फैसला: FATF की ग्रे लिस्ट में ही बना रहेगा पाकिस्तान, इमरान खान को देखने होंगे और बुरे दिन – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • फाइनेंशिल एक्शन टॉस्क फोर्स ने पाकिस्तान को नहीं दी रियायत, ग्रे लिस्ट में बना रहेगा
  • एफएटीएफ ने माना- आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में फेल हुआ पाकिस्तान
  • जून 2018 में एफएटीफए ने ग्रे लिस्ट में डाला था, निकलने के लिए पाकिस्तान ने लगाया था खूब जोर

इस्लामाबाद
फाइनेंशिल एक्शन टॉस्क फोर्स की पेरिस में हुई ऑनलाइन बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखे जाने पर फिर से मुहर लग गई है। शुक्रवार शाम को जारी किए गए बयान में एफएटीफ ने बताया कि पाकिस्तानी सरकार आतंकवाद के खिलाफ 27 सूत्रीय एजेंडे को पूरा करने में विफल रही है। एफएटीएफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

पाकिस्तान के बचाव में उतरा तुर्की, नहीं गली दाल
एफएटीएफ की प्लेनरी में पाकिस्तान के बचाव के लिए तुर्की खुलकर बैटिंग करता दिखा। उसने सदस्य देशों से कहा कि हमें पाकिस्तान के अच्छे काम पर विचार करना चाहिए और 27 में 6 मानदंडों को पूरा करने के लिए थोड़ा और इंतजार करना चाहिए। लेकिन, एफएटीएफ के बाकी देशों ने तुर्की के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तुर्की, मलेशिया और सऊदी अरब से सहायता मांगी थी।

अमेरिका-फ्रांस समेत ये देश भी पाकिस्तान के खिलाफ
इसके अलावा नामित करने वाले चार देश-अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी पाकिस्तान की सरजमीं से गतिविधियां चला रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की उसकी प्रतिबद्धता से संतुष्ट नहीं हैं। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण को पूरी तरह रोकने के लिए कुल 27 कार्ययोजनाएं पूरी करने की जिम्मेदारी दी थी जिनमें से उसने अभी 21 को पूरा किया है और कुछ काम पूरे नहीं कर सका है।

ग्रे लिस्ट में बना रहा पाकिस्तान तो क्या होगा असर
अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की इस बैठक में भी ग्रे लिस्ट में बना रहता है तो उसकी आर्थिक स्थिति का और बेड़ा गर्क होना तय है। पाकिस्तान को अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्‍व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे पाकिस्तान की हालात और खराब हो जाएगी। दूसरे देशों से भी पाकिस्तान को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है। क्योंकि, कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है।

पाकिस्तानी जीडीपी का 90 फीसदी कर्ज!
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का सार्वजनिक ऋण इस साल जून तक बढ़कर 37,500 अरब पाकिस्तानी रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 90 प्रतिशत हो जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान सिर्फ इस साल ही कर्ज चुकाने पर 2,800 अरब रुपये खर्च करेगा जो संघीय राजस्व बोर्ड के अनुमानित कर संग्रह का 72 प्रतिशत है। दो साल पहले जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार सत्ता में आई थी, तब सार्वजनिक ऋण 24,800 लाख करोड़ रुपये था, जो तेजी से बढ़ रहा है।

शुरू हुई FATF की बैठक, ‘ग्रे लिस्ट’ में बना रहा पाकिस्तान तो क्या होगा असर?

2018 में डाला गया था ग्रे सूची में
पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था। अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली थी। पाक एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है। इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिली है।

FATF की ब्लैकलिस्ट से बचने के लिए ‘दोस्तों’ को साध रहा पाकिस्तान, तुर्की, मलेशिया और सऊदी से की बात

ईरान और उत्तर कोरिया पहले से हैं ब्लैकलिस्टेड
एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्ट में शामिल किए जाने पर पाकिस्तान को उसी श्रेणी में रखा जाएगा जिसमें ईरान और उत्तर कोरिया को रखा गया है और इसका मतलब यह होगा कि वह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे आईएमएफ और विश्व बैंक से कोई ऋण प्राप्त नहीं कर सकेगा। इससे अन्य देशों के साथ वित्तीय डील करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

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