सरकार और किसानों में 10वें दौर की बैठक जारी: किसानों ने कहा- आए तो हैं, पर ज्यादा उम्मीद नहीं; राहुल ने किस… – दैनिक भास्कर

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नई दिल्ली39 मिनट पहले

किसान आंदोलन का आज 51वां दिन है। केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच आज 10वें दौर की बातचीत विज्ञान भवन में जारी है। लंच के दौरान किसानों ने भास्कर को बताया कि अभी गतिरोध जारी है। हमने पंजाब में ट्रांसपोर्टर्स के ठिकानों पर NIA के छापों और हरियाणा में दर्ज किए गए केसों का मसला भी उठाया है।

बैठक से पहले किसानों ने कहा कि हम सिर्फ कृषि कानूनों की वापसी चाहते हैं। साथ ही यह भी कि हमारी फसलों को MSP की कानूनी गारंटी मिले। किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि हम बातचीत के लिए आए तो हैं, पर ज्यादा उम्मीद नहीं है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम बातचीत से हल निकालना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के बारे में सवाल करने पर वो बोले- कमेटी ने हमें बुलाया तो हम अपना पक्ष रखने जाएंगे।

कृषि कानूनों पर किसानों से चर्चा के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 12 जनवरी को 4 एक्सपर्ट्स की एक कमेटी बनाई गई थी। 14 जनवरी यानी दो दिन बाद ही कमेटी से भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने नाम वापस ले लिया। अब कमेटी 19 जनवरी को किसानों के साथ पहली बैठक कर सकती है।

मोदी और उनके बिजनेसमैन दोस्त सब छीन लेंगे- राहुल गांधी

किसानों के लिए निकाले मार्च में राहुल और प्रियंका गांधी शामिल हुए।

राहुल गांधी ने कहा, ‘किसान को ये बात समझ आ गई है कि हमारी आजादी छिन गई है। हिंदुस्तान को ये बात समझनी है। नरेंद्र मोदी और 2-3 उद्योगपति मित्र, जो भी आपका है, वो (नरेंद्र मोदी) आपसे छीनने जा रहे हैं। जहां भी देखिए, मीडिया, IT, रिटेल, पावर में देखिए, आपको 4-5 बिजनेसमैन और नरेंद्र मोदी हैं। ये 4-5 लोग ही देश को चला रहे हैं। किसान और आम लोग कहीं नहीं हैं।’

‘वो (नरेंद्र मोदी) सोचते हैं कि सड़क के बैठे किसान 10, 15, 20, 30 दिन में चले जाएंगे। मैं बताना चाहता हूं कि इस देश का किसान डरेगा नहीं, वो भागेगा नहीं। आपको भागना पड़ेगा। हिंदुस्तान में अब तो किसी मुद्दे पर कोई डिबेट नहीं हो रही। सिर्फ मोदी ही बोलते हैं।’

किसान आंदोलन अपडेट्स…

  • किसान नेता दर्शनपाल ने कहा, ‘आज की बैठक में ज्यादा कुछ होता नजर नहीं आ रहा। इन लोगों ने बुलाया है और हम आए हैं ताकि ये आरोप न लगे कि हम मीटिंग में आना नहीं चाहते हैं। सरकार डिटेल डिस्कशन करके कानूनों और MSP पर फैसला कर सकती है।’
  • बातचीत से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी बनाने का फैसला स्वागत योग्य है। हम कमेटी के सामने अपना नजरिया रखेंगे और हम बातचीत से मसले का हल निकालना चाहते हैं।
  • किसान नेता विज्ञान भवन पहुंचे। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी ही हमारी मांग है। यही हमारी उम्मीद है और इसे पूरा तो सरकार को ही करना है।
  • बैठक से पहले किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा, ‘कृषि कानून संसद में पास हुए हैं और सरकार जानती है कि इन कानूनों को कोर्ट निष्प्रभावी नहीं कर सकता। किसी कमेटी का बना दिया जाना ही समाधान नहीं है।’

नए कानून एग्रीकल्चर रिफॉर्म्स का रास्ता बनाएंगे: IMF
इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (IMF) ने कहा कि भारत के नए किसान कानूनों को रिफॉर्म्स के लिए नया रास्ता बताया है। IMF के कम्युनिकेशन डायरेक्टर गैरी राइस के मुताबिक, भारत के ये नए कानून किसानों के काफी मददगार साबित होंगे। किसान बिना बिचौलियों के सीधे विक्रेताओं से संपर्क कर सकेंगे। इससे गांवों की ग्रोथ में इजाफा होगा। हालांकि, राइस ने यह भी कहा कि नए कानूनों से जिन पर (किसानों पर) खराब असर पड़ रहा है, उन्हें और मजबूत किए जाने की जरूरत है।

अमर जवान ज्योति पर तिरंगा फहराएंगे- टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा था, ’26 जनवरी को हम अपनी रैली लालकिले से इंडिया गेट तक निकालेंगे। इसके बाद सभी किसान अमर जवान ज्योति पर इकट्ठा होंगे और वहां तिरंगा फरहाएंगे। यह ऐतिहासिक होगा, जहां एक तरफ किसान होंगे और दूसरी तरफ जवान।’

8 तारीख की बैठक में किसानों ने ये पोस्टर दिखाया था

अब तक की 9 बैठकों में क्या हुआ?

पहला दौरः 14 अक्टूबर
क्या हुआः मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे।

दूसरा दौरः 13 नवंबर
क्या हुआः कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

तीसरा दौरः 1 दिसंबर
क्या हुआः तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।

चौथा दौरः 3 दिसंबर
क्या हुआः साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे।

5वां दौरः 5 दिसंबर
क्या हुआः सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।

6वां दौरः 8 दिसंबर
क्या हुआः भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।

7वां दौर: 30 दिसंबर
क्या हुआ: नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। दो मुद्दों पर मतभेद कायम, लेकिन दो पर रजामंदी बनी।

8वां दौर: 4 जनवरी
क्या हुआ: 4 घंटे चली बैठक में किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे। मीटिंग खत्म होने के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है।

9वां दौर: 8 जनवरी
क्या हुआ: बातचीत बेनतीजा रही। किसानों ने बैठक में तल्ख रुख अपनाया। बैठक में किसान नेताओं ने पोस्टर भी लगाए, जिन पर गुरुमुखी में लिखा था- मरेंगे या जीतेंगे। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी माना कि 50% मुद्दों पर मामला अटका हुआ है।

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