रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज शिखर वार्ता के लिए भारत पहुंच रहे हैं। पुतिन के इस दौरे पर पाकिस्तान की नजरें खासतौर पर टिकी हुई हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी पिछले कुछ महीनों में रूस के साथ दोस्ती करने की कई कोशिशें की हैं। उन्होंने अफगानिस्तान में रूस की पकड़ मजबूत करने और आर्थिक समझौते का ऑफर देकर पुतिन को पाकिस्तान यात्रा का निमंत्रण भी दिया था। इमरान की लाख कोशिशों के बावजूद राष्ट्रपति पुतिन ने भारत की यात्रा करने का फैसला कर साफ संदेश दे दिया है।
रूस के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने के चक्कर में पाकिस्तान
अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात और एशिया में बनते जियो-पॉलिटिकल एनवायरमेंट को देखकर रूस और पाकिस्तान करीब आ रहे हैं। सितंबर में ही रूस के उप रक्षा मंत्री जनरल अलेक्जेंद्र वी फोमिन ने पाकिस्तान के अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को बढ़ाने के लिए बातचीत की थी। सितंबर से लेकर अबतक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कम से कम तीन बार बात भी कर चुके हैं। सितंबर में पाकिस्तानी सेना ने रूसी सेना के साथ द्रुजबा-2021 (Druzhba-2021) नाम का संयुक्त अभ्यास भी किया था।
खुफिया जानकारी साझा करने को तैयार पाकिस्तान-रूस
रूस और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच संयुक्त अभ्यास को बढ़ाने, खुफिया जानकारी साझा करना और क्षेत्रीय सुरक्षा पर विचारों का आदान-प्रदान करने पर सहमत हुए हैं। अगर रूस से पाकिस्तान को खुफिया जानकारी मिलनी शुरू होती है तो यह भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाली बात होगी। इतना ही नहीं, द्विपक्षीय युद्धाभ्यास करने से पाकिस्तान को रूस के उन हथियारों के बारे में ज्यादा जानकारी मिल सकती है, जिसका इस्तेमाल भारत करता है। पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा भारत से है, ऐसे में वह रूस को अपने पाले में कर खुद की ताकत बढ़ाने की कोशिश कर सकता है।
कासूर से कराची तक पाइपलाइन बिछाएगा रूस
रूस ने कुछ महीने पहले ही कहा था कि उसने रूस के कासूर शहर से पाकिस्तान के कराची शहर तक पाइपलाइन बिछाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों के बढ़ने के कयास लगाए गए थे। अगर यह पाइपलाइन बिछ जाती है तो पाकिस्तान को रूस से सीधे तेल और गैस की सप्लाई शुरू हो जाएगी। इससे ऊर्जा जरूरतों के लिए पाकिस्तान की निर्भरता खाड़ी देशों से कम हो सकती है।
9 साल बाद पाकिस्तान पहुंचे थे रूसी विदेश मंत्री
इसी साल 6 अप्रैल को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव 19 घंटे की भारत यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे थे। तब रूस की तरफ से बताया गया था कि इस यात्रा का उद्देश्य वार्षिक भारत-रूस सम्मेलन के लिए तैयारियों को अंतिम रूप देना है। भारत यात्रा के बाद रूसी विदेश मंत्री पाकिस्तान भी गए। भारत के साथ संबंधों को लेकर रूस शुरू से ही पाकिस्तान से किनारा करता रहा है। लेकिन, 2009 के बाद भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ संबंधों के बनने से बेचैन रूस ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना शुरू कर दिया। यही कारण है कि भारत के लाख विरोध के बावजूद रूसी सेना ने पाकिस्तान के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास किया।
पाकिस्तान को विशेष सैन्य हथियार देगा रूस
रूसी विदेश मंत्री ने तब ऐलान किया था कि उनका देश पाकिस्तान को विशेष सैन्य हथियार मुहैया कराएगा। शीत युद्ध काल के इन दो विरोधियों के बीच आतंकवाद से लड़ने में सहयोग बढ़ाने और संयुक्त नौसैन्य एवं भूमि अभ्यास करने पर सहमति भी बनी। रूस ने हालांकि यह नहीं बताया था कि वह पाकिस्तान को कौन सा हथियार देगा। जाहिर है कि रूस की इसी बात से भारत चिंतित था।