नए कृषि कानून को चाह कर भी ठंडे बस्ते में नहीं डाल सकती सरकार! जाना होगा सुप्रीम कोर्ट या संसद – News18 हिंदी

तीनों कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी है

New Farm Laws: सरकार डेढ़ साल तक के लिए नए कानूनों को निलंबित करना चाहती है. लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं है. आज दोनों पक्षों के बीच 11वें दौर की बातचीत होगी.

  • News18Hindi
  • Last Updated:
    January 22, 2021, 1:22 PM IST
  • Share this:
नई दिल्ली. नए कृषि कानून (New Farm Laws) को लेकर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध लगातार बरकरार है. किसानों ने मोदी सरकार के नए प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. सरकार डेढ़ साल तक के लिए नए कानूनों को निलंबित करना चाहती है. लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं है. आज दोनों पक्षों के बीच 11वें दौर की बातचीत होगी. इस बीच ऐसा लग रहा है कि सरकार की तरफ से प्रस्तावित कदम संवैधानिक उलझनों में फंस सकता है. जानकारों का कहना है अगर सरकार इस नए कानून पर कुछ समय के लिए रोक लगना चाहती है या फिर रद्द इसके लिए उन्हें सुप्रीम को कोर्ट या फिर संसद जाना होगा.

पिछले साल सितंबर में संसद द्वारा इस कानून को पारित किया गया था. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सहमति के बाद 27 सितंबर को इसे आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित किया गया था. बता दें कि संसद किसी भी कानून को निरस्त कर सकती है. लेकिन संविधान या संसदीय प्रक्रिया में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है जिससे कि किसी कानून को ठंडे बस्ते में डाला जा सके.

[embedded content]

क्या हैं दिक्कतें?सरकार का कहना है कि अगर किसान उनके प्रसताव को मान लेते हैं तो फिर आधिकारिक राजपत्र को रद्द करने के लिए नया नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. लेकिन कानून के जानकारों का कहना है कि ये इतना आसना नहीं है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कानून विशेषज्ञों ने कहा कि इसमें काफी सारी उलझने हैं. लोकसभा के पूर्व महासचिव, पी डी टी आचार्य ने कहा, ‘मेरे विचार में कानून को सरकार द्वारा ठंडे बस्ते में नहीं डाला जा सकता है. एक बार कानून संसद द्वारा पारित हो जाने के बाद सरकार केवल इसे लागू कर सकती है.’

ये भी पढ़ें:- प्यारे मियां केस: नाबालिग के शव को सीधे ले गई श्मशान, परिजनों का हत्या का आरोप

image

सरकार के पास दो विकल्प
लोकसभा के और पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप का कहना है, ‘मैंने ऐसी स्थिति नहीं देखी है, जहां सरकार खुद इस कानून के प्रभावी होने के बाद इसे ठंडे बस्ते में डालना चाहती है.’ आचार्य का कहना है कि कानून पर फिलहाल रोक लगाने का अधिकार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के पास है न की सरकार के पास. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार इस कानून को वापस संसद लेकर जा सकती है. जहां इसमें संसोधन या फिर इसे रद्द करने का फैसला लिया जा सकता है.

Related posts