अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति गनी पहुंचे अबुधावी, यूएई ने मानवीय आधार पर दी शरण – Jansatta

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में हैं। उसने गनी और उनके परिवार को मानवीय आधार पर स्वीकार कर लिया है। तालिबान के काबुल के नजदीक पहुंचने से पहले ही गनी देश छोड़ कर चले गए थे।

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में हैं। उसने गनी और उनके परिवार को मानवीय आधार पर स्वीकार कर लिया है। तालिबान के काबुल के नजदीक पहुंचने से पहले ही गनी देश छोड़ कर चले गए थे। यूएई की सरकारी समाचार समिति डब्ल्यूएएम ने बुधवार को इसकी पुष्टि कर दी है कि गनी उसके देश में पहुंच चुके हैं।

तालिबान ने दो दिन पहले काबुल स्थित राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ने की जानकारी मिली। शुरुआत में बताया गया था कि वह ताजिकिस्तान चले गए, लेकिन वहां उन्हें शरण नहीं मिली। अमेरिकी ने अफगानिस्तान के ताजा हालात के लिए अशरफ गनी को ही जिम्मेदार ठहराया था। बाइडन का कहना था कि अशरफ गनी बिना लड़े ही अपना देश छोड़कर चले गए।
 
इससे पहले रूस की सरकारी मीडिया ने दावा किया था कि अफगानिस्तान से भागते हुए गनी अपने हेलीकॉप्टर और चार कारों में कैश ले गए। जगह की कमी के कारण नोटों से भरे कुछ बैग रनवे पर ही छोड़ने पड़ गए। पहले गनी के अफगानिस्तान से भागकर पड़ोसी देशों ताजिकिस्तान या उज्बेकिस्तान जाने की बात सामने आई थी।

अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अपने पहले बयान में गनी ने रविवार को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा था। उन्होंने लिखा कि उनके सामने दो मुश्किल विकल्प थे- पहला राष्ट्रपति भवन में घुसने की कोशिश कर रहे हथियारबंद तालिबानों का सामना और दूसरा अपने प्रिय देश को छोड़ना। इसकी रक्षा में मैने अपने जीवन के 20 साल लगा दिए।

उन्होंने कहा- अगर फिर से अनगिनत संख्या में देश के नागरिक शहीद होते और काबुल में विध्वंस ही विध्वंस होता तो करीब 60 लाख की आबादी वाले शहर के लिए उसका परिणाम बेहद घातक होता। तालिबान ने मुझे हटाने का फैसला कर लिया था। वे यहां काबुल और काबुल के लोगों पर हमला करने आए हैं। ऐसे में रक्तपात से बचने के लिए, मुझे वहां से निकलना ही मुनासिब लगा।

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