अफगानिस्तान: अमेरिका ने अफगान सेना पर खर्च किए 6.17 लाख करोड़ रुपये, बिना गोली चलाए ही कर दिया सरेंडर – अमर उजाला – Amar Ujala

महाशक्ति अमेरिका ने बीते दो दशकों में 83 अरब डॉलर (6.17 लाख करोड़ रुपये) खर्च कर अफगान सेना को तैयार किया था लेकिन वह तालिबान के खिलाफ ताश के पत्तों की तरह ढह गई। बिना गोली चलाए ही सरेंडर कर दिया।

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मौजूदा हालात में देखें तो इस भारी-भरकम अमेरिकी निवेश का सीधा फायदा सिर्फ तालिबान को मिलने वाला है। उसने न सिर्फ अफगानी सत्ता कब्जा ली है बल्कि अमेरिका से मिले हथियार, गोलाबारूद और हेलिकॉप्टर अब तालिबान के शिकंजे में हैं।

अफगान सेना ने नहीं दिखाया जज्बा 

वैसे तो अफगान सेना और पुलिस बल को मजबूत बनाने में अमेरिकी विफलता और फौज के पतन के कारणों का अरसे तक विश्लेषण किया जाएगा। लेकिन यह तो साफ है कि अमेरिका के साथ जो इराक में हुआ, अफगानिस्तान में उससे कुछ अलग नहीं हुआ। अफगान सेना वाकई कमजोर थी। उसके पास उन्नत हथियार तो थे पर लड़ाई का जज्बा नहीं था।

काबुल में रनवे पर जमे हजारों लोग 

अफगानिस्तान से राजनयिकों व नागरिकों को निकालने के लिए सैन्य उड़ानें मंगलवार तड़के दोबारा शुरू हो गईं। इससे पहले काबुल हवाई अड्डे पर रनवे को तालिबान के डर से देश छोड़ने वाले हजारों लोगों से खाली करा लिया गया।

हवाई अड्डे पर लोगों की संख्या कम हो गई और सुविधा के लिए सुरक्षा अधिकारी को तैनात कर दिया गया। हवाई अड्डे पर रनवे खुलने के बाद नाटो के नागरिक प्रतिनिधि स्टेफानो फोंटेकोर्वो ने ट्विटर पर लिखा, मैं हवाई जहाजों को उतरते और उतारते हुए देख रहा हूं।

अमेरिकी की तेज वापसी से टूटा अफगान सेना का मनोबल 

अफगानिस्तान में 2001 में युद्ध देख चुके और कार्यवाहक रक्षा मंत्री रहे क्रिस मिलर का कहना है, अमेरिका की तेज वापसी से अफगान फौज को यह संकेत मिला कि उन्हें जंग में अकेला छोड़ दिया गया, जिससे उनका मनोबल कमजोर हो गया।

कुछ अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि अफगान सैन्य निर्माण और तैयारी पूरी तरह अमेरिका पर निर्भर थी। यहां तक कि पेंटागन ने अफगान सैनिकों को वेतन तक दिया था।

डग्गामार बस नहीं

यह अमेरिकी वायुसेना का अत्याधुनिक सी-17 ग्लोबमास्टर विमान के अंदर की तस्वीर है। सोमवार को काबुल छोड़ने की जिस तरह भगदड़ मची थी, उस दौरान एयरपोर्ट पर जैसे ही इस 134 सीटर विमान का गेट खुला, उसमें 640 लोग सवार हो गए।

विमान के अंदर जगह नहीं मिली तो लोग पहियों के पास रॉड को पकड़कर चिपक गए। ये लोग तालिबान के डर से किसी भी हाल में देश छोड़ना चाहते थे। इसी विमान से गिरकर तीन लोगों की मौत हो गई थी।

अफगानिस्तान को आजाद कराने पर गर्व: मुजाहिद

तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम एक ऐसी सरकार गठित करना चाहते हैं, जिसमें सभी पक्ष शामिल हों। उन्होंने कहा, हम लड़ाई का अंत चाहते हैं। मुजाहिद ने अफगान नागरिकों को 20 साल की ‘गुलामी’ से बंधनमुक्त होने की बधाई दी।

कहा, स्वतंत्रता व स्वायत्तता हर देश का कानूनी अधिकार है। हमें अफगानिस्तान को आजाद कराने का गर्व है। हम विश्व को कोई परेशानी नहीं देना चाहते हैं। हमारे पास अपने धर्म के हिसाब से चलने का अधिकार है।

दूसरे देशों में अलग नीतियां हैं, अलग धर्म हैं। हम सभी का सम्मान करते हैं। हम भी उसी तरह अपने सिद्धांतों के हिसाब से अपनी नीतियां बनाना चाहते हैं। किसी को हमारे नियमों और सिद्धांतों की चिंता नहीं होनी चाहिए।

मीडिया को दिया आजाद रहने का भरोसा

तालिबान प्रवक्ता ने कहा, हम निजी मीडिया को स्वतंत्र रूप से काम करते रहने का भरोसा देना चाहते हैं। वे हमारी आलोचना भी करें, ताकि हम बेहतर काम कर सकें। लेकिन मीडिया राष्ट्रीय सिद्धांतों के खिलाफ काम न करे। इस्लाम हमारे देश का सबसे अहम सिद्धांत है।

अफगान युवा देश की सेवा करें

मुजाहिद ने कहा, हम चाहते हैं कि अफगान राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय मूल्यों को महत्व दें। जो युवा अफगानिस्तान में पैदा हुए हैं और जिनमें प्रतिभा है, वे यहीं रहें और देश सेवा करें।

निवेश का करेंगे स्वागत

मुजाहिद ने दुनिया से अफगानिस्तान में निवेश की अपील की। उन्होंने कहा, हम अर्थव्यवस्था व इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करेंगे। इस्लामी अमीरात को समृद्ध करेंगे। हम कारोबार को चलने देंगे और सुरक्षा देंगे।

अफीम की खेती का गढ़ नहीं होगा 

तालिबान प्रवक्ता ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आश्वस्त किया कि अफगानिस्तान अब नशे के व्यापार के लिए अफीम की खेती का गढ़ नहीं होगा। एजेंसी

तालिबान ने वैश्विक समर्थन हासिल करने के लिए उदारवादी छवि पेश करने की कवायद के तहत देश में आम माफी का एलान किया व सरकारी कर्मचारियों से काम पर लौटने की अपील की।

महिलाओं से भी कहा, वे तालिबान सरकार में शामिल होने के लिए आगे आएं। संस्कृति आयोग के सदस्य इनामुल्लाह समंगानी ने साफ किया, महिलाओं को पीड़ित के तौर पर जीने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।

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