india france strategic partnership: france president emmanuel macron speaks to pm modi : नमस्ते, प्रिय साथी, प – Navbharat Times

नई दिल्ली
पीएम मोदी आज अमेरिका रवाना हो रहे हैं। इससे कुछ घंटे पहले ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने नई दिल्ली फोन कर पीएम से बातचीत की है। दरअसल, अमेरिका के धोखे के कारण ऑस्ट्रेलिया के लिए परमाणु मिसाइलें बनाने का फ्रांस को मिला ठेका रद्द हो गया और इससे वह भड़का हुआ है। ऐसे समय में मोदी के अमेरिका दौरे से पहले फोन पर हुई यह बातचीत महत्वपूर्ण हो जाती है। हाल के समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई गठबंधन बन रहे हैं। एक तरह क्वाड की भूमिका बढ़ रही है तो वहीं तीन देशों ने अलग समझौता AUKUS कर कई देशों की टेंशन बढ़ा दी है, जिसमें फ्रांस और चीन की नाराजगी के अलग-अलग कारण हैं।

मैक्रों का हिंदी में ट्वीट
भारत-फ्रांस के रिश्तों की गर्मजोशी को व्यक्त करते हुए मैक्रों ने भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर जोर दिया और हिंदी में ट्वीट किया, ‘नमस्ते प्रिय साथी, प्रिय मित्र…।’ दरअसल, भारत फ्रांस को अपना भरोसेमंद पार्टनर मानता है। मोदी के साथ बातचीत में मैक्रों ने भारत की सामरिक स्वायत्तता को मजबूत करने के लिए आगे भी सहयोग करते रहने का भरोसा जताया है। आतंकवाद के मसले पर फ्रांस हमेशा से भारत के साथ रहा है। उधर, यूरोपीय संघ ने फ्रांस का समर्थन करते हुए कहा है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ज्यादा सहयोग की जरूरत है जहां चीन लगातार एक गंभीर सुरक्षा खतरा बना हुआ है और फ्रांस एक शक्तिशाली देश है।

मोदी और मैक्रों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर बात की है। फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया है कि दोनों नेता क्षेत्र को स्थिर और किसी प्रकार के प्रभाव से स्वतंत्र रखने के लिए संयुक्त रूप से काम करने पर सहमत हुए हैं। फ्रांस की ओर से साफ कहा गया है कि यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता और नियमों के पालन के लिए है, इसमें क्षेत्रीय दबदबे जैसी कोई बात नहीं है।

मोदी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं से मिलने वाले हैं
दरअसल, फ्रांस इस समय अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया तीनों बड़े देशों से नाराज है। भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्टेकहोल्डर है। पीएम मोदी अमेरिका जाकर क्वाड के सदस्य देशों के नेताओं की आमने सामने की बैठक में हिस्सा लेने वाले हैं। गौर करने वाली बात यह है कि क्वाड (QUAD) में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं और दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष पीएम मोदी के साथ मंच साझा करेंगे।

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ऐसे में समझा जा सकता है कि भारत के रणनीतिक कद और महत्व को देखते हुए फ्रांस ने अपने हितों को साधने के लिए भारत से संपर्क साधा है। वैसे भी, डिफेंस सेक्टर में भारत और फ्रांस के बीच सहयोग बढ़ता ही रहा है। राफेल फाइटर जेट फ्रांस से ही मिल रहा है। आगे भी ऐसी डील हो सकती हैं।

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन का AUKUS
ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ‘ऑकस’ (AUKUS) की घोषणा की है। दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्र में स्थिरता एवं सुरक्षा को बढ़ावा देने में भारत-फ्रांस साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका की समीक्षा की। मैंक्रों से चर्चा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘अपने मित्र राष्ट्रपति मैक्रों से अफगानिस्तान की स्थिति पर बात की। हिंद-प्रशांत में भारत और फ्रांस के बीच निकट सहयोग के बारे में भी चर्चा की। हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित फ्रांस के साथ अपने सामरिक सहयोग को महत्वपूर्ण स्थान देते हैं।’

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क्वाड से बेचैन चीन अब ऑकस बनने से बौखलाया हुआ है। दरअसल, चीन का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी मिलने से क्षेत्र में हथियारों की होड़ मचेगी। सच्चाई यह भी है कि क्षेत्र में उसके बढ़ते प्रभाव पर अंकुश लगाने के लिए भी यह कदम महत्वपूर्ण हो जाता है। इससे शक्ति संतुलन भी होगा।

फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय ने बयान जारी कर कहा है कि दोनों नेताओं ने यूरोप-भारत संबंधों की रूपरेखा और हिंद-प्रशांत में यूरोपीय पहलों के अनुकूल एक खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत में संयुक्त रूप से काम करने की साझा प्रतिबद्धता जाहिर की। इस रुख का उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता और कानून के राज को बढ़ावा देना है और साथ ही किसी प्रकार के प्रभाव से स्वतंत्र रखना है।

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QUAD और ऑकस पर क्या बोला भारत
इधर, भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया का नया सुरक्षा समझौता न तो क्वाड से संबंधित है और न ही समझौते के कारण इसके कामकाज पर कोई प्रभाव पड़ेगा तथा दोनों एक जैसे समूह नहीं हैं। श्रृंगला ने विवादास्पद गठबंधन पर भारत की पहली प्रतिक्रिया में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ऑकस (ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका) तीन देशों के बीच का एक सुरक्षा गठबंधन है वहीं क्वाड एक मुक्त, खुले, पारदर्शी और समावेशी हिंद-प्रशांत के दृष्टिकोण के साथ एक बहुपक्षीय समूह है।

श्रृंगला ने कहा, ‘ऑकस तीन देशों के बीच का एक सुरक्षा गठबंधन है। हम इस गठबंधन के पक्ष नहीं हैं। हमारे नजरिए से, यह न तो क्वाड के लिए प्रासंगिक है और न ही इसके कामकाज पर कोई प्रभाव पड़ेगा।’ ऑकस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को अमेरिका और ब्रिटेन से परमाणु पनडुब्बियां बनाने की तकनीक मिलेगी। इस गठबंधन को दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामता का मुकाबला करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

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फ्रांस की नाराजगी समझिए
फ्रांस ने नए गठबंधन पर नाराजगी जताई है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप उसने ऑस्ट्रेलिया के लिए 12 पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए अरबों डॉलर के करार को खो दिया। फ्रांस गठबंधन में शामिल नहीं किए जाने से भी नाराज है। चीन ने भी ऑकस के गठन की आलोचना की है। श्रृंगला ने कहा, ‘मैं स्पष्ट कर दूं कि क्वाड और ऑकस समान प्रकृति के समूह नहीं हैं… क्वाड एक बहुपक्षीय समूह है।’ क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।

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ऑस्ट्रेलिया के समझौते से बाहर निकलने से फ्रांस 66 अरब डॉलर का नुकसान मान रहा है क्योंकि पनडुब्बियां बनाने की डील 66 अरब डॉलर की थी। फ्रांस कितने गुस्से में है, यह वहां के विदेश मंत्री के बयान से ही समझा जा सकता है, जिन्होंने कहा कि अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया डील पर कहा कि पीठ में छुरा घोपा गया।

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PMO ने बताया क्या-क्या बात हुई
पीएमओ ने कहा, ‘दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय मुद्दों के साथ ही अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रमों पर भी चर्चा की। इस संदर्भ में दोनों ने आतंकवाद, मादक पदार्थ, अवैध हथियार और मानव तस्करी के संभावित खतरों पर अपनी चिंताएं साझा की। साथ ही दोनों नेताओं ने वहां मानवाधिकार और महिलाओं, अल्पसंख्यकों के अधिकार सुनिश्चित करने की आवश्यकता जताई।’

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