यात्रा नेपाल की और संदेश चीन को, पीएम मोदी की इस कूटनीति को समझिए – Aaj Tak

स्टोरी हाइलाइट्स

  • नेपाल में जो एयरपोर्ट चीन ने बनाया, मोदी वहां नहीं उतरे
  • धार्मिक कूटनीति से नेपाल से दोस्ती, चीन को संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक दिवसीय नेपाल दौरा समाप्त हो गया है. कहने को पीएम सिर्फ कुछ घंटों के लिए अपने पड़ोसी देश गए, लेकिन एक तीर से उन्होंने कई निशाने भी साधे, अपने पुराने दोस्त को फिर करीब लाने का प्रयास हुआ, कई समझौतों को जरिए संबंध मजबूत करने पर जोर रहा और साथ ही साथ बिना नाम लिए चीन को बड़ा संदेश दे दिया गया.

अब हुआ ये कि जब पीएम मोदी कुशीनगर से नेपाल के लिए उड़ान भरने की तैयारी में थे उसी वक्त लुंबिनी से 18 किलोमीटर दूर भैरवा में नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा नेपाल के दूसरे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का उद्घाटन कर रहे थे. मगर पीएम मोदी नेपाल के नए एयरपोर्ट पर नहीं उतरे. तो इसे सीधे सीधे ऐसे समझिए कि पीएम मोदी ने भले ही चीन का नाम नहीं लिया, उन्होंने भले ही चीन का जिक्र नहीं किया, मगर नेपाल में चीन के बनाए एयरपोर्ट पर न उतरकर उन्होंने चीन को सख्त संदेश जरूर दे दिया है. 

इसके अलावा भारत का नेपाल के साथ एक धार्मिक जुड़ाव भी है. लुंबिनी में जन्मे और बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने वाले जिस बुद्ध की जयंती पर पीएम मोदी लुंबिनी पहुंचे थे वो भी दोनों देशों के गहरे संबंधों का प्रमाण हैं. यहां पीएम मोदी ये बताना नहीं भूले की अयोध्या में जो श्रीराम का मंदिर बन रहा है, उसकी खुशी नेपाल में भी उतनी ही है. चाहे नेपाल हो या श्रीलंका.. पीएम मोदी ने बौद्ध धर्म के साथ हिंदू धर्म के महत्व को बढ़ाने के साथ ही धार्मिक कूटनीति के जरिए रिश्तों को भी मजबूत बनाया है. यही वजह है कि जब भी पीएम मोदी इन देशों का दौरा करते हैं तो वो बौद्ध और हिंदू धर्म से जुड़े स्थानों पर ज़रूर जाते हैं.

अपनी पिछली यात्रा में पीएम मोदी ने काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना की थी. यही नहीं, जनकपुर धाम में जानकी माता मंदिर और मस्तंग में मुक्तिनाथ मंदिर के दर्शन भी किए थे. आखिरी बार मई 2018 में नेपाल गए थे. इस दौरान उन्होंने इन सारे धर्मस्थलों में पूजा अर्चना की थी. मई 2018 में पीएम मोदी ने नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद विजिटर बुक में जो संदेश लिखा था, वो भी इसी की ओर इशारा करता है. 

पीएम मोदी ने विजिटर बुक में लिखा था, ‘मुझे प्रसन्नता है कि एक बार फिर भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में प्रार्थना करने का मौका मिला. ये मंदिर भारत और नेपाल के लोगों की साझी धार्मिक विरासत का प्रतीक है.’ इसी साझी धार्मिक विरासत ने भारत-नेपाल संबंधों को ऐसी मजबूती दी है कि चीन तो क्या दूनिया की कोई भी ताकत उसे तोड़ नहीं सकती है.

हिंदू और बौद्ध धर्म को जिस तरह मोदी आगे बढ़ रहे हैं वो संबंधों में एक नया आयाम है. इस धार्मिक कूटनीति में नेपाल का योगदान भी कम नहीं है. हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री देउबा भारत पहुंचे थे. उन्होंने नई दिल्ली और वाराणसी का दौरा किया था. वाराणसी में देउबा ने काशी विश्वनाथ और काल भैरव मंदिरों में पूजा-अर्चना की. इस दौरे में ही उन्होंने पीएम मोदी को नेपाल आने का न्योता दिया था और पीएम मोदी ने इसके लिए बुद्ध जयंती के मौके पर लुंबिनी को अपने दौरे के लिए चुना था. 

आजतक ब्यूरो

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