अब ‘लक्ष्मी-नारायण’ की कहानी ला रहे हैं सिद्धार्थ कुमार तिवारी:कहा- इस कहानी में सालों से दिलचस्पी थी, ‘शिव-शक्ति’ के बाद शो बनाने का आया ख्याल

टेलीविजन पर जल्द ही नया माइथोलॉजिकल शो ‘लक्ष्मी नारायण- सुख, सामर्थ्य संतुलन’ शुरू होने वाला है। शो में एक्ट्रेस शिव्या पठानिया लक्ष्मी के अवतार में नजर आएंगी। वहीं एक्टर श्रीकांत द्विवेदी नारायण के अवतार में दिखेंगे। शो की शूटिंग गुजरात के उमरगांव शहर में शुरू हो चुकी है। शो स्वस्तिक प्रोडक्शन द्वारा प्रोड्यूस किया गया है, जो सफल माइथोलॉजिकल और हिस्टोरिकल शोज बनाने के लिए जाने जाते हैं। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान, प्रोड्यूसर सिद्धार्थ कुमार तिवारी ने अपने शो से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें शेयर कीं। बातों-ही-बातों में उन्होंने बताया कि ये शो ‘शिव शक्ति- तप त्याग और तांडव’ का एक्सटेंडेड वर्जन है। कैसे? आइये जानते हैं उन्हीं की ज़ुबानी: पर्सनली चाहता हूं कि देश की हर जनरेशन मैथोलॉजिकल कहानी को सुने मैं पर्सनली चाहता हूं कि हमारे देश की हर जनरेशन मैथोलॉजिकल कहानी को सुने और समझे। पिछले 14 सालों से मैं अपने देश की माइथोलॉजी, संस्कृति और कल्चर के बारे में बहुत पढ़ भी रहा हूं। जब हम ‘शिव शक्ति’ की कहानी ऑडियंस तक पहुंचा रहे थे तब मुझे एहसास हुआ कि क्यों ना शिवजी और पार्वती की कहानी के साथ-साथ ऑडियंस को लक्ष्मी-नारायण की भी कहानी भी दिखाई जाए। अब तक लक्ष्मी-नारायण की कहानी किसी ने भी ऑडियंस के सामने पेश नहीं की उन्होंने आगे कहा, ‘अब तक लक्ष्मी-नारायण की कहानी किसी ने भी ऑडियंस के सामने पेश नहीं की है। इनकी कहानी में मुझे काफी सालों से दिलचस्पी थी। जब चैनल के सामने ‘शिव-शक्ति’ की कहानी से एक बड़ी कहानी कहने की बात रखी तो, उन्होंने हामी भर दी। दोनों शो के एक्टर्स एक ही हैं। बस हमने इनकी दुनिया को बड़ी बना दी है। ये सभी एक्टर्स दोनों शो में नजर आएंगे। नई कहानी, पुराने एक्टर्स के साथ। माइथोलॉजिकल कहानी ऑडियंस तक पहुंचाना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है किसी भी शो पर काम करने से पहले मैं और मेरी टीम बहुत रिसर्च करते हैं। ज्यादातर कहानी हम ग्रंथों से निकालते हैं। हालांकि, ग्रंथों के भी अपने-अपने वर्जन होते हैं। कौन-सा वर्जन हमारी कहानी के लिए फिट बैठता है, ये तय करना बहुत चैलेंजिंग होता है। माइथोलॉजिकल कहानी को ऑडियंस तक सही तरीके से पहुंचाना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हमारी कोशिश यही होती है कि कैसे ये कहानी आज की जनरेशन से रिलेट कर पाए। कहानी के रिसर्च में महीनों लग जाते हैं। इसके बाद हमारी रियल जर्नी शुरू होती है।

Source: DainikBhaskar.com

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