अफगानिस्तान में बड़ा खतरा बना ISIS खुरासान, तालिबान से भी है इसकी दुश्मनी; निशाने पर अमेरिकी – Hindustan

हाल ही में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि आईएसआईएस के आतंकवादी काबुल एयरपोर्ट पर हमला करने की साजिश रच रहे हैं। इस चेतावनी के बाद अफगानिस्तान एयरपोर्ट पर सुरक्षा में तैनात अमेरिकी सैनिकों को पहले से भी ज्यादा अलर्ट कर दिया गया है। इस आतंकी हमले की चेतावनी को देखते हुए कई देशों ने अभी अपने लोगों को वहां से निकालने की योजना को भी रोक दिया है। बुधवार को काबुल स्थित यूएस एंबेसी की तरफ से एक सुरक्षा अलर्ट जारी करते हुए कहा गया था कि अमेरिकी, काबुल एयरपोर्ट के पास बने गेट से दूर रहें। ‘CNN’ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि काबुल एयरपोर्ट के बाहर जमा भीड़ के बीच इस्लामिक स्टेट अपनी साजिश को अंजाम दे सकता है। 

वरिष्ठ यूएस अधिकारयों की तरफ से कहा गया है कि यह चेतावनी एंबेसी के द्वारा जारी की गई है कि इस आतंकी हमले में आईएसआईएस खुरासान की भूमिका हो सकती है। खूंखार आतंकवादी व्हीकल बम के जरिए काबुल एयरपोर्ट के नजदीक जमा भीड़ पर हमला कर सकते हैं। व्हाइट हाउस में अपने संबोधन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी कह चुके हैं कि ‘हम जिस जमीन पर है वहां किसी भी दिन आईएसआईएस खुरासान एयरपोर्ट को निशाना बना सकते हैं। वो हमारे सैनिकों को गठबंधन के सैनिकों तथा निर्दोष नागरिकों को टारगेट बना सकते हैं।’ 

बुधवार को ही ब्रिटेन ने भी अपने नागरिकों को काबुल एयरपोर्ट से दूर रहने को लेकर चेताया है। उसने अपने नागरिकों से अपील की है कि अगर संभव हो तो वो हवाई जहाज के बदले किसी अन्य रास्ते से वहां से निकलें। ब्रिटेन ने इसे बेहद ही गंभीर मसला माना है। 

आईएसआईएस के खुरसान मॉड्यूल ने पहले भी अफगानिस्तान में कई आतंकी हमले किए हैं। इस आतंकी संगठन ने मई में काबुल में लड़कियों के एक स्कूल पर हुए घातक विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 68 लोग मारे गए और 165 घायल हो गए थे। ISIS-K ने जून में ब्रिटिश-अमेरिकी HALO ट्रस्ट पर भी हमला किया था, जिसमें 10 लोग मारे गए और 16 अन्य घायल हो गए थे। 

कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि तालिबान और आईएसआईएस के बीच दुश्मनी है। अफगानिस्तान में हुकूमत स्थापित करने में जुटे तालिबान ने कई बार दावा किया है कि उसका आईएसआईएस से कोई संबंध नहीं है और वह अपनी जमीन पर इन आतंकियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। आईएसआईएस ने 19 अगस्त को आधिकारिक बयान जारी कर कहा था कि तालिबान अमेरिका का पिट्ठू है। इस्लामिक स्टेट ने यह भी कहा था कि अफगानिस्तान में जो कुछ भी हुआ वो तालिबान नहीं, बल्कि अमेरिका की जीत है। क्योंकि तालिबान ने अमेरिका के साथ बातचीत कर इस सफलता को पाया है।

अफगानिस्तान में सरकार बनाने जा रहे तालिबान को सबसे ज्यादा खतरा आईएसआईएस से लग रहा है। अगर अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट का प्रभाव बढ़ता है तो इससे तालिबान का असर कम होगा। दूसरा, तालिबान अफगान धरती पर आईएसआईएस को रोककर दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश भी कर सकता है कि वह आतंकी संगठनों को अब पनाह नहीं दे रहा। हालांकि, इससे आईएसआईएस को अपने अस्तित्व का खतरा महसूस हो रहा है। डर को बेचने वाला यह आतंकी समूह हर हाल में तालिबान को नीचा दिखाने की कोशिश में जुटा है। 1999 में स्थापित हुए आईएसआईएस को दुनिया ने 2014 के बाद से ही जानना शुरू किया। इससे पहले सीरिया, इराक या बाकी दूसरे देशों में इसका प्रभाव नहीं था।

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