नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव रहे और राज्यसभा सांसद सांसद अमर सिंह का शनिवार को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया, वो शुक्रवार को इस अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुए थे। साल 1990 के दशक में समाजवादी पार्टी और अमर सिंह एक दूसरे के पूरक माने जाते थे। अमर सिंह की गिनती देश के नामचीन उद्योगपतियों में होती थी। मगर समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह से जुड़ने के बाद उनकी भूमिका बदल गई, उनकी पहचान राजनीति के किंगमेकर के रूप में होती थी।
जीवन परिचय
अमर सिंह का जन्म 27 जनवरी 1956 को आजमगढ़ के तरवा इलाके में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम पंकजा कुमारी सिंह है। उनकी शादी 1987 में हुई थी। अमर सिंह की दो जुड़वा बेटियां है उनके नाम दृष्टि और दिशा सिंह हैं। अमर सिंह ने कोलकाता के स्कूल से पढ़ाई की थी।
वे कई राजनेताओं, उद्योगपतियों और फिल्मी सितारों के सबसे करीब लोगों में जो शुमार थे। अमिताभ बच्चन उन्हें अपना बड़ा भाई बताते थे वहीं मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी उन्हें छोटा भाई कहते थे। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और चंद्रशेखर से लेकर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव तक कई राजनेताओं के वे बहुत करीबी थे। अमिताभ बच्चन को दीवालिया होने से उन्होंने बचाया था। अनिल अंबानी को उत्तर प्रदेश में पॉवर प्रोजेक्ट लगाने में भी राजनीतिक मदद उन्होंने की।
2008 में भारत की अमेरिका के साथ सिविल न्यूक्लियर डील कराने और वाम दलों के समर्थन वापस लेने के बाद मनमोहन सिंह सरकार को बचाने तक में उनकी बड़ी भूमिका रही थी। यही नहीं 1999 में वाजपेयी सरकार के एक वोट से गिर जाने के बाद सोनिया गांधी के विदेशी मूल के सवाल पर उन्हें प्रधानमंत्री न बनने देने में भी अमर सिंह को रोल था।
पूर्वांचल के बाबू साहब थे अमर सिंह
अमर सिंह ने समय के साथ भले ही मुंबई में अपना ठिकाना बना लिया था मगर उनकी पहचान पूर्वांचल के बाबू साहब के तौर पर ही होती थी। उनका जन्म आजमगढ़ के तरवा इलाके में 27 जनवरी 1956 को हुआ था। समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद ठाकुर वोटरों के बीच एक बड़े नेता के रूप में उनकी पहचान था। अमर सिंह ने भले ही अपना लंबा जीवन महाराष्ट्र के मुंबई शहर में बिताया हो, लेकिन पूर्वांचल की सियासत में अमर का दखल इस बात से ही सिद्ध था कि वह 90 के दशक में यहां के रसूखदार वीर बहादुर सिंह और चंद्रशेखर जैसे नेताओं के सबसे करीबी लोगों में वो एक थे। वीर बहादुर सिंह के कारण ही अमर सिंह की भेंट मुलायम सिंह यादव से हुई थी।
समाजवादी पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे अमर
बड़े उद्योगपति और पूर्वांचल के रसूखदार ठाकुर नेता के रूप में पहचाने जाने वाले अमर सिंह कुछ सालों में मुलायम सिंह के खास बन गए थे। वो मुलायम के इतने खास बन गए कि उन्हें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद पर बैठा दिया गया। राजनीतिक जानकार कहतें है कि साल 2000 के आसपास अमर सिंह का समाजवादी पार्टी में दखल बढ़ा और टिकटों के बंटवारे से लेकर पार्टी के कई बड़े फैसलों में उन्होंने मुलायम के साथ प्रमुख भूमिका भी निभाई थी।
सत्ता के सबसे बड़े मैनेजर थे अमर सिंह
समाजवादी पार्टी (एसपी) के समर्थन से राज्यसभा जाने वाले अमर सिंह एक जमाने में सिर्फ एसपी ही नहीं, बल्कि पूरे यूपी की सत्ता के सबसे बड़े मैनेजर कहे जाते थे। यदि पार्टी किसी जगह पर फंसती थी तो उसको उस मझधार से निकालने का काम अमर सिंह के ही जिम्मे होता था। उन्होंने ही अखिलेश यादव की पढ़ाई लिखाई और अन्य जिम्मा भी संभाला था। मुलायम सिंह के परिवार में अमर सिंह की भूमिका कोई नहीं ले पाया था।
बॉलीवुड और राजनीति के सबसे बड़े कॉम्बिनेशन थे अमर सिंह
अमर सिंह सिर्फ एक नेता और उद्योगपति ही नहीं थे बल्कि वो बॉलीवुड के हीरो हीरोइनों और राजनीति के सबसे बड़े कॉम्बिनेशन के तौर पर भी जाने जाते थे। उन्होंने तमाम हीरो हीरोइनों को राजनीति से जोड़ा। राजनीतिज्ञ दुनिया के जानकार भी मानते थे कि अमर सिंह की बालीवुड के तमाम सितारों से खास रिश्ते हैं यदि बॉलीवुड की किसी हस्ती को कहीं बुलाना है तो अमर सिंह की मदद लेनी होगी।
मुलायम को सीएम तक कुर्सी तक पहुंचाने वाले थे अमर सिंह
ये भी कहा जाता है कि समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव को सीएम की कुर्सी तक पहुंचाने वाले अमर सिंह ही थे। वो 90 के दशक से ही यूपी के कद्दावर राजनीतिक चेहरों के रूप में जाने जाते थे। एक समय था जब अमर सिंह को मुलायम सिंह यादव का सबसे करीबी माना जाता था। उनको पार्टी में नंबर दो पोजिशन हासिल थी।
मुलायम सिंह के साथ जुड़ने के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के लिए बहुत काम किया। ये अमर सिंह ही थे जो अमिताभ बच्चन और उनके परिवार के सदस्यों को समाजवादी पार्टी के साथ जोड़ने में कामयाब हुए थे। ये पहला मौका था जब समाजवादी पार्टी के साथ अमिताभ बच्चन जैसे सुपर स्टार का नाम जुड़ा था। इसके बाद वो अन्य चेहरों को भी इस पार्टी के झंडे के नीचे ले आए थे। हालांकि साल 2010 में पार्टी के सभी पदों से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, कुछ दिनों के बाद जब संबंधों में तल्खी बढ़ी तो उन्हें पार्टी से भी बर्खास्त कर दिया गया।
फिर बना ली थी राष्ट्रीय लोकमंच लेकिन…
दो दशक तक पूर्वांचल की सियासत में बड़ी भूमिका निभाने वाले अमर को जब साल 2010 में समाजवादी पार्टी से निष्कासित किया गया तो उन्होंने पू्र्वांचल को अलग राज्य घोषित करने की मांग के साथ अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोकमंच का गठन किया। लोकमंच ने आजमगढ़ समेत पूर्वांचल के कई जिलों में बड़ी सभाएं भी की, लेकिन कोई खास असर नहीं दिखा सकी। उसके बाद अमर सिंह की तबियत पर भी असर पड़ा जिससे पार्टी बहुत अधिक गतिविधि नहीं कर पाई।
Posted By: Vinay Tiwari
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