तालिबान के साथ आया चीन, बोला- ‘अफगानिस्तान पर न डालें दबाव, सत्ता परिवर्तन में मदद करे दुनिया’ – Navbharat Times

बीजिंग
जब सारी दुनिया अफगानिस्तान में बंदूक की नोक पर सत्ता हासिल करने के लिए तालिबान की आलोचना कर रही है, चीन उसके साथ दोस्ताना संबंधों की नींव रखता दिख रहा है। अपने ताजा बयान में चीन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि अफगानिस्तान पर दबाव डालने की जगह तालिबान के साथ सत्ता हस्तांतरण के दौरान उसे गाइड करने में मदद करनी चाहिए। देश के विदेश मंत्री वान्ग यी ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान और ब्रिटेन के अपने समकक्षों से बातचीत की है।

‘फिर न बने आतंकवाद का अड्डा
चीन ने कहा है कि अफगानिस्तान को फिर से आतंकवाद का अड्डा नहीं बनने देना चाहिए और गृह युद्ध का सामना कर रहे देश में तालिबान के सत्ता में आने के बाद इस संकट से निपटने में दृढ़ता से उसका समर्थन किया जाना चाहिए। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से चीन तालिबान से आतंकवाद का रास्ता छोड़कर सभी दलों और जातीय समूहों के साथ मिलकर एक समावेशी इस्लामी सरकार बनाने की अपील कर रहा है।

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चीन-पाकिस्तान की भूमिका पर चर्चा
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) से जुड़े सैकड़ों आतंकवादी तालिबान की गतिविधियों के बीच अफगानिस्तान में एकत्र हो रहे हैं। चीन इसी बात को लेकर चिंतित है। चीनी विदेश मंत्री ने कहा, ‘अफगानिस्तान के महत्वपूर्ण पड़ोसी और क्षेत्र के जिम्मेदार देशों के रूप में, चीन और पाकिस्तान को मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर आपसी संपर्क और समन्वय को मजबूत करने तथा क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने में रचनात्मक भूमिका निभाने की आवश्यकता है।’


‘दबाव नहीं, प्रेरित किया जाए अफगानिस्तान’

दूसरी ओर ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब से बातचीत के दौरान वान्ग ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान पर दबाव न बनाने की अपील की है। वान्ग ने कहा, ‘अंतरराष्ट्र्रीय समुदाय को अफगानिस्तान को सकारात्मक दिशा में जाने के लिए प्रेरित और गाइड करना चाहिए बजाय दबाव डालने के। यह तालिबान और देश के सभी पक्षों के राजनीतिक ट्रांजिशन के अनुकूल होगा और अफगानिस्तान में घरेलू हालात स्थिर बनाने के लिए अनुकूल होगा और शरणार्थियों और पलायनकर्ताओं के असर को कम करने के लिए भी।

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‘तालिबान के आने से हालात स्थिर’
हालांकि, वान्ग ने माना है कि तालिबान के सत्ता में आने से अफगानिस्तान में हालात अस्थिर हैं। उनका कहना है कि अफगानिस्तान के हालात से पता चलता है कि देश के लोग बाहर से थोपी गई सरकार का समर्थन नहीं करते हैं। उन्होंने यह भी माना कि स्थानीय मुद्दों के लिए सैन्य हस्तक्षेप विकल्प नहीं है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि अफगानिस्तान की स्वतंत्रता और प्रभुत्व का सम्मान करना चाहिए और बातचीत करनी चाहिए, न कि भूगौलिक-राजनीतिक के लिए जंग का मैदान बनाना चाहिए।


‘एकजुटता को किया जाए प्रोत्साहित’
चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक वक्तव्य के मुताबिक वांग यी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी से कहा, ‘हमें सभी अफगान दलों को अपनी एकजुटता को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और साथ ही एक नया व्यापक और समावेशी राजनीतिक ढांचा स्थापित करना चाहिए जो अफगानिस्तान की राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुकूल हो और अफगानिस्तान के नागरिकों द्वारा समर्थित हो।’

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बरादार ने किया था चीन का दौरा
अपने राजनीतिक आयोग के प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादार के नेतृत्व में तालिबान के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने पिछले महीने चीन का दौरा किया था। इस प्रतिनिधिमंडल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत के दौरान वादा किया था कि शिनजियांग के उईगर समुदाय के आतंकवादी समूह को अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।












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