107 देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत इस साल 94वें नंबर के साथ सीरियस कैटेगरी में रहा है। दुनियाभर में भूख और कुपोषण की स्थिति पर नजर रखने वाली वेबसाइट ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने शुक्रवार को यह रिपोर्ट जारी की, जो शनिवार को सामने आई। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुपोषण (मैल्नूट्रिशन) से निपटने में ढीले रवैए और बड़े राज्यों की खराब परफॉर्मेंस जैसी वजहों से भारत की रैंकिंग नीचे रही है।
भारत का नंबर पाकिस्तान, बांग्लादेश से भी नीचे
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में बांग्लादेश, पाकिस्तान और म्यांमार भी सीरियस कैटेगरी में रखे गए हैं, लेकिन तीनों की रैंक भारत से ऊपर है। बांग्लादेश 75वें, म्यांमार 78वें और पाकिस्तान 88वें नंबर पर है। नेपाल 73वीं रैंक के साथ मॉडरेट हंगर कैटेगरी में है। इसी कैटेगरी में शामिल श्रीलंका का 64वां नंबर है। (पूरी रैंकिंग देखने के लिए यहां क्लिक करें)
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “भारत का गरीब भूखा है, क्योंकि सरकार सिर्फ अपने कुछ खास मित्रों की जेबें भरने में लगी है।”
भारत का ग़रीब भूखा है क्योंकि सरकार सिर्फ़ अपने कुछ ख़ास ‘मित्रों’ की जेबें भरने में लगी है। pic.twitter.com/MMJHDo1ND6
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 17, 2020
भारत की 14% आबादी को पूरा पोषण नहीं
ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 5 साल तक के बच्चों कुपोषण की दर 37.4%, शारीरिक विकास कमजोर रहने की दर 17.3% है। पांच साल तक के बच्चों में मोर्टेलिटी रेट (मृत्यु दर) 3.7 है। देश की 14% आबादी को पूरा पोषण नहीं मिल रहा।
31 देश सीरियस कैटेगरी में शामिल, इनका स्कोर 20 से ज्यादा
ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने देशों में भूख और कुपोषण की स्थिति के आधार पर स्कोर देकर उन्हें अलग-अलग कैटेगरी में बांटा है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान समेत 31 देश सीरियस कैटेगरी में हैं।
- एस्वातिनी
- बांग्लादेश
- कंबोडिया
- ग्वाटेमाला
- म्यांमार
- बेनिन
- बोस्तवाना
- मालावी
- माली
- वेनेजुएला
- केन्या
- मॉरिशियाना
- टोगो
- कोटे डी आइवर
- पाकिस्तान
- तंजानिया
- बुरकिना फासो
- कॉन्गो
- इथिओपिया
- अंगोला
- भारत
- सूडान
- कोरिया
- रवांडा
- नाइजीरिया
- अफगानिस्तान
- लेसोथो
- सेरा लिओन
- लाइबेरिया
- मोजाम्बिक
- हैती
रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान के 1991 से 2014 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि कुपोषण के शिकार ज्यादातर वे बच्चे हैं, जिनके परिवार कमजोर खुराक, मां का कम पढ़ी-लिखी होना और गरीबी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन सालों के दौरान भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की ट्रॉमा, इंफेक्शन, न्यूमोनिया और डायरिया से मौत की दर (मोर्टेलिटी रेट) में कमी आई है। हालांकि, प्री-मैच्योरिटी और कम वजन की वजह से गरीब राज्यों और ग्रामीण इलाकों में मोर्टेलिटी में इजाफा हुआ है।
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Source: DainikBhaskar.com