J&K DSP मामले में पूछताछ के दौरान NIA को मिले सीमापार से आतंकी फंडिंग के सबूत

अधिकारियों को नियंत्रण रेखा के पार से होने वाले कारोबार के जरिए आतंकवाद के वित्तपोषण के सबूत मिले हैं (फाइल फोटो)

J&K DSP देवेंद्र सिंह (Devendra Singh) को आतंकवादियों (Terrorist) को कश्मीर घाटी से बाहर ले जाने के दौरान गिरफ्तार किया गया था. उसके साथ पकड़े गए दहतगर्दों में नवीद भी शामिल था.

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श्रीनगर. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र सिंह के मामले की जांच के दौरान सीमा पार से कारोबार (Cross-border Business) के जरिए आतंकवाद को वित्तपोषित (Terrorism Funding) करने के “सबूत” मिले हैं.अधिकारियों ने रविवार बताया कि एनआईए (NIA) के अधिकारियों ने प्रतिबंधित आतंकी समूह हिज़्बुल मुजाहिदीन (Hizbul Mujahideen) के स्वयंभू कमांडर सैयद नवीद मुश्ताक अहमद उर्फ नवीद बाबू से संगठन को मिलने वाले पैसे को लेकर पूछताछ की. साथ में यह भी पूछा कि वे किस तरह से पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में रहते हैं.आतंकियों को कश्मीर से बाहर ले जाने के दौरान किया गया था गिरफ्तारदेवेंद्र सिंह को आतंकवादियों को कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) से बाहर ले जाने के दौरान गिरफ्तार किया गया था. उसके साथ पकड़े गए दहतगर्दों में नवीद भी शामिल था.उन्होंने कहा कि नवीद से पूछताछ में एजेंसी को नियंत्रण रेखा (LoC) के पार से होने वाले कारोबार के जरिए आतंकवाद के वित्तपोषण के ‘सबूत’ मिले.नवीद से पूछताछ के दौरान एजेंसी को मिले अहम सुरागएनआईए ने नियंत्रण रेखा के पार से होने वाले कारोबार के सिलसिले में 2016 में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और कश्मीर के बारामूला जिले के सलामाबाद और जम्मू के पुंछ जिले के चकन दा बाग में छापेमारी भी की थी.अधिकारियों ने बताया कि पिछले चार साल से जांच में एनआईए, व्यापारियों से प्राप्त पैसों के अंतिम लाभार्थी का पता लगाने में असमर्थ रही थी, लेकिन नवीद से पूछताछ में एजेंसी को अहम सुराग मिले हैं.हाल ही में एलओसी व्यापार संगठन के अध्यक्ष को किया गया था गिरफ्तारअधिकारियों ने कहा कि इस मामले में पूछताछ के लिए कुछ लोगों को हिरासत में लिया जा सकता है, क्योंकि पुलिस उपाधीक्षक के प्रकरण ने चार पुराने मामलों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है.
हाल ही में एलओसी व्यापार संगठन के अध्यक्ष तनवीर अहमद वानी को एनआईए ने गिरफ्तार किया था और उनसे पूछताछ की जा रही है.पिछले साल अप्रैल में बंद कर दिया गया था एलओसी के पार व्यापारनियंत्रण रेखा के पार कारोबार की शुरुआत 2008 में भारत-पाकिस्तान के बीच विश्वास बहाली उपाय के तौर पर हुई थी लेकिन केंद्र सरकार ने इसके अवैध हथियार, मादक पादर्थ और जाली मुद्रा का जरिया बनने का हवाला देकर पिछले साल अप्रैल में बंद कर दिया था.अधिकारियों ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ती है तो सिंह और अन्य को LoC ट्रेड से जुड़े मामलों में भी पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है.यह भी पढ़ें: पाकिस्तान का दावा ‘लापता’ है आतंकी मसूद अजहर, भारत ने कहा हमें पता है कहां वो

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First published: February 16, 2020, 10:09 PM IST
Source: News18 News

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