एक दिन पहले ही सेवानिवृत्त हुए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) को केंद्र द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने पर कानूनी विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि यह कदम “टिकने वाला नहीं है, वहीं अन्य का कहना था कि सेवा नियमों के उल्लंघन को लेकर कार्रवाई शुरू की जा सकती है। आइए विस्तार से जानते है अखिरकार पूरे मामले पर एक्सपर्ट्स की क्या राय है..
दो साल तक की कैद हो सकती है जेल
केंद्र और ममता बनर्जी सरकार के बीच खींचतान के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के सख्त प्रावधान के तहत बंदोपाध्याय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इस प्रावधान के तहत दो साल तक की कैद हो सकती है।
‘कानूनी कसौटी पर टिकने वाला नहीं नोटिस’
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि “कारण बताओ नोटिस कानूनी कसौटी पर टिकने वाला नहीं है।’ त्रिपुरा के महाधिवक्ता के रूप में कार्य कर चुके माकपा नेता, ने कहा, ‘‘किसी बैठक में अनुपस्थिति किसी भी तरह से आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी निर्देशों का उल्लंघन नहीं है, इसलिए जारी किया गया कारण बताओ नोटिस कानूनी कसौटी पर टिकने वाला नहीं है।
‘सीधे तौर पर आपदा प्रबंधन कानून का उल्लंघन;
वकील लोकनाथ चटर्जी ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई नहीं करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘… यह उनके सेवा नियमों और आपदा प्रबंधन कानून का उल्लंघन है।
‘कारण बताओ नोटिस जारी करने का कोई प्रावधान नहीं’
एक वरिष्ठ प्राधिकार द्वारा ऐसा करने के लिए कहे जाने के बावजूद उन्होंने बैठक में भाग नहीं लिया।’ वहीं एक अन्य वकील जयंत नारायण चटर्जी ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून की धारा 51-बी के तहत कारण बताओ नोटिस जारी करने का कोई प्रावधान नहीं है।