खालिस्तान समर्थकों की कई फोटो वायरल हो रही है
पिछले दिनों कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं. इन तस्वीरों के देखने से साफ झलकता है कि कुछ लोग किसान आंदोलन की आड़ में देश विद्रोही गतिविधि को बढ़ावा दे रहे हैं. कुछ दिन पहले ही आंदोलन में शामिल एक शख्स कह रहा था कि जो हाल इंदिरा गांधी का हुआ था वही हाल मोदी का भी होगा. वाकई में यह बयान किसी आंदोलनकारी का नहीं हो सकता.
किसान आंदोलन की आड़ में देश विद्रोही गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है?
कौन था भिंडरांवाले
जानकार मानते हैं कि यह भाषा खालिस्तान समर्थकों की भाषा है. किसान आंदोलन के एक तस्वीर में प्रदर्शनकारियों के हाथ में भिंडरावाला की फोटो भी नजर आई है. भिंडरावाला खालिस्तानी आतंकवादी था और उसे ही स्वर्ण मंदिर से बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था. इस ऑपरेशन के बाद ही देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिख सुरक्षाकर्मियों के द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
[embedded content]
कांग्रेस सांसद ने भी लगाया ये आरोप
कांग्रेस के ही सांसद रवनीत बिट्टू ने कहते हैं, ‘प्रदर्शन को जल्द रोका जाए नहीं तो दंगे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. CAA प्रदर्शन से जुड़े लोग भी किसान आंदोलन में शामिल हैं. खालिस्तान आंदोलन से जुड़े लोगों के अलावा बाकी असामाजिक तत्वों के शामिल होने की बात भी सामने आ रही है. दूसरे आंदलोन और प्रदर्शन में असफल हुए लोग इसकी आड़ में अपना फायदा उठाना चाहते हैं.’
दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं किसान. (Pic ANI)
क्या कहते हैं किसान संगठन
वहीं, किसान नेताओं ने कहा है कि वो किसी को भी मंच नही दे रहे हैं. जो किसानों को बिना फायदे उठाए समर्थन दे रहे हैं, हम उनका स्वागत कर रहे हैं. किसान संगठनों के अलावा जो लोग इस आंदोलन में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं, हमें ऐसे लोगों की बिल्कुल जरूरत नहीं है. किसानों ने साफ किया है कि वो ऐसे किसी भी व्यक्ति को मंच नहीं देंगे, जो इसका फायदा उठाए. सिर्फ किसान ही इस प्रदर्शन में शामिल होंगे.’
आंदोलन का फायदा कौन उठा रहा है
जेडीयू नेता के सी त्यागी कहते हैं, ‘किसान आंदोलन की जड़ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सामाजिक संगठनों तक पहुंच गई है. कुछ राजनीतिक दल और कुछ अतिवादी संगठन इसमें शामिल हो रहे हैं, तो इसमें आश्चर्य नहीं है. इस आंदोलन की कोई विचारधारा नहीं है. यह जनता को छूने वाला आंदोलन है. इसका लाभ उठाने के चक्कर में सभी राजनीतिक दल हैं. यह गैर राजनीतिक आंदोलन है. जो किसान आंदोलन की आड़ में हिंसा और वैमनस्य फैलाना चाहते हैं, उन्हें सरकार देखे उनकी गिरफ्तारी हो.’
सरकार से बातचीत के बाद भी किसान नेता कृषि कानूनों को रद्द करवाने पर अडिग हैं. (फोटो साभार-AP)
बीजेपी का क्या है रुख
बीजेपी नेता और प्रवक्ता आरपी सिंह ने कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू के खालिस्तान वाले बयान पर कहा, ‘ये रवनीत बिट्टू को बताना होगा की उन्होंने किस तरह के लोग यहां पर भेजे हैं. ये सब उन्हे पंजाब में ही चैक करना था कि किस तरह के लोग इसमें भागीदारी करने जा रहे हैं.’ आरपी सिंह पीएम मोदी के विरोधी लोगों का प्रदर्शन के समर्थन में आने के सवाल पर कहते हैं, ‘कुछ इस तरह के लोग हैं, जो कि लगातार प्रधानमंत्री का विरोध करते हैं. चाहे वो किसी भी कीमत पर हो. वो टुकड़े-टुकड़े गैंग है, वो सीएए के प्रदर्शन में झूठ बोलकर बरगलाए हुए लोग हैं या उनके नेता हैं.’
ये भी पढ़ें: Ration Card में नाम जुड़वाने को लेकर हुआ बड़ा फैसला, जानिए सबकुछ
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार
वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, ‘पंजाब के किसानों ने अपने हक की लड़ाई शुरू से लड़ती आ रही है. पंजाब के किसान देश की बड़ी आबादी को अन्न भी उपलब्ध करवाया है. कृषि क्षेत्र के हकों की लड़ाई लड़ने में और उसे हासिल करने में पंजाब के किसान हमेशा अगुवा रहा है. 1939 में ब्रिटिश राज के संयुक्त पंजाब में किसानों की हितों की सुरक्षा के लिए पंजाब एग्रीकल्चर प्रोडयूस मार्केट एक्ट पारित किया गया था. इसके पीछे उस समय के बड़े किसान सर छोटू राम का दिमाग था. पंजाब के किसानों ने देश की जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए पंजाब के पानी का दोहन किया. अपनी जमीनें भी खराब की. लेकिन, आज उन्हें खालिस्तानी औऱ देशद्रोही कहा जा रहा है.’