29 जून से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत:200 ICU बेड, 100 ऑक्सीजन बूथ और 5G नेटवर्क की सुविधा; गुफा तक मोटर रोड

29 जून से पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है। यात्रा 52 दिन (19 अगस्त) चलेगी। पिछली बार 1 जुलाई से 60 दिन तक चली थी। इस बार बर्फबारी देर से हुई और अब तक जारी है। गुफा क्षेत्र में 10 फीट से ज्यादा बर्फ है। यात्रा के दोनों रूट पहलगाम और बालटाल से गुफा तक 2 से 10 फीट बर्फ में दबे हैं। इसलिए इसके जून तक पिघलने के आसार कम हैं। ऐसे में सेना यात्रा रूट को हर मौसम के हिसाब से तैयार कर रही है। पहली बार दोनों रूट पूरी तरह 5जी फाइबर नेटवर्क से लैस होंगे। बर्फ पिघलते ही 10 मोबाइल टावर लगेंगे। 24 घंटे बिजली के लिए ज्यादातर खंभे लग चुके हैं। 6 लाख श्रद्धालुओं के हिसाब से इंतजाम कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधूड़ी के मुताबिक, इस बार हमारा फोकस यात्री सुविधा बढ़ाने पर है। पूरे रूट पर खानपान, रुकने और हेल्थ चेकअप की ज्यादा से ज्यादा व्यवस्था की योजना बना रहे हैं। पहले पहलगाम से गुफा तक 46 किमी लंबा मार्ग 3 से 4 फीट तो बालटाल वाला रूट 2 फीट ही चौड़ा था। अब इसे 14 फीट तक चौड़ा किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि बर्फ हटाने के बाद रूट दुरुस्त किया जाएगा। पिछले बार 4.50 लाख श्रद्धालु आए थे। इस बार आंकड़ा 6 लाख तक जा सकता है। यात्रा कम दिनों की है और भीड़ ज्यादा रहेगी, इसलिए इंतजाम भी ज्यादा किए जा रहे हैं। बर्फ में ढंका बालटाल रूट बालटाल-गुफा मार्ग पर सेना ने बर्फ हटानी शुरू कर दी है। ये रूट एक पहाड़ी नदी के किनारे है। पिछली बार गर्मी के चलते यात्रा के आखिरी हफ्ते में बाबा बर्फानी पूरी तरह पिघल चुके थे। हजारों श्रद्धालु मायूस लौटे थे। इसलिए इस बार यात्रा के दिन कम किए हैं, ताकि सभी को दर्शन मिल सकें। 100 ऑक्सीजन बूथ, जहां श्रद्धालु सांस ले सकेंगे
श्राइन बोर्ड पहली बार मेडिकल इंतजाम भी बढ़ा रहा है। बालटाल और चंदनबाड़ी में 100-100 आईसीयू बेड, एडवांस उपकरण, एक्स-रे, अल्ट्रासोनोग्राफी मशीन, क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट, कार्डियक मॉनिटर, लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट से लैस दो कैंप अस्पताल रहेंगे। यहां हवा में ऑक्सीजन कम रहती है, इसलिए यात्रा मार्ग पर 100 स्थाई ऑक्सीजन बूथ और मोबाइल ऑक्सीजन बूथ रहेंगेे। पवित्र गुफा, शेषनाग और पंचतरणी में तीन छोटे अस्पताल होंगे। बालटाल से गुफा तक का 14 किमी रूट चौड़ा हुआ
बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, बालटाल से गुफा तक का 14 किमी रूट 7 से 12 फीट तक चौड़ा हो गया है। यह मोटरेबल रोड है। हालांकि अभी सिर्फ BRO सेना की गाड़ियों को ही अनुमति है। इमरजेंसी में इसी का इस्तेमाल होगा। पिछली बार दोनों रूट पर करीब 60 हजार जवान तैनात थे। इस बार लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में तैनात होने वाली अर्द्धसैनिक बलों की सभी 635 कंपनियों को वोटिंग के बाद यात्रा में तैनात किया जाएगा। पहलगाम रूट: इस रूट से गुफा तक पहुंचने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन ये रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। ये बेस कैंप से 16 किमी दूर है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है। तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पर पहुंचती है। यहां से पैदल चलते हुए शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। ये सफर करीब 9 किमी का है। अगले दिन शेषनाग से यात्री पंचतरणी जाते हैं। ये शेषनाग से करीब 14 किमी है। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है। बालटाल रूट: अगर वक्त कम हो, तो बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए बालटाल रूट सबसे मुफीद है। इसमें सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई चढ़नी होती है, लेकिन एकदम खड़ी चढ़ाई है। इसलिए बुजुर्गों को इस रास्ते पर दिक्कत होती है। इस रूट पर रास्ते संकरे और मोड़ खतरे भरे हैं।

Source: DainikBhaskar.com

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