VVPAT वेरिफिकेशन मामला, भूषण बोले-स्लिप बैलट बॉक्स में डाली जाएं:जर्मनी में यही नियम, सुप्रीम कोर्ट बोला-वहां के एग्जाम्पल यहां नहीं चलते

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 16 अप्रैल को सुनवाई हुई। इसमें एडवोकेट प्रशांत भूषण ने दलील दी कि VVPAT की स्लिप बैलट बॉक्स में डाली जाएं। जर्मनी में ऐसा ही होता है। इस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि वहां के एग्जाम्पल हमारे यहां नहीं चलते। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े ने पैरवी की। प्रशांत भूषण एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से पेश हुए। मामले में करीब दो घंटे सुनवाई हुई। अब 18 अप्रैल को सुनवाई होगी। VVPAT पर्चियों की 100% वेरिफिकेशन को लेकर एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल ने अगस्त 2023 में याचिका लगाई गई थी। याचिका में कहा गया कि वोटर्स को VVPAT की पर्ची फिजिकली वेरिफाई करने का मौका दिया जाना चाहिए। वोटर्स को खुद बैलेट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए। इससे चुनाव में गड़बड़ी की आशंका खत्म हो जाएगी। कोर्ट रूम लाइव… एडवोकेट प्रशांत भूषण- EVM चिप को प्रोग्राम किया जा सकता है। ज्यादातर यूरोपियन देश EVM से बैलट पेपर्स पर लौटे हैं। जस्टिस संजीव खन्ना- वहां मत जाइए। प्रशांत भूषण- इस पर कोई विवाद नहीं है, यह फैक्ट है। सुप्रीम कोर्ट- कानूनी जिरह तक ही सीमित रहिए और याद रखिए कि यह मुद्दा पहले लाना चाहिए था। प्रशांत भूषण- अगर EVM-VVPAT की गिनती और वोटर्स के टोटल नंबर में कोई अंतर हुआ तो इसे नजरअंदाज किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट- अपने पॉइंट्स लिखित में दीजिएगा 2 बजे। 2 बजे के बाद फिर सुनवाई हुई… सुप्रीम कोर्ट- आप क्या राहत चाहते हैं। प्रशांत भूषण- हम पेपर बैलट पर लौट सकते हैं। एक और ऑप्शन है कि वोटर्स को VVPAT की स्लिप दे दी जाए। नहीं तो स्लिप मशीन में जाएगी और ये स्लिप वोटर को दी जा सकती है और इसे बैलट बॉक्स में डाला जा सकता है। जस्टिस खन्ना- हम आपकी दलील समझ गए। वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े- EVM में पड़े वोट्स का VVPAT स्लिप्स के साथ मिलान किया जाना चाहिए। जस्टिस खन्ना- आप कह रहे हैं कि 60 करोड़ VVPAT स्लिप्स की गिनती की जाए। यही ना? वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण- चुनाव आयोग कहता है कि VVPAT स्लिप्स की गिनती करने में 12 दिन लगेंगे। प्रशांत भूषण ने एक रिसर्च पेपर भी पढ़ा, जिसमें कहा गया था कि EVM के साथ छेड़खानी की जा सकती है। प्रशांत भूषण- ये लोग हर लोकसभा सीट में केवल 5 VVPAT मशीन की गिनती करते हैं, जबकि वहां पर 500 मशीनें होती हैं। ये सिर्फ 5 फीसदी है और इसके सही नहीं ठहराया जा सकता। गोपाल शंकरनारायण- याचिका इस बारे में नहीं है कि EVM से कोई गड़बड़ी हो रही है। यह वोटिंग के दौरान वोटर के भरोसे का सवाल है। किसी दूरदराज इलाके में रहने वाले आदमी के बारे में सोचिए, जो वोटिंग बूथ में संघर्ष करता है और स्लिप तभी दिखती है, जब 7 सेकेंड के लिए लाइट ऑन होती है। वोट डालने में (बैलट पेपर से) जो स्पर्श का एहसास था, वह पूरी तरह जा चुका है। जर्मनी की अदालत ने भी इस पॉइंट पर ध्यान दिया था। अभी 5 EVM के वोटों का ही VVPAT पर्चियों से मिलान
इस मामले में पिछली सुनवाई 1 अप्रैल को हुई थी, तब जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था। फिलहाल किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में 5 EVM के वोटों का ही VVPAT पर्चियों से मिलान होता है। याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने लगभग 24 लाख VVPAT खरीदने के लिए 5 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं, लेकिन केवल 20,000 VVPAT की पर्चियों का ही वोटों से वेरिफिकेशन किया जा रहा है। क्या होती है VVPAT मशीन?
यह एक वोट वेरिफिकेशन सिस्टम है, जिससे पता चलता है कि कि वोट सही तरीके से गया है या नहीं। यह EVM से कनेक्टेड होता है। जब वोटर EVM में किसी पार्टी का बटन दबाता है, तो VVPAT में उस पार्टी के नाम और सिंबल की एक पर्ची प्रिंट होती है। यह पर्ची मशीन के ट्रांसपेरेंट विंडो पर 7 सेकेंड तक दिखती है। इसे देखकर वोटर कंफर्म कर पाता है कि EVM में उसका वोट सही गया या नहीं। 7 सेकेंड के बाद यह पर्ची VVPAT मशीन के अंदर चली जाती है। पर्चियों का इस्तेमाल EVM के नतीजों को क्रॉस-चेक करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, ऐसा बहुत कम ही होता है। वोटों से छेड़छाड़ या काउंटिंग में धांधली के आरोप पर चुनाव आयोग दोनों के मिलान का निर्देश दे सकता है। भारत में VVPAT मशीन का इस्तेमाल पहली बार 2014 के आम चुनावों में किया गया था। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (BEL) ने बनाया है। पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई बार उठा है मुद्दा
2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, 21 विपक्षी दलों ने EVM के वोटों से कम से कम 50 फीसदी VVPAT पर्चियों के मिलान की मांग की थी। उस समय चुनाव आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक EVM के वोटों का VVPAT पर्चियों से मिलान करता था। हालांकि, चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि ऐसा करने पर नतीजों में पांच से छह दिन की देरी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल, 2019 को मिलान के लिए EVM की संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी थी। इसके बाद मई 2019 कुछ टेक्नोक्रेट्स ने सभी EVM के VVPAT से वेरिफाई करने की मांग की याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कभी-कभी हम चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा ही संदेह करने लगते है। ये खबरें भी पढ़ें… SC का चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक से इनकार, कहा- चुनाव नजदीक, नए कानून पर रोक लगाई तो सिस्टम बिखर जाएगा सुप्रीम कोर्ट ने दो नए चुनाव आयुक्तों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू की नियुक्ति पर रोक लगाने वाली याचिका को 21 मार्च को खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि 2023 का फैसला नहीं कहता कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सिलेक्शन पैनल में ज्यूडीशियल मेंबर होना चाहिए। पूरी खबर पढ़ें… CJI बोले- चंडीगढ़ मेयर चुनाव में लोकतंत्र की हत्या हुई, वीडियो में चुनाव अधिकारी बैलेट खराब करते दिखे चंडीगढ़ मेयर चुनाव में हुई धांधली के खिलाफ आम आदमी पार्टी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 5 फरवरी को सुनवाई हुई। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने वह वीडियो भी देखा, जिसमें चुनाव अधिकारी अनिल मसीह बैलेट पेपर पर क्रॉस लगाते दिख रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें…

Source: DainikBhaskar.com

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