ओमिक्रॉन के खिलाफ आएगा टीका? वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने तेज की मुहिम – Hindustan हिंदी

कोरोना वायरस के नए प्रकार ओमिक्रॉन की दस्तक के बीच दवा कंपनियों ने वेरिएंट केंद्रित टीकों के निर्माण पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है। दुनिया की तीन मशहूर कंपनियां फाइजर, मॉडर्ना तथा एस्ट्राजेनेका इस दिशा में पहले ही कार्य शुरू कर चुकी हैं। इनमें से बीटा और डेल्टा के टीके ट्रायल के चरण में भी पहुंचने को हैं। नेचर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में कुछ वेरिएंट केंद्रित कोरोना टीके बाजार में आ सकते हैं।

नेचर की रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक जितने भी टीके आए हैं, वे वुहान में शुरू में मिले वेरिएंट पर केंद्रित हैं। यह भी सही है कि यह टीके सभी वेरिएंट के खिलाफ कुछ न कुछ प्रतिरोधकता दिखाएंगे। लेकिन डेल्टा, बीटा, ओमिक्रॉन जैसे खतरनाक और संक्रामक वेरिएंट से निपटने के लिए वेरिएंट केंद्रीय टीके बनाने होंगे। फाइजर, मॉर्डना, एस्ट्राजेनेका डेल्टा केंद्रित टीके तैयार कर रही हैं।

येल यूनिवर्सिटी की इम्यूनोलॉजिस्ट प्रोफेसर अकिको इवासाकी के अनुसार, वेरिएंट आधारित टीके इस खतरे को न्यूनतम कर सकते हैं क्योंकि जो नए वेरिएंट आ रहे हैं, उनमें मौजूदा टीकों से बचने की क्षमता है। इसकी वजह उनके प्रोटीन में ज्यादा म्यूटेशन आना है। इसलिए वैज्ञानिकों को वेरिएंट केंद्रित वैक्सीनों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। एमआरएनए तकनीक से बने टीकों में यह बदलाव आसानी से और कम समय में किया जा सकता है। ओमिक्रॉन वेरिएंट से लड़ने के लिए भी नए टीके की जरूरत है।

टीका निर्माता कंपनियों द्वारा हालांकि टीकों के हर वेरिएंट पर प्रभावी होने की बात कही जाती है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हो रहा है। सिंगापुर में 75 फीसदी लोगों को टीके के बाद भी दोबारा संक्रमण हुआ है। इसी प्रकार भारत में करीब 27 फीसदी लोगों में दोबारा संक्रमण की पुष्टि हुई है। ऐसा नए वेरिएंट की वजह से हुआ है।

राकफिलर यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट पॉल बेनसेइंज ने कहा कि वेरिएंट केंद्रित टीका बनाना मुश्किल नहीं है, यह प्रभावी भी साबित होंगे। लेकिन असल चुनौती इस बात का पता लगाने की होगी कि कब वायरस में किस प्रकार का बदलाव आएगा। लेकिन इसके बावजूद जिस प्रकार वेरिएंट में बदलाव हो रहे है, उसकी हिसाब से टीकों को भी अपग्रेड करना होगा।

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