हाइलाइट्स:
- जजपा विधायक देवेंद्र सिंह बबली ने किसानों के लेकर दिया था विवादित बयान
- गुस्साए किसानों ने विधायक बबली के आवास का घेराव करने की कोशिश की
- मामला बढ़ा तो विधायक ने अनुचित” शब्दों का इस्तेमाल पर खेद व्यक्त किया
चंडीगढ़
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत के देर रात तक टोहाना पुलिस स्टेशन के बाहर धरने पर बैठे रहे। टिकैत व अन्य किसान पुलिस की तरफ से गिरफ्तार किए गए दो किसानों की रिहाई की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकर रहे लोगों का कहना है कि गिरफ्तार किसानों पर से आपराधिक मामला वापस लिया जाए। मामला जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायक देवेंद्र सिंह बबली किसानों के लेकर विवादित बयान से जुड़ा हुआ है। विवादित बयान के बाद गुस्साए किसानों ने विधायक देवेंद्र सिंह बबली के आवास का घेराव करने की कोशिश की।
गिरफ्तार किसानों की जमानत याचिका पर सुनवाई आज
पुलिस ने घटना के सिलसिले में विकास सिसार और रवि आजाद को गिरफ्तार किया है। इन दोनों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और आपदा प्रबंधन अधिनियम,2005 के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरोपियों के वकील ने कहा कि सिसार और आजाद ने स्थानीय अदालत में जमानत अर्जी दायर की है, जिस पर सोमवार को सुनवाई होगी।
जब तक रिहाई नहीं तब थाने के बाहर से नहीं हटेंगे
रविवार को थाने के बाहर लोगों को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि जब तक साथी किसानों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक प्रदर्शनकारी किसान यहां से नहीं हटेंगे। प्रदर्शनकारी किसानों ने पहले भी बबली के खिलाफ गाली-गलौज करने के आरोप में मामला दर्ज करने की मांग की थी। बबली ने बाद में किसानों के खिलाफ “अनुचित” शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए खेद व्यक्त किया था।
थाने की तरफ किया था मार्च
इससे पहले टिकैत कुछ अन्य किसान नेताओं के साथ शनिवार रात यहां अनाज मंडी में एकत्र हुए थे और फिर थाने की ओर मार्च किया था। शनिवार को सदर थाने के बाहर मीडिया से बात करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि दो किसानों की रिहाई का मुद्दा अभी तक हल नहीं हुआ है। संयुक्त किसान मोर्चा किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहा है।
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा
टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक कि सरकार कृषि कानूनों को निरस्त नहीं कर देती और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून नहीं बना देती। एक जून को, बबली को किसानों के एक समूह के विरोध का सामना करना पड़ा था, जिन्होंने उन्हें काले झंडे दिखाए थे और नारे लगाए। बबली ने आरोप लगाया था कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने गलत व्यवहार किया और उनकी कार के शीशे तोड़ दिए। हालांकि, किसानों ने बबली पर सार्वजनिक रूप से अभद्र और धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।