ब्लैक फंगस के 8848 मरीज मिलने से टेंशन में देश, केंद्र ने राज्यों को दिए Amphotericin-B के 23680 डोज – Hindustan

भारत में कोरोना वायरस के कहर के बीच म्यूकरमाइकोसिस (Mucormycosis) यानी ब्लैक फंगस (Black Fungus) के तेजी से बढ़ते मामलों ने लोगों को और डरा दिया है। हालांकि, ब्लैक फंगस के खतरे से निपटने के लिए सरकार तेजी से काम कर रही है। देश में अब तक ब्लैक फंगस के करीब नौ हजार मामले सामने आ चुके हैं और ज्यादातर राज्यों ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। इस बीच केंद्र सरकार ने राज्यों की इस बीमारी से लड़ने में मदद के लिए ब्लैक फंगस की दवा एम्फोटेरिसिन-बी की कुल 23680 अतिरिक्त वायल आवंटित किए हैं। 

केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने शनिवार को विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को म्यूकरमाइकोसिस  यानी ब्लैक फंगस के इलाज के लिए एक प्रमुख दवा एम्फोटेरिसिन-बी की 23,680 अतिरिक्त शीशियों के आवंटन की घोषणा की। आधिकारिक बयान में मंत्री ने जानकारी दी कि मरीजों की संख्या के आधार पर इस दवा का आवंटन किया गया है। 

दरअसल, भारत में अब तक 8848 ब्लैक फंगस के मरीज मिल चुके हैं, जिनमें सबसे अधिक ब्लैक फंगस के केस गुजरात में ही सामने आए हैं। गुजरात में अब तक 2281 लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, महाराष्ट्र में भी इससे प्रभावितों का आंकड़ा 2000 पार कर गया है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश, में 910, मध्य प्रदेश में 720, राजस्थान में 700 और तेलंगाना में 350 ब्लैक फंगस के केस मिले हैं। 

कैसे पता लगाएं कि ब्लैक फंगस का हुए शिकार
– नाक से खून आना या फिर काला सा कुछ पदार्थ निकलना।
– नाक बंद होना, सिर दर्द होना या फिर आंखों में जलन और दर्द होना। आंखों के आसपास सूजन होना। डबल विजन, आंखें लाल होना, दृष्टि कमजोर होना, आंखें बंद करने में परेशानी होना, आंखें खोलने में दिक्कत होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। 
– दांतों में दर्द हो, चबाने में कष्ट हो या फिर उल्टी और खांसने में खून आए।

ब्लैक फंगस का शिकार होने पर क्या करें
– तुरंत किसी नाक, कान और गला रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। इसके अलावा किसी असामान्य बीमारी का इलाज करने वाले डॉक्टर से बात करें। 
– नियमित इलाज कराएं और उसका फॉलोअप लें। डायबिटीज के मरीज हैं तो फिर ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का प्रयास करें और उसकी मॉनिटरिंग करते रहें। 
– किसी अन्य गंभीर बीमारी के भी शिकार हैं तो लगातार दवा लें और डॉक्टर के संपर्क में रहें। 
– स्टेरॉयड की कोई दवा खुद से न लें। ऐसी दवा लेना भारी पड़ सकता है। 
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