हरिवंश की तीन पेज की वह चिट्ठी जिसके पीएम मोदी भी हुए मुरीद – Navbharat Times

नई दिल्ली
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह (Deputy Chairman of Rajya Sabha Harivansh Narayan Singh) अपनी सादगी, सरलता और मधुर व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में राज्यसभा में 20 सितंबर को विपक्षी सांसदों के हंगामे के चलते हरिवंश काफी आहत हुए और राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा। पत्र में कही गई बातों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके मुरीद हो गए हैं। पीएम मोदी ने उनके पत्र को सोशल मीडिया पर बकायदा शेयर करते हुए उनकी तारीफ की है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन पेज के पत्र को ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा, ‘माननीय राष्ट्रपति जी को माननीय हरिवंश जी ने जो पत्र लिखा, उसे मैंने पढ़ा। पत्र के एक-एक शब्द ने लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था को नया विश्वास दिया है। यह पत्र प्रेरक भी है और प्रशंसनीय भी। इसमें सच्चाई भी है और संवेदनाएं भी। मेरा आग्रह है, सभी देशवासी इसे जरूर पढ़ें।



’20 सितंबर की घटना से सदन की मर्यादा को पहुंची अकल्पीनय क्षति’
राष्ट्रपित को लिखे पत्र में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा, ‘कल 20 दिसंबर को राज्यसभा में जो कुछ हुआ, उससे पिछले दो दिनों से गहरी आत्मपीड़ा, तनाव और मानसिक वेदना में हूं। मैं पूरी रात सो नहीं पाया। जेपी के गांव में पैदा हुआ। सिर्फ पैदा नहीं हुआ, उनके परिवार और हम गांव वालों के बीच पीढ़ियों का रिश्ता रहा। गांधी का बचपन से से गहरा असर पड़ा। गांधी, जेपी, लोहिया और कर्पूरी ठाकुर जैसे लोगों के सार्वजनिक जीवन ने मुझे हमेशा प्रेरित किया। जयप्रकाश आंदोलन और इन महान विभूतियों की परंपरा में जीवन में सार्वजनिक आचरण अपनाया। मेरे सामने 20 सितंबर को उच्च सदन में जो दृश्य हुआ, उससे सदन, आसन की मर्यादा को अकल्पीनय क्षति पहुंची है।

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‘लोकतंत्र के नाम पर हिंसक व्यवहार’
सभापति को लिखे पत्र में उप सभापति हरिवंश ने कहा, ‘सदन के सदस्यों की ओर से लोकतंत्र के नाम पर हिंसक व्यवहार हुआ। आसन पर बैठे व्यक्ति को भयभीत करने की कोशिश हुई। उच्च सदन की हर मर्यादा और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई गईं। सदन में सदस्यों ने नियम पुस्तिका फाड़ी। मेरे ऊपर फेंका।’

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‘सदन में दस्तावेजों को पलटने, फेंकने और फाड़ने की घटनाएं हुईं’
उप सभापति हरिवंश ने कहा, ‘सदन के जिस ऐतिहासिक टेबल पर बैठकर सदन के अधिकारी, सदन की महान परंपराओं को शुरू से आगे बढ़ाने में मूक नायक की भूमिका अदा करते रहे हैं, उनकी टेबल पर चढ़कर सदन के जरूरी कागजात-दस्तावेजों को पलटने, फेंकने और फाड़ने की घटनाएं हुईं।’

‘सदन में लोकतंत्र का चीरहरण’
उप सभापति हरिवंश ने कहा, ‘नीचे से कागज को रोल बनाकर आसन पर फेंके गए। आक्रामक व्यवहार, भद्दे और असंसदीय नारे लगाए गए। हृदय और मानस को बेचैन करने वाला लोकतंत्र के चीरहरण का पूरा नजारा रात मेरे मस्तिष्क में छाया रहा। इस कारण मैं सो नहीं सका।’ आगे कहा कि गांव का आदमी हूं, मुझे साहित्य, संवेदना और मूल्यों ने गढ़ा है।

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