UP News : यूपी में मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई, दाढ़ी काटी लेकिन क्या जय श्री राम के नारे भी लगवाए? पुलिस ने कही ये बात – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने की कोशिश
  • गाजियाबाद के लोनी में मुस्लिम बुजुर्ग के साथ मार-पीट और उनकी दाढ़ी काटते वीडियो वायरल
  • इसे धार्मिक नफरत का नतीजा बता रहे कुछ लोग जबकि पुलिस का साफ-साफ इनकार
  • सोशल मीडिया पोर्टल ट्विटर पर भी दो पक्ष भिड़े, एक जता रहा नाराजगी तो दूसरे का दावा- फर्जी आरोप

नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित लोनी इलाके में एक मुस्लिम बुजुर्ग के साथ मारपीट और उनकी दाढ़ी काटने का वीडियो वायरल होने के बाद हंगामा मच गया है। एक तबका प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमलावर है और आरोप लगा रहा है कि योगी के शासन में राज्य में मुसलमानों पर अत्याचार की घटनाएं सामने आ रही हैं। दरअसल, बुजुर्ग ने कहा है कि उन्हें मुसलमान होने के कारण पीटा गया, उनकी दाढ़ी काट दी गई और जय श्री राम का नारा लगाने का दबाव बनाया गया। हालांकि, अब यूपी पुलिस का दावा है कि इस घटना में सांप्रदायिकता का कोई पुट नहीं है। पुलिस ने कहा कि उसने मामले की गंभीरता से जांच की है और मामला कुछ और ही निकला है। बहरहाल, आइए जानते हैं कौन सा पक्ष क्या दावा कर रहा है…

गाजियाबाद एसपी का दावा

गाजियाबाद के एसपी (देहात) इराज राजा ने कहा, “ये वीडियो 5 जून का है। पीड़ित ने 7 जून के अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर लिखवाई थी। जानकारी हासिल की गई तो कुछ लड़कों के नाम सामने आए। यह वीडियो बेहटा हाजीपुर गांव में परवेश गूजर के घर का वीडियो था। इसमें जब गहराई से जांच की गई तो पता चला कि बुजुर्ग अब्दुल शमद अनूप शहर के निवासी हैं। ये परवेश और अन्य लोगों के बुलावे पर बेहटा हाजीपुर आए हुए थे। बुजुर्ग ताविज बनाते हैं और देते हैं। इनके (आरोपियों के) परिवार के लिए और गांव के अन्य लोगों को इन्होंने ताविज दी थी। उसी प्रकरण में कुछ बात करने के लिए उन्हें बुलाया गया था। वहीं कुछ बात हुई और फिर बुजुर्ग के साथ काफी गलत तरीके से मारपीट की गई।”

सांप्रदायिक नफरत के कारण पिटाई नहीं: एसपी

न्यूज चैनल एबीपी से बातचीत में धार्मिक नारे लगवाने के सवाल पर उन्होंने कहा, “अब तक इस तरह की बात सामने नहीं आई है कि धार्मिक नारे लगाने को बाध्य किया गया हो। इनके बीच लेनदेन हुई थी, यही मुद्दा था। इसमें धार्मिक भावना वाली बात नहीं थी। चूंकि इस तरह के कृत्य से धार्मिक भावना भड़क सकती है, इसलिए हम उन्हीं धाराओं में इनका चालान करेंगे। तीन अभियुक्त अभी हिरासत में हैं। परवेश गुजर पहले से ही जेल में है। कल रात को हमने दो और अभियुक्तों को गिरफ्तार किए- आदिल और कल्लू गुजर को।”

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बुजुर्ग ने लगाया यह आरोप

वहीं, बुजुर्ग रोते-रोते बता रहे हैं कि धार्मिक नफरत के कारण उनकी पिटाई की गई। उन्होंने कहा, “जंगल में ले गए और बहुत मारा और मुझे श्री राम, श्री राम और वंदे मातरम कहलवाए। उन्होंने मुझसे कहा कि पाकिस्तान चले जा, जा दूर रह। उन्होंने हाथ पकड़कर कैंची से मेरी दाढ़ी काट दी। उन्होंने वीडियो दिखाए कि हमने दसियों मुसलमानों को मार दिए। जब उनसे पानी मांगा तो बोले पेशाब पिला दें?”

ट्विटर पर छिड़ी जंग

इधर, माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर दोनों ही पक्ष के लोग मुखर हो गए हैं। एक पक्ष इस पूरी घटना पर रोष प्रकट कर रहा है तो दूसरा पक्ष इसे सरासर झूठ बताने में जुटा है। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसीन ने बुजुर्ग की पिटाई का वीडियो शेयर करते हुए कहा कि हिंदुत्ववादी विचारधारा से प्रेरित लोग हमेशा बुजुर्गों या छोटे बच्चों को ही निशाना बनाते हैं। वो हमेशा झुंड में हमला बोलते हैं (अकेले कभी नहीं)। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को टैग करते हुए पूछा, “क्या आप इस पर रिएक्ट करेंगे? ये लोग भी उसी विचारधारा के हैं। मुस्लिमों से उनके सम्मान का अधिकार हिंदुत्ववादी गुंडों द्वारा छीना जा रहा है।”

केंद्रीय मंत्रियों ने दी प्रतिक्रिया

वहीं, केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि घटना को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और इसके पीछे देश को बांटने वाली ताकतों का हाथ है।
उधर, केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी इस घटना को सांप्रदायिक ऐंगल देने की कोशिश पर आक्रोश जताया है।

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ट्विटर पर भूचाल

हालांकि, इश्करण सिंह भंडारी कहते हैं कि यह एक दुष्प्रचार है। उन्होंने लिखा, “लोगों को जबर्दस्ती जय श्री राम के नारे लगवाते या बुजुर्गों के साथ मारपीट की फर्जी खबरें यूपी के लिए उनकी चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं। पूरा वामपंथी प्रचार तंत्र यूपी में ऐक्टिव हो गया है। चौकस रहिए।”

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यूपी विधानसभा चुनावों को लेकर चल रहा षडयंत्र?

ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसे लेकर जब राजनीतिक जगत में उथल-पुथल मच रही है तो इस आशंका को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है कि समाजिक स्तर पर भी विद्वेष फैलाने की कोशिशें होंगी।

पुलिस की तत्परता प्रशंसनीय

बहरहाल, बुजुर्ग अब्दुल शमद के साथ जो हुआ है, वह काफी निंदनीय है भले ही इसे सांप्रदायिक नफरत के कारण अंजाम दिया गया हो या फिर किसी दूसरी वजह से। अगर बुजुर्ग ने कुछ गलत भी किया था तो उन्हें कानून के तहत सजा दिलानी चाहिए थी न कि इस तरह खुलेआम प्रताड़ित करके वीडियो बनना चाहिए था। अच्छी बात है कि यूपी पुलिस ने वक्त रहते आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।

abdul shamad


गाजियाबाद एसपी और पीड़ित अब्दुल शमद।

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