संसद परिसर में धरना पर बैठे आठ निलंबित सांसद
– फोटो : PTI
ख़बर सुनें
संसद सत्र के आठवें दिन सोमवार को राज्यसभा में विपक्षी सांसदों के हंगामे का मुद्दा उठा। इसके बाद सभापति वेंकैया नायडू ने आठ विपक्षी सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें एक हफ्ते के लिए निलंबित कर दिया। निलंबित होने के बाद भी विपक्षी सांसद सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेते रहे और हंगामा करते रहे। इसके कारण राज्यसभा की कार्यवाही को तीन बार स्थगित करना पड़ा। निलंबित सदस्य सदन से बाहर नहीं जाने पर अड़े रहे। परिणामस्वरूप राज्यसभा की कार्यवाही को मंगलवार सुबह नौ बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
इस बीच, कांग्रेस समेत 18 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कृषि बिलों पर हस्ताक्षर नहीं करने की अपील की। वहीं, संसद परिसर स्थित गांधी प्रतिमा के पास निलंबित सांसद डेरेक ओ ब्रायन, राजीव सातव, संजय सिंह, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन, सैयद नजीर हुसैन और इलामारन करीम धरना पर बैठ गए। बताया जा रहा है कि वे रात भर संसद परिसर में धरना देंगे। इतना ही नहीं निलंबित सांसद गाना गाकर विरोध जताते दिखे।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद सोमवार देर शाम निलंबित सांसदों से मिलने पहुंचे। उन्होंने कहा कि रविवार को दो कृषि बिलों को बिना वोटिंग के पास कर दिया गया, जबकि विपक्षी सांसद विरोध कर रहे थे। इस मामले में सरकार और उप सभापति गलत थे, लेकिन विपक्ष के सांसदों को सजा दी जा रही है। सांसदों ने न तो उप सभापति को हाथ लगाया और न ही मार्शल को।
The bills were passed without voting (in Rajya Sabha) yesterday against which Opposition MPs protested. The government and the presiding officer are at fault but Opposition MPs are being punished: Ghulam Nabi Azad, Leader of Opposition in Rajya Sabha https://t.co/sh4VQPNPHW pic.twitter.com/VBkjRINhjA
— ANI (@ANI) September 21, 2020
दरअसल, रविवार को कृषि से जुड़े दो विधेयक राज्यसभा में पास हुए थे। चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने वेल में आकर नारेबाजी और हंगामा किया था और उप सभापति हरिवंश सिंह के सामने लगा माइक तोड़ दिया था। इन आठ सांसदों पर उप सभापति के साथ असंसदीय व्यवहार करने का आरोप है।
कांग्रेस, एनसीपी और टीएमसी समेत 18 पार्टियों ने राष्ट्रपति से अपील की
कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी, एसपी समेत 18 पार्टियों ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा। इसमें कृषि बिल मामले में हस्तक्षेप करने और बिलों पर हस्ताक्षर नहीं करने की अपील की गई है। विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार इन बिलों के जरिए देश में अपना एजेंडा लागू करना चाहती है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल कानून बन जाएंगे।
वहीं, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इन बिलों के विरोध में 24 सितंबर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा की है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। पहले नोटबंदी से व्यापार बंदी और अब कृषि बिलों से खेत बंदी की जा रही है। हमने जन आंदोलन की तैयारी कर ली है। अगले 72 घंटे में कांग्रेस राज्यों में और फिर राजभवन के सामने प्रदर्शन करेगी।