मीडिया से बातचीत में सुल्तान अंसारी ने अब तक सौदे को एक दम खरा बताया और कहा कि डील में कोई हेराफेरी नहीं हुई।
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से राम मंदिर के पास 12 हजार 80 वर्ग मीटर की दो करोड़ की जमीन को 18 करोड़ रुपए में खरीदे जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। फिलहाल इस मामले में जमीन खरीदने वाले ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और इसे बेचने वाले सुल्तान अंसारी के नाम पर सबसे ज्यादा विवाद हो रहा है। दरअसल, चंपत राय पर जमीन खरीद से जुड़े फैसले अकेले ही लेने के आरोप लगे हैं, जबकि ट्रस्ट के साथ जमीन का सौदा करने वाले सुल्तान अंसारी समाजवादी पार्टी के नेता बताए गए हैं। उनकी अखिलेश यादव के साथ कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर भी वायरल हुई हैं।
बताया जाता है कि सुल्तान अंसारी अयोध्या के बड़े प्रॉपर्टी डीलरों में से एक हैं। ट्रस्ट ने 18.5 करोड़ रुपए में जो जमीन खरीदी है, उसे बेचने वालों में सुल्तान अंसारी के साथ उनके पार्टनर रवि मोहन तिवारी का नाम है। खुलासा हुआ है कि सुल्तान अंसारी सपा के संगठन से जुड़े हुए हैं। साल 2017 के अयोध्या नगर निगम चुनाव में कटरा विभीषण कुंड वार्ड से सपा प्रत्याशी के तौर पर सुल्तान अंसारी चुनाव भी लड़े थे। हालांकि, उन्हें भाजपा की चमेला देवी ने शिकस्त दी थी।
सुल्तान अंसारी की फिलहाल दो फोटो वायरल हो रही हैं, जिसमें वे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ नजर आ रहे हैं। जहां एक फोटो में वे सादी पोशाक में अखिलेश यादव से हाथ मिलाते दिख रहे हैं, वहीं एक अन्य फोटो में अंसारी समाजवादी पार्टी की लाल टोपी और टीशर्ट पहने अखिलेश यादव के साथ बैठे नजर आ रहे हैं। इसके अलावा उनकी सपा सरकार में पूर्व मंत्री और अयोध्या मामले का खुलासा करने वाले तेज नारायण पांडेय के साथ भी फोटो वायरल हो रही है।
यही सुल्तान अंसारी है जिनसे राममंदिर ट्रस्ट द्वारा जमीन खरीदने की बात कही जा रही। घोटाले का आरोप लगाने वाले पूर्व विधायक से भी गलबहियां रही। अब पता नही जमीन बेचने के बाद ये दोस्ती रही कि नही। pic.twitter.com/coBaOv9JqB
— Santosh kumar Sharma (@aap_ka_santosh) June 15, 2021
2011 में ली थी दो करोड़ की जमीन, पर बोले- मार्केट रेट से भी सस्ती बेची: सुल्तान अंसारी ने अब तक मीडिया से बातचीत में सौदे को एक दम खरा बताया और कहा कि डील में कोई हेराफेरी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि 4 मार्च 2011 में इसका सबसे पहला एग्रीमेंट करवाया था, तब एक करोड़ रुपये रेट था। यह एग्रीमेंट हमारे पिताजी और हरीश-कुसुम पाठक के बीच हुआ था।
उन्होंने बताया कि जमीन पर मुकदमेबाजी थी। 2011 में इसके लिए 10 लाख रुपये पेशगी दी गई थी, जबकि पिछला एग्रीमेंट 2019 में दो करोड़ रुपए में हुआ था, तब पेशगी के तौर पर 50 लाख रुपए दिए गए थे। राम जन्मभूमि से दो-तीन महीने पहले बातचीत हुई। बैनामा 18 मार्च 2021 को हुआ। उन्होंने कहा कि जैसा दावा किया जा रहा है, वैसे मिनटों में डील नहीं हुई। ट्रस्ट को मार्केट रेट से काफी कम पर जमीन दी गई।