भारत में कोरोना वैक्सीन के दो कैंडिटेड
कोरोना वैक्सीन की बात करें तो भारत में दो वैक्सीन कैंडिटेड ह्यूमन ट्रायल में हैं। जरूरत और आबादी के कारण भारत अमूमन 3 अरब वैक्सीन हर साल तैयार करता है। इसमें से वह 2 अरब वैक्सीन डोज हर साल निर्यात करता है। वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग में भारत कितना आगे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है हर 3 में एक वैक्सीन मेड इन इंडिया होती है
11 कोरोना वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल तक
कोरोना वैक्सीन की प्रगति की बात करें तो पूरी दुनिया में अब तक 11 वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल तक पहुंची है। इनमें सो दो भारत से है। भारत के दो वैक्सीन कैंडिडेट COVAXIN और ZyCov-D है। भारत बायोटेक (Bharat Biotech) COVAXIN के लिए ह्यूमन ट्रायल पर आगे बढ़ी है। वह 375 सब्जेक्ट पर ह्यूमन ट्रायल कर रही है। जायडस कैडिला (Zydus Cadila) ZyCov-D के लिए ह्यूमन ट्रायल पर आगे बढ़ी है। कैडिला 1000 से ज्यादा सब्जेक्ट के साथ ट्रायल पर आगे बढ़ी है।
6 कंपनियां ग्लोबल इंस्टिट्यूट के साथ वैक्सीन पर काम
इसके अलावा भारत की छह फार्मास्युटिकल कंपनियां ग्लोबल इंस्टिट्यूट के साथ मिलकर अलग-अलग स्तर पर कोरोना वैक्सीन की दिशा में काम कर रही हैं। आने वाले समय में इन कंपनियों द्वारा तैयार की गई वैक्सीन भी कोरोना पर जंग में बहुत अहम होगी।
मास प्रॉडक्शन के कारण काफी सस्ता
दरअसल भारत में वैक्सीन का बहुत बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग होता है। मास प्रॉडक्शन के कारण यह दूसरे देशों के मुकाबले सस्ता होता है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया विश्व में सबसे ज्यादा वैक्सीन तैयार करती है। हर साल यह 1.5 अरब डोज वैक्सीन तैयार करती है।
165 देशों को सप्लाई करती है
सीरम इंस्टिट्यूट की पुणे में दो फसिलिटी है। इसके अलावा दो फसिलटी विदेशों में है। वर्तमान में यह कंपनी 20 अलग-अलग वैक्सीन 165 देशों को सप्लाई करती है। करीब 80 फीसदी वैक्सीन यह निर्यात करती है। कीमत दुनिया में सबसे ज्यादा सस्ती होती है।