार किया जाता है और धर्म की शिक्षा दी जाती है.

कुछ दिनों पहले फिलीस्तीन के गाजा में कोरोना वायरस के दो मामले सामने आए थे और पता लगा कि ये दोनों लोग पाकिस्तान में तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर लौटे थे. इसी महीने पाकिस्तान के लाहौर में तबलीगी जमात के एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया था . जिसमें 80 देशों से आए इस्लामिक धर्म गुरुओं ने हिस्सा लिया था और इसमें लाखों लोग शामिल हुए थे. इसी संगठन से जुड़े इंडोनेशिया से आए कुछ धर्म गुरुओं को भी पिछले दिनों तमिलनाडु के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इनमें से कुछ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है. 

ये घटना दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और कर्फ्यू और लॉकडाउन को लागू करने वाले प्रशासन पर बहुत बड़ा सवाल उठाती है और हमारे देश के लोग इस लॉकडाउन को लेकर कितने गंभीर है उस पर भी सवाल उठाती है. यानी हमारे देश में वायरस से बचना तो आसान है लेकिन वायरस फैलाने वालों से बचना आसान नहीं है .

यहां आपको इस खबर पर अपडेट भी दे देते हैं कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि वो तबलीगी जमात के आयोजक पर FIR दर्ज करे. कुल मिलाकर ये घटना दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और कर्फ्यू और लॉकडाउन को लागू करने वाले प्रशासन पर बहुत बड़ा सवाल उठाती है और हमारे देश के लोग इस लॉकडाउन को लेकर कितने गंभीर है उस पर भी सवाल उठाती है. यानी हमारे देश में वायरस से बचना तो आसान है लेकिन वायरस फैलाने वालों से बचना आसान नहीं है. 

दुनिया के बड़े देश भुगत रहे गलतियों का खामियाजा
ऐसी ही गलतियां संक्रमण के शुरुआती हफ्तों में दुनिया के बड़े बड़े देशों में दोहराई गई थी जिसका नतीजा आप सबके सामने हैं. अगर हम चाहते हैं कि हमारी हालत इटली, स्पेन और अमेरिका जैसे देशों की तरह ना हो. अगर हमें इसके संक्रमण को तीसरी स्टेज में पहुंचने से रोकना है तो ये काम अकेले सरकार या सिस्टम का नहीं है. ये हम सब की लड़ाई है. और ये लड़ाई हमें उसी भाव से लड़नी होगी जिस भाव से हमने आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी. ये वायरस से आज़ादी की लड़ाई है. लेकिन यहां एक बड़ा सवाल है. जिस पर आप सभी को विचार करना होगा कि हम वायरस से तो लड़ सकते हैं, वायरस को भगा सकते हैं, लेकिन उन लोगों का क्या करें, जो खुद वायरस की तरफ भाग रहे हैं. 

आपने पिछले कुछ दिनों में ऐसी तस्वीरें बहुत देखी होंगी. जिसमें हज़ारों लोग दिल्ली से पलायन कर रहे थे. ये तस्वीरें हर जगह वायरल हो गई थीं. इन तस्वीरों पर हमारे यहां कुछ लोग सरकार को कोस रहे थे. पुलिस को कोस रहे थे कि सरकार पहले से तैयार क्यों नहीं थी. लॉकडाउन से पहले इसके बारे में क्यों नहीं सोचा कि लोग पलायन करने लगेंगे. लेकिन सरकार और सिस्टम को कोसना बहुत आसान है और ये समझना मुश्किल है कि ऐसी स्थितियों के लिए कोई भी देश तैयार नहीं है. हर देश की अपनी अलग चुनौतियां हैं और उन चुनौतियों से वो देश लड़ रहा है.

ये इटली की तस्वीर है. 9 मार्च से पूरा देश पूरी तरह से लॉकडाउनमें है. लोग पुलिसकर्मियों से लड़ रहे हैं कि उन्हें खाने को नहीं मिल रहा है. उनके पैसे खत्म हो गए हैं. पुलिसकर्मी उनके सामने हाथ जोड़ रहे हैं. इटली में तो अब लूट और दंगों के हालात हैं. सिसिली (Sicily) शहर में सुपरमार्केट से खाने-पीने का सामान लूटने की घटनाएं हुई, उसके पास सुपरमार्केट की सुरक्षा के लिए पुलिस लगाई गई.

इटली में जब लॉकडाउन का ऐलान हुआ था, तब कुछ दिनों बाद ही जेलों में दंगे शुरू हो गए थे. इटली के मिलान शहर की एक जेल के कैदी, जेल की छत पर चढ़ कर विरोध कर रहे थे, क्योंकि कैदियों से उनके परिवारों की मुलाकात पर रोक लगा दी गई थी. इन दंगों में छह कैदी मारे गए थे. बहुत मुश्किल से पुलिस इन पर कंट्रोल कर सकी थी.

इटली में लोग लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं कर रहे थे. तो इटली को सेना लगानी पड़ी. लोग बहाने बनाकर बाहर निकलते थे. इसकी वजह से लॉकडाउन का कोई असर नहीं दिख रहा था. स्पेन में भी लॉकडाउन के नियमों का पालन करने के लिए सेना को लगाना पड़ा. लोग अपने घरों से बाहर तभी निकल सकते हैं जब उन्हें खाने का सामान या दवाई की ज़रूरत होती है. स्पेन ने 14 मार्च को देश में इमरजेंसी लगाई थी अब उसे 12 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है

DNA वीडियो:

स्पेन में हाल ये है कि कोरोना संक्रमण के 10 प्रतिशत मामले स्वास्थ्य कर्मियों के हैं. स्पेन में मेडिकल सामान और उपकरणों की कमी पड़ गई है. कई बीमार लोग घरों में ही हैं क्योंकि अस्पतालों में जगह नहीं बची. UK में खाने-पीने के सामान की कमी पड़ने की आशंका है. क्योंकि उनके पास पर्याप्त भंडार नहीं है.

UK में 30 प्रतिशत खाने पीने का सामान यूरोप के दूसरे देशों से आता है. सबसे ताकतवर देश अमेरिका की अपनी चिंता है. सैन फ्रांस्सिको जैसे कई बड़े अमेरिकी शहरों में बेघर लोगों की बड़ी संख्या है. इन सभी का ध्यान रखने की चुनौती है क्योंकि इन लोगों से आगे संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा है. फ्रांस में बड़ी चुनौती ये है कि लोग लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. पेरिस में सेना को उतारना पड़ा. सैनिक लॉकडाउन की निगरानी करने के लिए तैनात है. फ्रांस के राष्ट्रपति ने पिछले हफ्ते ही आर्मी ऑपरेशन का ऐलान किया था.

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