अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
Published by: Kuldeep Singh
Updated Tue, 13 Apr 2021 03:10 AM IST
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बढ़ते संक्रमण के बीच लॉकडाउन लगना भी तय है। इसलिए यहां रहने से बेहतर है कि घर लौट जाएं। रजनीकांत मुंबई के एक मॉल में काम करते हैं। उनकी तरह ऐसे हजारों प्रवासी हैं जो पिछले कोरोना काल के कड़े अनुभव को देखते हुए लॉकडाउन लगने से पहले गांव पहुंचने की जद्दोजहद में लगे हैं।
बोरिवली स्थित गारमेंट कंपनी में काम करने वाले नवाब शेख कहते हैं कि लॉकडाउन में कोई मुसीबत मोल नहीं लेना चाहता। इसलिए लोग गांव जा रहे हैं। मझगांव में रहने वाले आजमगढ़ के मूल निवासी मैकेनिक शकील अहमद भी टिकट की कतार में लगे हैं। कंस्ट्रक्शन में काम करने वाले राजू मिस्त्री का कहना है कि कंस्ट्रक्शन का काम शुरू है लेकिन दुकानें बंद हैं। इसलिए गांव जा रहे है।
इस तरह मुंबई से सटे ठाणे, नवी मुंबई और पालघर जिले के बोइसर से मजदूरों के अलावा पुणे के चाकण इंडस्ट्रियल क्षेत्र से भी मजदूरों का बड़े पैमाने पर पलायन शुरू है। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान मुंबई सहित राज्य के अन्य शहरों से प्रवासी मजदूरों के पलायन की दर्दनाक तस्वीरें सामने आई थीं। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इससे कोई सीख नहीं ली। अब हालत यह हो गई है कि जो दुबारा आए वे भी गांव भाग रहे हैं।