अफगानिस्तान के ‘आखिरी गढ़’ पर भी कब्जे के करीब तालिबान, सरेंडर की तैयारी में ‘पंजशीर के शेर’ का बेटा अहमद म… – News18 इंडिया

काबुल. तालिबान (Taliban) अब अफगानिस्तान (Afghanistan) में अपनी ‘पूर्ण जीत’ के करीब है. खबर है कि पंजशीर (Panjshir) के लड़ाके मदद और संसाधन की कमी के चलते आत्मसमर्पण करने की योजना बना रहे हैं. कुछ रिपोर्ट्स आई थीं, जिनमें बताया जा रहा था कि पंजशीर के ‘शेर’ कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद के नेतृत्व में तालिबान के खिलाफ जंग छेड़ने की तैयारी है. खास बात यह है कि चाहे 1990 का गृहयुद्ध हो या उससे एक दशक पहले सोवियत का दखल, पंजशीर घाटी पर कोई फतह हासिल नहीं कर सका.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, पंजशीर में लड़ाके संसाधन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहायता नहीं मिलने के चलते सरेंडर करने की तैयारी कर रहे हैं. मसूद के सलाहकार जिनकी पहचान द टेलीग्राफ ने उजागर नहीं की है, उन्होंने बताया कि 32 वर्षीय अपने सम्मान के साथ हथियार डालने का रास्ता तलाश रहा था. उन्होंने कहा, ‘पंजशीर तालिबान से नहीं लड़ सकता, तालिबान के पास भारी ताकत है.’ उन्होंने कहा, ‘यह 1980 नहीं है, तालिबान के पास मजबूत लड़ाके हैं.’

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कई देशों से मांगी थी मदद
हाल ही में उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट अखबार में लिखा था, ‘मैं आज पंजशीर घाटी से लिख रहा हूं, उन मुजाहिदीन लड़ाकों के साथ अपने पिता के पदचिह्नों पर चलने के लिए तैयार हूं, जो एक बार फिर तालिबान का सामना करने के लिए तैयार हैं.’ मसूद ने आगे लिखा था कि उनके बलों को अंतरराष्ट्रीय मदद की जरूरत होगी. कहा जा रहा है कि उनकी सेना में 6000 से ज्यादा लड़ाके हैं.

उन्होंने फ्रांस, यूरोप, अमेरीका और अरब देशों से मदद मांगी थी. मसूद ने कहा था कि इन्होंने सोवियत और तालिबान के खिलाफ 20 साल पहले लड़ने में उनके पिता की मदद की थी. मसूद के पिता ने पंजशीर में तालिबान के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान चलाया था. उनकी 2001 में हत्या कर दी गई थी. 1989 में तखार प्रांत के पियु में जन्में मसूद ने स्कूली शिक्षा ईरान में हासिल की थी और इसके बाद ब्रिटेन के रॉयल मिलिट्री एकेडमी सेंडहर्स्ट में एक साल सेना का कोर्स किया था.

मसूद की अब तक प्रतिक्रिया क्या रही है
मसूद ने कहा था कि वे तालिबान के साथ शांति वार्ता करना चाहते हैं और अफगानिस्तान में गृहयुद्ध नहीं देखना चाहते. हालांकि, उन्होंने जरूरत पड़ने पर सामना करने की भी चेतावनी दी थी. बीते हफ्ते स्थानीय सेना ने बागलान के उत्तरी प्रांत में बानो, देस सलेह, पुल ए हेसार को तालिबान के नियंत्रण से मुक्त करा लिया था.

स्वीडन में शोधकर्ता अब्दुल सैयद ने एएफपी को बताया, ‘तालिबान ने पंजशीर को सभी दिशाओं से घेर लिया है और मुझे नहीं लगता कि मसूद के बेटे कुछ महीनों से ज्यादा इसे रोक पाएंगे. फिलहाल के लिए उनके पास कोई मजबूत समर्थन नहीं है.’ वहीं, जानकार भी तालिबान विरोधी बलों की क्षमता को लेकर संदेह जाहिर कर रहे हैं. तालिबान ने हाल ही में अमेरिका हथियारों को भी अपने शस्त्रागार में शामिल किया है.

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फाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में प्रांत की सुरक्षा के जानकार एक शख्स ने कहा, ‘वहां (पंजशीर में) प्रवेश करना आसान नहीं है, वहां ऊंची चट्टानें और रास्ते हैं, लेकिन तालिबान की सेना काफी ज्यादा मजबूत है.’

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