इनर-वियर उतरवाने का मामला: एड्मिशन से पहले छात्राओं को भरना पड़ता है ‘पीरियड्स फॉर्म’

एड्मिशन के समय ही भरवा लिए जाते थे ‘पीरियड्स फॉर्म’ राष्ट्रीय महिला आयोग ने बताया कि, मामले की जांच कर रही एसआईटी टीम को जानकारी मिली है कि सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाली छात्राओं को प्रवेश प्रक्रिया के दौरान एक फॉर्म पर अपनी सहमति देनी होती है कि वह मासिक धर्म के दौरान कैंटीन में अपना खाना नहीं खाएंगी, इस स्थिति में उन्हें बिस्तर पर सोने की अनुमति नहीं होगी, लड़कियों को फर्श पर सोना होगा। National Commission for Women: Inquiry committee was informed that during the admission process, girls had to give their consent that while menstruating they will not have their meals in the dining hall and will not be allowed to sleep on their beds and will sleep on the floor. https://t.co/RJ5xqR4e9i
— ANI (@ANI) February 16, 2020 गुजरात के CM ने दिया सख्त कार्रवाई का भरोसा सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट मामले पर मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने शनिवार को कहा था कि, ‘वहां जो भी हुआ, सरकार ने उस घटना को बहुत गंभीरता से लिया है। गृह विभाग और शिक्षा विभाग को सख्त कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। कल उसकी एफआईआर दर्ज की गई थी।’ मामले को तूल पकड़ता देख सहजानंद गर्ल्स कॉलेज की डीन दर्शना ढोलकिया सफाई दी है। दर्शना ढोलकिया ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि, इनरवियर उतरवाने का मामला हॉस्टल का है और इसका कॉलेज या यूनिवर्सिटी से कोई लेना देना नहीं। Gujarat: Kutch Police has formed an SIT (Special Investigation Team) to probe into the Bhuj case in which 68 female students at Shree Sahjanand Girls Institute were asked to remove inner-wear to check if they were menstruating.
— ANI (@ANI) February 16, 2020 कपड़े उतरवाकर अपमानित किया हॉस्टल में रह रहीं लड़कियों ने अपने साथ दुर्व्यवहार होने की शिकायत की थी। उन्होंने बताया था कि वार्डन एवं प्रिंसिपल ने हम 68 छात्राओं को एक लाइन में खड़ा करके अपमानित किया। इनरवियर उतरवाकर चेक किए गए। कथिततौर पर ऐसा इसलिए किया गया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे मासिक धर्म से तो नहीं हैं। छात्राओं के सामूहिक विरोध की तस्वीरें सामने आने के बाद यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया। लोग उस कॉलेज-प्रशासन की खिंचाई करने लगे। पीरियड्स की स्थिति में छात्राओं को किया अलग हॉस्टल की एक छात्रा दुर्गा ने बताया कि गुरुवार को, व्याख्यान के दौरान हमें कक्षाओं से बाहर आने और गलियारे में कतार लगाने के लिए कहा गया था। उसने कहा कि प्रिंसिपल ने हमारा अपमान किया और दुर्व्यवहार कराया। हमसे सवाल किया गया कि क्या वे माहवारी से गुजर रही हैं? हममें से दो लड़कियां, जिन्हें पीरियड्स हो रहे थे, उन्हें साइड में भेज दिया गया। कॉलेज में करीब 1,500 विद्यार्थी पढ़ते हैं बता दें कि, भुज के एसएसजीआई का संचालन स्वामिनारायण मंदिर करता है। इसकी स्थापना 2012 में हुई थी और 2014 में यह श्री स्वामीनारायण कन्या मंदिर के परिसर में बदल गया। इस कॉलेज में बीकॉम, बीएससी और बीए जैसे विभिन्न पाठ्यक्रमों में लगभग 1,500 विद्यार्थी नामांकित हैं। कॉलेज के कैंपस में बोर्डिंग की सुविधा है और 68 लड़कियां, जो दूरदराज के गांवों से आती हैं, कॉलेज के हॉस्टल में रहती हैं। ‘स्वामीनारायण’ संप्रदाय के मानदंड ऐसे हैं, जो कहते हैं कि मासिक-धर्म वाली महिलाओं को रसोई और मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। उन्हें साथी विद्यार्थियों को छूने से भी रोक दिया जाता है।
Source: OneIndia Hindi

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