फोन टैपिंग के आरोपों से घिरी गहलोत सरकार; गैरकानूनी साबित होने पर तीन साल तक की सजा हो सकती है

राजस्थान में चल रही सियासी उठापटक के बीच बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती और भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने फोन टैपिंग की वैधानिकता पर सवाल उठाए हैं। यह पहला मौका नहीं जब फोन टैपिंग को लेकर सियासत गरमाई हो। पिछले साल कर्नाटक और उसके बाद छत्तीसगढ़ में फोन टैपिंग के आरोप लगे थे। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या किसी सरकार को किसी भी व्यक्ति के फोन टैप करने की इजाजत है? इस संबंध में कानून और नियम क्या कहते हैं?

क्या है राजस्थान फोन टैपिंग का मामला?

  • कुछ दिन पहले राजस्थान में तीन ऑडियो टैप सार्वजनिक हुए और इनमें कथित तौर पर दो व्यक्ति सरकार को गिराने के लिए विधायकों को पैसे देने की बात कहते सुने गए।
  • कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के मुताबिक एक ऑडियो में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस के भंवरलाल शर्मा की आवाजें हैं। हालांकि, शर्मा और शेखावत, दोनों ही इन आरोपों को खारिज कर चुके हैं।
  • कांग्रेस ने बागी विधायकों और भाजपा के बीच की साठगांठ के आरोपों की जांच के लिए राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) से कराने की मांग की है। यह विभाग सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को रिपोर्ट करता है।
  • सुरजेवाला की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ ही देर बाद एसओजी ने दो एफआईआर दर्ज किए। एक मामला राजद्रोह का है। कांग्रेस ने शर्मा की गिरफ्तारी की मांग की है, वहीं शर्मा के साथ-साथ एक अन्य विधायक विश्वेंद्र सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया है।
  • इस बीच, भाजपा के लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने सुरजेवाला समेत कुछ कांग्रेस नेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। इसमें ऑडियो क्लिप में शेखावत का नाम गलत तरीके से लेने का आरोप है।
  1. क्या राजस्थान सरकार ने यह फोन टैप किए हैं?
  • यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है। तीन ऑडियो टैप सामने आने के बाद भाजपा के साथ-साथ बसपा ने भी कांग्रेस की सरकार पर आरोप लगाए हैं। इस मामले की जांच के लिए सीबीआई जांच की मांग भी की है।
  • क्या सरकार को दो व्यक्तियों के फोन टैप करने के अधिकार है?
  • हां। केंद्र और राज्य सरकारें दो व्यक्तियों के बीच की बातचीत को इंटरसेप्ट कर सकती है। पत्र, टेलीफोन (मोबाइल और लैंडलाइन) और इंटरनेट कम्युनिकेशन (ईमेल्स, चैट आदि) को सरकार इंटरसेप्ट कर सकती है।
  • पत्र व्यवहार को इंडियन पोस्ट ऑफिस एक्ट 1898 के सेक्शन 26 के तहत, टेलीफोन को इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के सेक्शन 5(2) के तहत और ई-मेल्स/चैट्स को इंफर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के सेक्शन 69 के तहत रिकॉर्ड किया जा सकता है।

किन परिस्थितियों में सरकार दो लोगों की बातचीत रिकॉर्ड कर सकती है?

  1. पत्र व्यवहारः आपातकाल या जनता की सुरक्षा या शांति के लिए आवश्यक होने पर।
  2. टेलीफोन, ईमेल्स/चैट्स आदिः देश की संप्रभुता और एकता को बनाए रखने के लिए, देश की सुरक्षा के लिए, विदेशों से दोस्ताना रिश्तों को कायम रखने के लिए, किसी अपराध या उकसावे को रोकने के लिए या कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए।

तो क्या इस फोन टैपिंग प्रक्रिया के दुरुपयोग को नहीं रोका जा सकता?

  • फोन टैपिंग के दुरुपयोग की अनुमति किसी को नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार को भी नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने पीयूसीएल की एक जनहित याचिका पर सुनाए फैसले में कहा था कि प्रत्येक व्यक्ति को फोन पर बात करने का अधिकार है। यह उस व्यक्ति के संविधान के आर्टिकल 21 के तहत जीने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है।

तो फिर यह कौन तय करता है कि फोन टैपिंग होना चाहिए?

  • इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एसओपी बनाया गया था। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने पिछले साल लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि सिर्फ 10 केंद्रीय एजेंसियों को फोन टैपिंग का अधिकार है।
  • कानून, नियमों और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) के तहत ही फोन टैपिंग की जा सकती है। केंद्र के मामले में केंद्रीय गृह सचिव और राज्य के मामले में संबंधित राज्य सरकार के गृह सचिव से इसकी अनुमति लेनी होती है।

किन एजेंसियों को है फोन रिकॉर्ड करने की अनुमति?

  • इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी), नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी), डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई), नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए), रॉ, सिग्नल्स इंटेलिजेंस डायरेक्टरेट (एसआईडी) और दिल्ली पुलिस आयुक्त को एसओपी को फॉलो करते हुए फोन टैपिंग का अधिकार है।

गैरकानूनी रूप से फोन टैपिंग होने पर क्या है सजा?

  • गैरकानूनी रूप से फोन टैपिंग राइट टू प्राइवेसी यानी निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है। इस संबंध में मानवाधिकार आयोग के पास शिकायत की जा सकती है।
  • यदि व्यक्ति को पता चल जाए कि उसके फोन गैरकानूनी तरीके से टैप हो रहे हैं तो वह पास के पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कर सकता है।
  • इतना ही नहीं, पीड़ित व्यक्ति फोन टैप करने वाले के खिलाफ इंडियन टेलीग्राफिक एक्ट के सेक्शन 26 (बी) के तहत कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर सकता है। इसके तहत गैरकानूनी टैपिंग करने वाले को तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।
  • अधिकृत तौर पर फोन टैपिंग करने पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है यदि रिकॉर्ड किए गए डेटा को गलत तरीके से शेयर किया जाता है।

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Ashok Gehlot Government News; Know What is Rajasthan Phone Tapping Case? Everything You Need to Know about

Source: DainikBhaskar.com

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