Farmer Protest: राकेश टिकैत की यूपी के नेताओं से क्‍यों नहीं बनती है? – News18 हिंदी

राकेश टिकैत दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर भी रह चुके हैं. (फाइल फोटो)

Farmer Protest: नए कृषि कानूनों के विरोध में कई हफ्तों से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है. इस दौरान राकेश टिकैत एक महत्‍वपूर्ण चेहरा बनकर उभरे हैं अलग-अलग आंदोलन के चलते वो करीब 40 बार जेल जा चुके हैं.

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  • Last Updated:
    January 28, 2021, 11:31 AM IST
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नोएडा. खाप पंचायतों (Khap Panchayat) के रिवाज के मुताबिक बड़ा बेटा घर और पिता की विरासत का मुखिया होता है. इसी के चलते भारतीय किसान यूनियन (BKU) के अध्यक्ष रहे महेन्द्र सिंह टिकैत (Mahendra Singh Tikait) के बड़े बेटे नरेश टिकैत को पिता के बाद यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया. राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) को राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी गई. लेकिन, आज सबसे आगे चेहरा राकेश टिकैत का दिखाई देता है. अध्यक्ष से ज़्यादा नाम भी उन्हीं का है. किसानों के इस आंदोलन (Farmer Protest) में भी वो खूब उभरकर सामने आए हैं. यही वजह है कि यूपी के दूसरे किसान नेताओं से उनकी कुछ खास नहीं बनती है.

वेस्ट यूपी के वरिष्ठ पत्रकार अमजद काज़ी के मुताबिक, वेस्ट यूपी के गन्ना किसानों का आंदोलन हो या फिर किसानों के दूसरे मसले, राकेश टिकैत मजबूती के साथ सभी आंदोलन में आगे खड़े दिखाई देते हैं.  आईएएस-आईपीएस अधिकारी हों या फिर सांसद-विधायक, इन सभी के साथ बेबाकी से बात करने की उनकी शैली ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष से ज़्यादा प्रसिद्धी दिलाई है. यही वजह है कि अलग-अलग आंदोलन के चलते वो करीब 40 बार जेल जा चुके हैं.

भाकियू के इस गुट की नहीं बनती टिकैत से
भाकियू (भानु गुट) के अलावा वेस्ट यूपी के कई किसान संगठन की राकेश टिकैत से नहीं बनती है. इनमें से एक सरदार वीएम सिंह भी शामिल हैं. सरदार वीएम सिंह तो खुल्लम-खुल्ला आरोप लगाते हुए कहते हैं. “राकेश टिकैत को तो मीडिया ने हीरो बना रखा है. यह तो सरकार के एजेंट हैं.” वीएम सिंह वही हैं जिन्होनें किसान आंदोलन से अपना नाम वापस ले लिया है. हालांकि, इस नाराजगी के पीछे की वजह भी हर जगह राकेश टिकैत को तवज्जो मिलना है.Noida Authority: नोएडा के इन 5 सेक्टर में खरीदा है मकान तो अब नहीं हो पाएगी रजिस्ट्री, जानें क्या है बड़ी वजह

दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर की नौकरी भी की थी
राकेश टिकैत मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए हैं. शुरुआत में ही उन्हें दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर की नौकरी मिल गई थी, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी. इसके बाद किसानों के संग आ खड़े हुए. मुजफ्फरनगर के सिंगोली गांव में जन्मे राकेश की ससुराल बागपत में है. जानकारों का कहना है कि किसानों के इस आंदोलन में राकेश टिकैत की आक्रमक शैली भी सामने आई है.

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बेबाकी से किसी भी बात को कह देने के चलते ही राकेश मीडिया की फुटेज का हिस्सा बने रहते हैं. 2 महीने के इस आंदोलन में एक बार भी भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत टीवी या अखबार की सुर्खियां बनते नज़र नहीं आए. सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इस दौरान उनका मोबाइल भी ज़्यादातर बंद ही रहता है.

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