किसानों की मुआवजा बढ़ाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांगा जवाब

Publish Date:Sun, 16 Feb 2020 08:33 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 1989 के भूमि अधिग्रहण के मामले में किसानों की मुआवजा बढ़ाने की मांग पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है। जिला गौतम बुद्ध नगर के एछर गांव के किसानों ने उनका मुआवजा बढ़ाकर 65 रुपये प्रति वर्ग गज करने की मांग की है जैसा कि उनके साथ अधिग्रहित जमीन के भू-मालिकों को मिला है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर मुआवजा बढ़ाने के बजाए किसानों को नये सिरे से मुआवजा तय कराने के लिए फिर से रिफरेंस कोर्ट जाने को कहा था। किसानों ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
किसानों की जमीनें एक ही अधिसूचना के तहत अधिग्रहित हुई थीं
आधा दर्जन भूस्वामी किसानों की ओर से पेश वकील ऋषि मल्होत्रा ने कोर्ट से उनके मुवक्किलों का भी मुआवजा बढ़ा कर 65 रुपये प्रति वर्गगज करने का अनुरोध करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने साफ तौर पर यह स्वीकार किया है कि समकक्ष लोगों को जिनकी जमीनें याचिकाकर्ता के साथ ही एक ही अधिसूचना के तहत अधिग्रहित हुई थीं, उन्हें 65 रुपये प्रति वर्गगज की दर से मुआवजा मिला है और इन लोगों को भी मिलना चाहिए, लेकिन हाईकोर्ट ने खुद कोई आदेश देने के बजाए किसानों को वापस रिफरेंस कोर्ट जाने को कह दिया।

किसानों की जमीन अधिग्रहित हुए 30 साल हो चुके हैं, वे अभी भी मुआवजे के लिए भटक रहे हैं
मल्होत्रा ने कहा कि किसानों की जमीन अधिग्रहित हुए 30 साल हो चुके हैं और वे अभी भी मुआवजे के लिए एक जगह से दूसरी जगह भटक रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट इन याचिकाकर्ताओं के समकक्ष किसानों को 65 रुपये प्रति वर्गगज की दर का मुआवजा सही ठहरा चुका है तो फिर उन्हें भी वही मुआवजा मिलना चाहिए।

पीठ ने दलीलें सुनने के बाद यूपी सरकार को जारी किया नोटिस
न्यायमूर्ति आरएफ नारिमन और एस. रविन्द्र भट्ट की पीठ ने दलीलें सुनने के बाद याचिका में प्रतिपक्षी बनाई गई उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य को नोटिस जारी किया।
सरकार ने 1989 में 534 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर ली थी
यह मामला 1989 के भूमि अधिग्रहण का है जब गौतमबुद्ध नगर अलग जिला नहीं बना था। उस समय यह क्षेत्र बुलंदशहर जिले में आता था। सरकार ने मार्च 1989 को जिला बुलंदशहर में करीब 534 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने की अधिसूचना निकाली और जमीन अधिग्रहित कर ली। 1992 में नया जिला गौतमबुद्ध नगर बन गया जिसके बाद मुआवजे के कुछ मामले गौतमबुद्ध नगर के रिफरेंस कोर्ट में स्थानांतरित हो गए और कुछ बुलंदशहर के ही रिफरेंस कोर्ट में लंबित रहे।

हाईकोर्ट ने मुआवजा राशि को तो माना, लेकिन आदेश नहीं दिया
27 अगस्त 1999 को बुलंदशहर के रिफरेंस कोर्ट ने मुआवजा बढ़ाकर 65 रुपये प्रति वर्गगज कर दिया जिसे बाद में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट तक चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी उस पर मुहर लगा दी। जबकि गौतमबुद्ध नगर की रिफरेंस कोर्ट ने मुआवजा दर 19.55 रुपये से लेकर 7.60 रुपये के बीच तय की जिसके खिलाफ किसान हाईकोर्ट गये। हाईकोर्ट ने यह तो माना कि इनके समकक्ष भूस्वामियों को 65 रुपये प्रति वर्गगज की दर से मुआवजा मिला है, लेकिन हाईकोर्ट ने स्वयं कोई आदेश नहीं दिया और किसानों को नये सिरे से मुआवजा तय कराने के लिए रिफरेंस कोर्ट जाने का आदेश दिया।
Posted By: Bhupendra Singh

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Source: Jagran.com

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