George Floyd Death: अमेरिका में वायरस के बाद हिंसा का कर्फ्यू, 17 हजार सैनिक तैनात किए गए – Navbharat Times

हाइलाइट्स

  • अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर हिंसक प्रदर्शन तेज
  • अमेरिका के 140 शहरों तक पहुंची हिंसा की आग, कई जगह लगा कर्फ्यू
  • इसे पिछले कई दशकों की सबसे खराब नागरिक अशांति माना जा रहा है
  • 24 राज्यों में नैशनल गार्ड के करीब 17,000 सैनिकों की तैनाती की गई है

वॉशिंगटन

अमेरिका में कोरोना वायरस महामारी के बीच अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद हिंसा का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन हिंसक प्रदर्शनों को घरेलू आतंकवाद करार दिया है। फ्लॉयड की मौत के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों की आग अमेरिका के 140 शहरों तक पहुंच गई है। इसे देश में पिछले कई दशकों में सबसे खराब नागरिक अशांति माना जा रहा है।

इस बीच, वाइट हाउस ने कहा है कि हिंसा, लूट, अराजकता और अव्यवस्था को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वाइट हाउस की प्रेस सचिव कैली मैकनैनी ने कहा, ‘राष्ट्रपति ने साफ कर दिया है कि हम अमेरिका की सड़कों पर जो देख रहे हैं, वह मंजूर नहीं है। ये आपराधिक कृत्य प्रदर्शन नहीं हैं और न ही अभिव्यक्ति हैं। ये महज अपराध हैं जो बेकसूर अमेरिकी नागरिकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।’ न्यू यॉर्क से लेकर दक्षिण में ऑस्टिन तक और पूर्व में वॉशिंगटन डीसी से लेकर पश्चिम में लॉस एंजिलिस तक कई प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है।

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प्रेस सचिव ने बताया कि 24 राज्यों में नैशनल गार्ड के करीब 17,000 सैनिकों की तैनाती की गई है। उन्होंने कहा, ‘कुल 3,50,000 नैशनल गार्ड उपलब्ध हैं और अराजकता के लिए और कदम उठाए जाएंगे। देशभर के गवर्नरों को कार्रवाई करनी होगी। उन्हें नैशनल गार्ड की तैनाती करनी होगी क्योंकि यह अमेरिकी समुदायों को बचाने के लिए जरूरी है।’ राष्ट्रपति ने कहा कि अगर राज्यों के गवर्नर हिंसक प्रदर्शनकारियों को काबू करने में नैशनल गार्ड का इस्तेमाल नहीं करते हैं और शांति कायम रखने में असफल रहते हैं, तो वह सड़कों पर सेना की तैनाती का आदेश देंगे।

वॉशिंगटन में लगा कर्फ्यू, ह‍िंंसक प्रदर्शन जारी

  • वॉशिंगटन में लगा कर्फ्यू, ह‍िंंसक प्रदर्शन जारी

    जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस (White House) के सामने जमकर प्रदर्शन किया। ये लोग अमेरिका में अश्‍वेतों के साथ नस्‍लवाद के आरोप लगा रहे थे। प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े। यही नहीं पूरे वॉशिंगटन में कर्फ्यू लगा दिया गया है। वॉशिंगटन में प्रदर्शनकारियों के लूटपाट और आगजनी करने का भी सिलसिला जारी रहा।
  • सेंट जॉन्स एपिस्कोपल चर्च पहुंचे ट्रंप

    प्रदर्शनकारियों ने ‘चर्च ऑफ प्रेजिडेंट्स’ के नाम से मशहूर ऐतिहासिक सेंट जॉन्स एपिस्कोपल चर्च को आग तक लगा दी है। सोमवार को भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच डोनाल्‍ड ट्रंप ने चर्च का दौरा किया। वाइट हाउस के आसपास से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस ने रबर की गोली का इस्‍तेमाल किया। इस दौरान अमेरिकी सेना-पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर झड़प हुई। हजारों प्रदर्शनकारियों ने ड्रम बजाते हुए सड़कों पर रैली निकाली और ‘Black Lives Matter’ के नारे लगाए।
  • डोनाल्‍ड ट्रंप का सेना तैनात करने का ऐलान

    वॉशिंगटन में हालात नियंत्रण से बाहर निकलते देख राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी सेना को उतारने का फैसला किया है। राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा, ‘जॉर्ज फ्लॉयड की निर्मम हत्या से सभी अमेरिकी दुखी हैं और उनके मन में एक आक्रोश है। जॉर्ज और उनके परिवार को इंसाफ दिलाने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। मेरे प्रशासन की ओर से उन्हें पूरा न्याय मिलेगा। मगर देश के राष्ट्रपति के तौर पर मेरी पहली प्राथमिकता इस महान देश और इसके नागरिकों के हितों की रक्षा करना है।’ ट्रंप ने कहा कि मैंने इस देश के कानून को सबसे ऊपर रखने की शपथ ली थी और मैं अब बिल्कुल वही करूंगा। उन्होंने कहा, ‘रविवार रात वॉशिंगटन डीसी में जो कुछ हुआ वह बेहद गलत है। मैं हजारों की संख्या में हथियारों से लैस सेना के जवानों को उतार रहा हूं। इनका काम दंगा, आगजनी, लूट और मासूम लोगों पर हमले की घटनाओं पर लगाम लगाना होगा।’
  • अमेरिका के 24 शहरों में हिंसा के बाद हुई गिरफ्तारी

    खबरों के मुताबिक 24 शहरों में कम-से-कम 4 हजार लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से 20 प्रतिशत गिरफ्तारी लॉस एंजिलिस में हुई हैं। बोस्टन में पुलिस की एसयूवी को स्टेट हाउस के पास आग के हवाले कर दिया गया। उधर, पुलिस अधिकारी दंगों के समय इस्तेमाल होने वाले हथियारों और बख्तरबंद वाहन में प्रदर्शनकारियों और लुटेरों को तितर-बितर करने के लिए मिर्च स्प्रे इस्तेमाल करते दिखे। यूनियन स्कॉयर में कबाड़ में पड़े कैन और सड़क पर पड़े कूड़े को लगा दी गई, जिससे आग की लपटें दो मंजिला इमारत की ऊंचाई तक उठती दिखी।
  • मार्टिन लूथर किंग की हत्‍या के बाद इतनी ज्‍यादा हिंसा

    खबरों में कहा गया कि यह पहली बार है जब 1968 में मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या के बाद से इतने सारे अधिकारियों ने नागरिक अशांति को देखते हुए एक साथ ऐसे आदेश पारित किए हों। इस बीच जॉर्ज फ्लॉयड प्रकरण में भड़की हिंसा के खिलाफ राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का गुस्सा एंटीफा संगठन पर फूटा है। ट्रंप ने इसे आतंकी संगठन की श्रेणी में भी रखना चाहते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने आरोप लगाया है कि इस प्रदर्शन को हाइजैक कर लिया गया है। ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘अमेरिका एंटीफा को आतंकवादी संगठन करार देगा।’ ट्रंप ने हिंसा के पीछे वामपंथी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है, जिन्हें आमतौर पर एंटीफा कहा जाता है। अमेरिका में एंटीफा आंदोलन उग्रवादी, वामपंथी और फासीवादी विरोधी आंदोलन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। संगठन के जरिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन, रैलियों के माध्यम से फासीवाद का लगातार विरोध होता रहा है।

ह्यूस्टन पुलिस चीफ ने कहा, ‘…तो अपना मुंह बंद रखें ट्रंप’

अमेरिका में हिंसक प्रदर्शनों के बीच ह्यूस्टन के पुलिस चीफ ने राष्ट्रपति ट्रंप से अपना मुंह बंद रखने के लिए कहा है। ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सेना की तैनाती की चेतावनी दी है। इससे पहले उन्होंने गोली मारने की बात कही थी। इस पर ह्यूस्टन के पुलिस चीफ ने कहा कि अगर आपके पास इस मुद्दे से निपटने का कोई अच्छा सुझाव नहीं है, तो कृपया अपना मुंह बंद रखें। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ‘आप लोगों को खतरे में डाल रहे हैं। यह समय लोगों का दिल जीतने का है न कि उन्हें धमकी देने का। पूरे देश में पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं, लोग जख्मी हुए हैं। लेकिन नेतृत्व हमें दुखी कर रहा है। अगर कुछ अच्छा बोलने के लिए नहीं है तो कृपया अपना मुंह बंद रखिए। आप एक राष्ट्रपति हैं और उस हिसाब से फैसले लीजिए। यह वास्तविक जीवन है और यह खतरे में है।’

क्या है जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का मामला जिसपर जल उठा अमेरिका
क्या है जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का मामला जिसपर जल उठा अमेरिकाwhat is george flyod case: कोरोना के कहर से जूझ रहा अमेरिका अब एक अश्वेत शख्स जॉर्ज फ्लॉयड की मौत से उपजे आंदोलन की आग में जल रहा है। कई शहरों में हिंसा का माहौल है। मिनियापोलिस शहर से शुरू हुआ ये आंदोलन अब अमेरिका के कम से कम 30 शहरों में फैल चुका है। हालात इतने बिगड़े कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को वाइट हाउस में बने सुरक्षात्मक बंकर में ले जाना पड़ गया।

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