भारत में संक्रमित हुए चीनी नागरिक सरकार को लेकर क्या कह रहे – BBC हिंदी

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ग्लोबल टाइम्स अख़बार
को चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना का मुखपत्र माना जाता है. इस अख़बार
में जो कुछ भी छपता है उसे चीन की सरकार की मंशा और नीतियों के रूप में देखा जाता है.

भारत में कोरोना महामारी
को लेकर भी इस अख़बार में कई चीज़ें छप रही हैं. बुधवार
को एक रिपोर्ट छपी है कि भारत में जो चीनी नागरिक कोरोना से पीड़ित हैं, वे किस हाल में रह रहे हैं. पढ़िए उस, रिपोर्ट का अंश.

भारत में रह रहे चीनी
नागरिक कोरोना महामारी का सबसे मुश्किल वक़्त झेल रहे हैं. बुधवार को भारत में कोरोना
से मरने वालों की संख्या दो लाख के पार चली गई है.

दिल्ली में कोविड
संक्रमित हुए चीनी नागरिक निको यांग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा, ”अस्पतालों जगह नहीं है. सभी भरे हुए हैं. चाहे आप
अमीर हों या ग़रीब, अस्पतालों में जगह
नहीं मिलेगी.” निको यांग सेल्फ क्वॉरंटीन
होकर कोविड से ठीक हुए हैं.

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भारत में इन दिनों
कोरोना का संक्रमण बहुत तेज़ी से फैल रहा है. अस्पताल बुनियादी सुविधाओं के लिए तड़प
रहे हैं और कोविड मरीज़ इलाज के बिना दम तोड़ रहे हैं. ऑक्सीजन को लेकर मारामारी की
स्थिति है.

यहाँ तक कि मरने वालों
की तादाद इतनी बढ़ गई है कि अंत्येष्टि के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ रहा है. कई जगहों
पर तो अंत्येष्टि के सामान ख़त्म हो जा रहे हैं. शमशानों में जगह नहीं है तो पार्कों
में अंत्येष्टि की जा रही है. यांग कहते हैं कि वो बाक़ी भारतीयों की तुलना में सौभाग्यशाली
थे.

यांग कहते हैं,”मेरे सहकर्मी हर दिन खाना भेज देते थे. और मेरा
मानना है कि अगर हम चांग वेनहोंग की सलाह को मानें तो कोरोना पर जीत ज़रूर मिलेगी.”

चांग चीन के महामारी
विशेषज्ञ हैं और वे मीडिया में आकर लोगों को कोरोना से कैसे लड़ना है, बताते रहते हैं. भारत स्थित चीनी दूतावास ने भी
उन्हें आमंत्रित किया था और उन्होंने कोविड 19 को लेकर कई सलाह दी थी.

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भारत में कितने चीनी
हैं यह पता नहीं है लेकिन ग्लोबल टाइम्स को पता चला है कि बड़ी संख्या में चीनी नागरिक
पिछले साल वापस आ गए थे.

पिछले दो सालों में
भारत सरकार ने चीनी कंपनियों पर कई तरह की पाबंदी लगाई है और इस वजह से बड़ी संख्या
में कंपनियाँ बंद हो गईं. भारत में एक स्थानीय चीनी ने कहा, ”2019 में मेरी कमाई ख़ूब थी लेकिन अब मुनाफ़ा आधा से
भी कम हो गया है. लेकिन जब तक ओपो और विवो हैं, मैं भारत में ही रहूँगा.”

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