अनिल विज कोरोना पॉजिटिव, अब देसी वैक्‍सीन Covaxin का क्‍या होगा? डॉक्‍टर्स से समझिए – नवभारत टाइम्स

भारत बायोटेक की कोविड-19 वैक्‍सीन Covaxin की चर्चा अचानक तेज हो गई है। वजह है ट्रायल में शामिल हरियाणा के एक मंत्री अनिल विज का कोविड पॉजिटिव मिलना। सोशल मीडिया पर एक धड़ा विज के कोविड पॉजिटिव होने को वैक्‍सीन की सफलता/असफलता से जोड़कर देख रहा है। ऐसी अटकलों और कयासों को बढ़ावा मिल रहा है जिनमें वैक्‍सीन के असर और सेफ्टी को लेकर संदेह जताया गया है। हालांकि वैक्‍सीन निर्माता कंपनी ने साफ किया है कि Covaxin कितनी असरदार है, इसका पता ट्रायल खत्‍म होने पर ही लगेगा। भारत बायोटेक ने कहा है कि ये ट्रायल रैंडम और डबल-ब्‍लाइंड हैं, ऐसे में अभी यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि विज को वैक्‍सीन की पहली डोज मिली भी थी या प्‍लेसीबो मिला था।

Covaxin पर केंद्र सरकार का भी आया बयान



कंपनी के बाद स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की तरफ से भी बयान जारी किया गया। मंत्रालय ने कहा कि 2 डोज मिलने के एक निश्चित अवधि के बाद ऐंटीबॉडीज डिवेलप होती हैं। विज को एक ही डोज मिली थी इसलिए उनमें कोविड के खिलाफ ऐंटीबॉडीज नहीं बनीं।

भारत बायोटेक ने अपनी सफाई में क्‍या कहा?

Covaxin के क्लिनिकल ट्रायल्‍स 2 डोज के शेड्यूल पर आधारित हैं जो 28 दिन के अंतराल पर दी जाती हैं। वैक्‍सीन की प्रभावोत्‍पादकता दूसरी डोज देने के 14 दिन बाद आंकी जाती है। Covaxin को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वह दोनों डोज मिलने के बाद असरदार होती है। फेज-3 ट्रायल्‍स डबल-ब्‍लाइंडेड और रैंडमाइज्‍ड हैं (जहां ट्रायल में शामिल) 50% पार्टिसिपेंट्स को वैक्‍सीन और 50% को प्‍लेसीओ दिया जाता है।
भारत बायोटेक का बयान

एक्सपर्ट्स से समझ‍िए, Covaxin ट्रायल पर इसका क्‍या असर

-covaxin-


Covaxin को लेकर कई सारी भ्रामक बातें सोशल मीडिया पर तैरने लगी हैं। कुछ एक्‍सपर्ट्स ने अपनी राय सामने रखी तो पता चला कि इनमें से अधिकतर आशंकाएं निर्मूल हैं। डॉक्‍टर्स Covaxin ट्रायल और विज के कोविड पॉजिटिव निकलने को लेकर जो कुछ भी कह रहे हैं, आइए आपको बताते हैं।

Covaxin ट्रायल में शामिल डॉक्‍टर से जानिए उनकी राय

ट्रायल के दौरान हर किसी को वैक्सीन का डोज नहीं दिया जाता है। मुझे वैक्सीन मिली है या प्लेसीबो मिला है, यह गुप्त रहता है। यह ट्रायल में हिस्सा लेने वाले और लगाने वाले को पता नहीं होता है। एक कोड के जरिए इसकी ट्रैकिंग की जाती है। यह कहना बिल्कुल गलत है कि उनको (अनिज विज) वैक्सीन लगाने के बाद कोरोना हुआ है। यह गलत मेसेज देता है। ट्रायल में आधे को टीका दिया जाता है और आधे लोगों को अन्य दवा दी जाती है। ऐसा यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि आधे लोगों पर वैक्सीन का क्या असर रहा है और बाकी में क्या असर हुआ। ट्रायल के आखिर में इस डेटा का विश्लेषण किया जाता है।
वैक्सीन ट्रायल में शामिल डॉक्टर एमसी मिश्रा

ICMR के पूर्व महामारी एक्‍सपर्ट से जानें क्‍या है सच

हम कभी भी यह नहीं कह सकते कि वैक्‍सीन फेल हुआ है। उसके दो कारण हैं। पहला तो यह कि अक्‍सर वैक्‍सीन ट्रायल प्‍लेसीबो कंट्रोल्‍ड ट्रायल होते हैं। ऐसा इसलिए करते हैं ताकि यह पता न लग सके कि किसे वैक्‍सीन दी गई और किसको नहीं दी गई। इसका वैक्‍सीन के नतीजों पर खासा असर होता है। दूसरी बात ज्‍यादातर वैक्‍सीन वन डोज की होती हैं लेकिन कुछ ऑर्गनिज्‍म ऐसे हैं जिनमें ज्‍यादा डोज की जरूरत पड़ती है। पोलियो में आप देखते हैं, कई बार वैक्‍सीन दी जाती है। (विज को) जब दूसरा डोज नहीं दिया है तो हमको यह समझना चाहिए कि बाद में पता भी चले कि उन्‍हें वैक्‍सीन वाला डोज दिया गया था तो भी इसमें अचरज नहीं होना चाहिए। उन्‍हें अधूरा डोज दिया गया था। यह सबको याद रखना है कि यह दो डोज की वैक्‍सीन है।
रमन गंगाखेड़कर, ICMR के पूर्व वैज्ञानिक

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