न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 04 Jul 2020 09:46 AM IST
लद्दाख में जवानों के साथ प्रधानमंत्री मोदी (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI
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मोदी का पहला पड़ाव लेह के बाहर निमू में था। उन्हें उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी की उपस्थिति में कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने स्थिति की जानकारी दी। प्रधानमंत्री की लेह यात्रा को तब तक गुप्त रखा गया जब तक कि वे हवाई अड्डे पर नहीं पहुंच गए।
इस पूरे दौरे का समन्वय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, सीडीएस रावत और सेनाध्यक्ष नरवणे ने किया। डोभाल जो दो हफ्ते के आइसोलेशन से बाहर आए हैं, उन्होंने दिल्ली में ही रहने का फैसला किया।
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विशेषज्ञों का कहना है कि लद्दाख क्षेत्र में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी ने न केवल इस बात का संकेत दिया है कि भारत अपने क्षेत्र की एक इंच जमीन भी नहीं देगा बल्कि स्थानीय लोगों को भी आश्वस्त किया है। भारतीय सेना और पीएलए पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चार प्वाइंट पर गतिरोध का सामना कर रहे हैं।
चीन मुंह से तो शांति बहाल करने की बात कर रहा है लेकिन वो एलएसी पर अपनी सेनाओं की तादाद भी बढ़ा रहा है। समझा जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने लद्दाख के कमांडरों को संदेश दिया कि उन्हें अपनी तरफ से कोई गतिरोध शुरू नहीं करना है लेकिन किसी भी आक्रमण का प्रतिकार जरूर करना है। ठीक इसी तरह का संदेश 2017 में दोकलम विवाद के समय पर भी दिया गया था।