लक्षण अचानक उभर रहे हैं, डॉक्टर-नर्सों पर हमले भी जारी, इच्छा शक्ति से जीत रहे हैं लोग

नई दिल्ली.कोरोनावायरस। एक तरफ संक्रमण के लक्षण नए रूप में सामने आ रहे हैं तो दूसरी तरफ यह बीमारी लोगों का बर्ताव बदल रही है। कोरोना ने पुर्तगाल में 14 साल के किशोर की जान ले ली है, जबकि उसमें संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिखा था। ब्रिटेन में एक सेहतमंद युवक की कुछ ही घंटों में मौत हो गई। इधर, ब्रिटेन में डॉक्टर्स पर हमले हो रहे हैं। पढ़िए खौफ और उम्मीद की 6 कहानियां-

33 साल का खिलाड़ी: ‘डॉक्टर कहते हैं- मैं ठीक हो गया हूं पर सांस नहीं ले पा रहा हूं’

रोम.आंद्रे एकदम स्वस्थ थे। लॉकडाउन में भी घर में ही जॉगिंग, स्वीमिंग जारी थी। जुकाम हुआ तो डॉक्टर को दिखाया।पॉजिटिव पाए गए। घर में क्वारेंटाइन कर दिए गए। डॉक्टर ने बताया स्थिति अचानक बिगड़ सकती है। यही हुआ भी, सिर्फ 36 घंटे में उन्होंने खुद को आईसीयू में पाया। नौ दिन यहां रहे। तीन लोगों को अपने सामने मरते और डॉक्टरों को वेंटिलेटर और दवाओं के लिए संघर्ष करते देखा। वे कहते है- डॉक्टर कहते हैं, मैं ठीक हूं। इसलिए मुझे होटल में रखा गया है। लेकिन मैं अभी भी सांस नहीं ले पा रहा हूं। बेड से टॉयलेट तक जाने में सांस फूलने लगती है।

राेज वर्कआउट और वाटरपाेलो आंद्रे नेपोली की दिनचर्या का हिस्सा है। उसे खुद याद नहीं है कि वह पिछली बार कब बीमार हुआ।

19 साल का शैफ : डॉक्टर ने कहा- तुम जवान और मजबूत हो, आधे घंटे में ही मौत

लंदन. लूका डी निकोला, उम्र सिर्फ 19 साल, पेशे से इटैलियन शैफ। लूका को हल्का सर्दी जुकाम हुआ। डॉक्टर ने पेरासिटामोल दिया और कहा तुम जवान और मजबूत हो। सामान्य फ्लू हुआ है। एकदम ठीक हो जाओगे। लेकिन अगले ही दिन स्थिति अचानक बिगड़ गई। वह जमीन पर गिर गया। मां ने देखा उसके होंठ सूख गए हैं और रंग नीला पड़ गया है। डॉक्टर को बुलाया गया, लेकिन उसके फेफोड़ों में खून और पानी भर गया था। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन सिर्फ आधे घंटे में ही उसकी मौत हो गई। अब लूका की मां में भी यही लक्षण दिखाई दे रहे हैं।

लूका इटली के रहने वाले थे। लंदन में अपनी मां के साथ बस गए थे। वे लोगों को सेहतमंद भोजन के फायदे बताते थे, खुद भी फिट थे।

14 साल का बच्चा : कोई लक्षण नहीं दिखा त्वचा रोग से इम्यून सिस्टम कमजाेर था, मौत

लिस्बन. पुर्तगान का 14 साल का विक्टर गोडिनो यूरोप में कोरोना से दम तोड़ने वाला सबसे कम उम्र का व्यक्ति है। विक्टर फुटसाल का खिलाड़ी था। यह फुटबॉल का ही एक रूप है। इसमें हर टीम में पांच खिलाड़ी होते हैं। यानी फूटबॉल से भी अधिक तेजी की जरूरत होती है। विक्टर को त्वचा रोग सराइअसिस था। यह बीमारी इम्यून सिस्टम कमजोर कर देती है। उसमें कोराना का कोई लक्षण नहीं था। अचानक सेहत बिगड़ी तो ओवर शहर से उसे पोर्तो लाया गया। दोनों शहरों के बीच दूरी सिर्फ आधे घंटे में पूरी कर ली जाती है। लेकिन अस्पताल पहुंचते ही उसकी मौत हो गई।

विक्टर की मौत डरावनी है, क्योंकि बच्चाेें को सुरक्षित बताया जा रहा है। पेरिस में 16 साल की लड़की की मौत हुई है।

26 साल की स्कूल टीचर : डायबिटिक हैं अपने दम पर कोरोनावायरस से लड़ रही हैं

लंदन. 26 साल की सारा हाल सेकंडरी स्कूल में टीचर हैं। टाइप वन डायबीटिक हैं। जुकाम हुआ तो हेल्पलाइन पर फोन किया। बताया गया कि यह कोराना हो सकता है। सारा ने खूब पानी पीना शुरू किया। दो दिन बाद उसे लगा अब मैं ठीक हो रही हूं, तो अचानक खूब पसीना आने लगा। वह सोफे पर गिर गई। सांस फूलने लगी। हालत बिगड़ती गई। तो हेल्पलाइन पर फोन किया। पता चला एम्बुलेंस 9 घंटे बाद आएगी। वह खुद अस्पताल पहुंची। पॉजिटिव पाई गईं, उन्हेंघर भेज दिया गया। अब एक सप्ताह बाद सेहत में सुधार है। सांस लेने में अभी भी तकलीफ है। वह वायरस को खुद ही हरा रही हैं।

सारा नेे 3 बार फोन किया। लेकिन एम्बुलेंस नहीं आई। हेल्पलाइन उसे समझाती रही कि एम्बुलेंस की रिक्वेस्ट रद्द कर दीजिए।

102 साल की दादी मां : डॉक्टरों ने नाम ‘अमर’ रख दिया है, उन पर शोध कर रहे हैं

रोम. इटली के जिनोआ में 102 साल की इटालिका ग्रोनडोना रहती हैं। इस महीने के शुरू में हार्ट में मामूली तकलीफ पर अस्पताल में भर्ती किया गया था। जांच में पता चला कि वे कोरोना संक्रमित हैं। इलाज शुरू किया गया और वे देखते ही देखती ठीक हो गईं। डॉक्टर्स ने उनका प्यार का नाम हाईलेंडर यानी अमर रख दिया है। उनके ठीक हो जाने से इटली के अन्य बुजुर्गों को भी हिम्मत मिली है। उनका जन्म 1917 में हुआ था और वो स्पेनिश फ्लू से भी गुजरी हैं। डॉक्टर्स उनके सीरम और बॉडी पर शोध कर रहे हैं, ताकि कोरोना से लड़ने का कोई तरीका खोजा सके।

ग्रोनडोन पर शोधकर्ताओं की नजर है। वे कोरोना काे हरा चुकी हैं। डॉक्टर्स पता कर रहे हैं कि उनके शरीर में ऐसा क्या है।

सेवा में लगी नर्स : घर लौटते समय हमला डॉक्टर्स और नर्सों से आईकार्ड छीन रहे हैं

मैनचेस्टर.33 साल की समा शाली अस्पताल में दस घंटे ड्यूटी कर घर लौट रही थीं। गले में क्रिस्टी अस्पताल का आई कार्ड था। अचानक एक लड़का आया और चांटा मार दिया। कुछ देर वह इर्दगिर्द चक्कर लगाता रहा। फिर एक और तमाचा मारा। कुछ और लोगों काे आता देख वह भाग गया। समा डरी हुईं हैं कि शायद लड़के को संक्रमण था और वो इसे फैलाना चाहता था। उसे डर है कहीं अब वह अपने साथियों को संक्रमित न कर दे। इन दिनों ब्रिटेन में डॉक्टरों और नर्सों के साथ मारपीट और लूटपाट की घटनाएं हो रही हैं। लोग उनसे आई कार्ड छीनने की कोशिश कर रहे हैं।

कुछ लोग डॉक्टर और नर्सों को कोराना स्प्रेडर कह रहे हैं। निर्देश हैं कि वे यूनिफाॅर्म और आई कार्ड पहनकर न निकलें।

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लंदन की एक सड़क पर मास्क लगाए लोग। ( फाइल फोटो)

Source: DainikBhaskar.com

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