कुलभूषण जाधव की फांसी की सज़ा पर पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग बोला – BBC हिंदी


पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन मेहदी हसन ने कहा है कि संभावना है कि कुलभूषण जाधव को फाँसी न दी जाए और उनकी अदला-बदली भारत की क़ैद में किसी पाकिस्तानी से की जा सकती है.

पाकिस्तान की क़ैद में मौजूद कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सरकार भारत का जासूस बताती है जबकि भारत का कहना है कि वो एक पूर्व नौसेना अधिकारी और बिज़नेसमैन हैं.

ह्यूमन राईट्स कमीशन ऑफ़ पाकिस्तान के चेयरमैन मेंहदी हसन ने लाहौर से फ़ोन पर बीबीसी से बात करते हुए कहा कि जाधव को फाँसी न दी जाए इसकी मांग पाकिस्तान के कई हलक़ों में किया गया है.

मेहदी हसन ने ये भी कहा कि भारत को इस बात का क़ानूनी अधिकार हासिल है कि वो कुलभूषण जाधव की ओर से उनकी फाँसी की सज़ा के ख़िलाफ़ रिव्यू पिटीशन दाख़िल करे.

पाकिस्तान ने बुधवार को कहा था कि कुलभूषण जाधव ने अपनी फाँसी की सज़ा के ख़िलाफ़ अपील करने से मना कर दिया है.

जाधव की रहम की अपील पाकिस्तान के राष्ट्रपति के सामने भी लंबित है.

भारत ने जाधव के अपील दाख़िल न करने के पाकिस्तान के दावे को ख़ारिज करते हुए कहा था कि ये पाकिस्तान के उसी स्वांग का हिस्सा है ‘जो खेल वो पिछले चार सालों से रचता रहा है’.

भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को मजबूर किया है कि वो पुनर्विचार याचिका नहीं दाख़िल करें.

जाधव को 2017 में पाकिस्तान की एक फ़ौजी अदालत ने जासूसी और अन्य मामलों में मौत की सज़ा सुनाई थी.

भारत ने कुलभूषण जाधव के मामले में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस से अपील की थी कि वो भारतीय नागरिक को रिहा करे.

भारतीय उच्चायोग को भी याचिका दायर करने का अधिकार

सुनवाई के बाद 2019 में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पाकिस्तान से कहा था कि वो जाधव की मौत की सज़ा पर ग़ौर करे और उन्हें काउंसुलर ऐक्सेस दे.

इसके बाद भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों की जाधव से भेंट भी करवाई गई थी. लेकिन भारत का कहना था कि उसमें कई तरह की रुकावटें थीं.

ह्यूमन राईट्स कमीशन ऑफ़ पाकिस्तान के चेयरमैन का कहना था कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की तरफ़ से अपील दाख़िल करने के भारत के अधिकार को लेकर पाकिस्तान के कई क़ानूनविदों ने भी अपनी राय दी है.

पुनर्विचार याचिका कुलभूषण जाधव ख़ुद या उनके कोई क़ानूनी प्रतिनिधि या इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग दाख़िला कर सकता है.

पाकिस्तान के दावे के अनुसार, भारत पुनर्विचार याचिका नहीं दाख़िल करना चाहता है.

अगर पाकिस्तान की बात मान भी ली जाए तो आख़िर भारत ऐसा क्यों नहीं करना चाहता है, ये पूछे जाने पर मेहदी हसन कहते हैं, “मेरा ख़याल है कि भारत इस मामले को ‘पेंडिग’ रखना चाहता है. मगर इसकी वजह?, तब तक मामला शायद कुछ ठंडा हो जाए और मुल्क में इसको लेकर जो जज़्बात हैं वो भी कुछ कम हो जाएंगे.”

उन्होंने कहा कि इन हालात में कोई न कोई रास्ता निकाला जा सकता है.

मेहदी हसन का कहना था कि मानवधिकार कार्यकर्ता होने के नाते वो वैसे भी फाँसी की सज़ा के ख़िलाफ़ हैं.

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अब तक इस मामले में क्या हुआ

कुलभूषण जाधव के बारे में पाकिस्तान का दावा है कि वो भारतीय नौसेना के मौजूदा अधिकारी हैं जिन्हें 2016 में पाकिस्तान के बलूचिस्तान से गिरफ़्तार किया गया था.

पाकिस्तान एक लंबे अर्से से भारत पर आरोप लगाता रहा है कि वो बूलचिस्तान में सक्रिय पाकिस्तान विरोधी चरमपंथी गुटों की मदद करता है.

भारत इन आरोपों से इनकार करता रहा है और कुलभूषण जाधव के बारे में भारत का कहना है कि वो एक सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और वो अपने बिज़नेस के सिलसिले में ईरान गए थे और पाकिस्तान-ईरान सीमा पर उनको अग़वा किया गया था.

पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में कुलभूषण जाधव को जासूसी और दहशतगर्दी के आरोप में दोषी क़रार देते हुए मौत की सज़ा सुनाई थी.

इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ भारत ने मई 2017 में अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) का दरवाज़ा खटखटाया था और माँग की थी कि कुलभूषण जाधव की सज़ा ख़त्म की जाए और उनकी रिहाई के आदेश दिए जाएं.

आईसीजे ने भारत की इस माँग को ठुकरा दिया था लेकिन पाकिस्तान को आदेश दिया था कि वो जाधव को काउंसुलर ऐक्सेस दे और उनकी सज़ा पर पुनर्विचार करे. अदालत ने ये भी कहा था कि जब तक पुनर्विचार याचिका पर फ़ैसला नहीं आ जाता कुलभूषण जाधव को फाँसी न दी जाए.

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