अनिल अंबानी की Reliance को दिल्ली मेट्रो हजारों करोड़ देने को तैयार, अब भी है ये पेच – आज तक

स्टोरी हाइलाइट्स

  • दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा केस
  • अब 22 दिसंबर को सुनवाई

दिल्ली एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो मामले (Delhi Airport Express Metro) में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस इन्फ्रा (Reliance Infra) को हजारों करोड़ रुपये वापस करने को तैयार हो गई है. हालांकि देनदारी कितनी बनती है, इसको लेकर अभी भी दोनों कंपनियों में विवाद है. दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले में अब 22 दिसंबर को अपना फैसला सुना सकता है.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट डीएमआरसी के ख‍िलाफ फैसला दे चुका है. रिलायंस ने सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर को लागू कराने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. 

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) का कहना है कि उसे रकम की गणना के लिए और समय चाहिए. हाई कोर्ट ने DMRC से पूछा, ‘जब आप सुप्रीम कोर्ट तक जाकर सारी कानूनी लड़ाई हार चुके हैं. आपके पास अब कोई कानूनी विकल्प नहीं है. फिर पैसे के भुगतान में देरी क्यों कर रहे हैं?’ 

इस पर DMRC ने हाई कोर्ट से कहा, ‘हम रिलायंस को 1,000 करोड़ रुपये तो 48 घंटे में ही चुका सकते हैं. लेकिन बाकी राश‍ि के लिए बैंकों से धन की व्यवस्था करने के लिए समय चाहिए.’ 

राश‍ि को लेकर विवाद 

दिल्ली मेट्रो का कहना है क‍ि उसे सिर्फ 5,000 करोड़ रुपये वापस करने हैं, दूसरी तरफ रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की सब्सिडियरी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस (DAMEPL) का दावा है कि उसे 8,000 करोड़ रुपये वापस मिलने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने पहले जो फैसला दिया है, उसके मुताबिक रिलायंस को करीब 5200 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. 

क्या कहा हाई कोर्ट ने? 

हाई कोर्ट ने DMRC से कहा कि अंतिम राश‍ि तो हो चुकी है, अब गणना का क्या मसला है? मध्यस्थता के निर्णय के मुताबिक यह पैसा एस्क्रो अकाउंट से आएगा. DMRC अभी तय राश‍ि का आधा हिस्सा दे सकता है. वह यह नहीं कह सकता कि उसके पास पैसे नहीं हैं. 

DMRC ने कहा कि वह एक साथ पूरी राश‍ि नहीं दे सकता, उसे बैंकों से उधार लेना पड़ेगा. DMRC की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया, ‘अगर पूरी राश‍ि एकमुश्त देनी पड़ी तो मेट्रो की जन सेवाएं प्रभावित होंगीं. सारे तर्क-वितर्क सुनने के बाद आखिरकार दिल्ली हाई कोर्ट ने 22 दिसंबर तक सुनवाई टाल दी.’ 

क्या है मामला 

रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की एक यूनिट ने साल 2008 में दिल्ली एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो के संचालन के लिए कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था. यह देश में निजी हाथों को मिला पहला मेट्रो रेल प्रोजेक्ट था, जिसका साल 2038 तक संचालन रिलायंस एडीएजी को करना था. लेकिन फीस और अन्य कई चीजों को लेकर साल 2012 में हुए एक विवाद के बाद अनिल अंबानी की कंपनी ने इस प्रोजेक्ट का कामकाज छोड़ दिया.

कंपनी ने कॉन्ट्रैक्ट के कथ‍ित उल्लंघन के लिए दिल्ली एयरपोर्ट के ख‍िलाफ आर्बिट्रेशन का केस फाइल कर दिया और टर्मिनेशन फीस देने की मांग की. 

दिल्ली एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो मामले (Delhi Airport Express Metro) में अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस इन्फ्रा (Reliance Infra) को सितंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट बड़ी जीत मिली. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 2800 करोड़ का आर्बिट्रेशन अवॉर्ड बरकरार रखा.

कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) को रिलायंस इन्फ्रा को 2800 करोड़ रुपये और ब्याज का हर्जाना देना होगा. इससे अनिल अंबानी की कंपनी को कुल 5800 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. 

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