भोपाल. राज्यसभा चुनाव नजदीक आते ही मध्यप्रदेश कांग्रेस में बगावत हो गई। डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, ये दोनों ही पद नहीं मिलने से ज्योतिरादित्य सिंधिया लंबे समय से नाराज थे। जब राज्यसभा चुनाव में उनकी दावेदारी पर भी कमलनाथ गुट ने अड़ंगा लगा दिया तो सिंधिया ने पार्टी ही छोड़ दी। इसके बाद सिंधिया समर्थक 22 कांग्रेस विधायकों ने भी विधानसभा सदस्यता से ही इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस नेताओं की नाराजगी को बगावत और इस्तीफों में बदल देने वाले राज्यसभा चुनाव पर ही अब सबकी नजर है। ताजा घटनाक्रम में स्पीकर और राज्यपाल की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई है।
1. राज्यसभा चुनाव 26 मार्च को, 3 सीटों के लिए वोटिंग
मध्य प्रदेश में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं। अभी भाजपा के पास 8 और कांग्रेस के पास 3 सीटें हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया का राज्यसभा में कार्यकाल 9 अप्रैल को पूरा हो रहा है। इन तीनों सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होना है। मध्य प्रदेश की 230 सदस्यों वाली विधानसभा में अभी 228 विधायक हैं। 2 विधायकों के निधन के बाद 2 सीटें खाली हैं,लेकिन मंगलवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ते ही पार्टी के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद विधानसभा की सीटों को लेकर दो स्थितियां बन रही हैं…
पहली स्थिति : अगर कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे मंजूर हुए
इस स्थिति में विधानसभा में सदस्यों की संख्या 206 हो जाएगी। राज्यसभा की सीट जीतने के लिए एक प्रत्याशी को 52 वोट की जरूरत होगी। भाजपा के पास 107 और कांग्रेस के पास समर्थकों को मिलाकर 99 वोट हैं। वोटिंग होने पर भाजपा को 2 सीटें आसानी से मिल जाएंगी। कांग्रेस को 1 सीट से संतोष करना होगा। साथ ही सरकार भी गिर जाएगी। भाजपा के 2 विधायक कमलनाथ के संपर्क में हैं। अगर इन्होंने क्रॉस वोटिंग की, तब भी कांग्रेस को फायदा नहीं होगा।
दूसरी स्थिति : अगर कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे मंजूर नहीं हुए तो
राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस व्हिप जारी करेगी। अगर कांग्रेस के 22 विधायकों ने मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लेकर क्रॉस वोटिंग की, तो स्पीकर उन्हें अयोग्य करार देने का फैसला कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में भी भाजपा को फायदा ही है। उसे राज्यसभा की 2 सीटें मिल जाएंगी। सरकार अल्पमत में रहेगी और कमलनाथ को इस्तीफा देना होगा। विधानसभा में सदस्यों की संख्या घटकर 206 रह जाएगी। ऐसे में भाजपा बहुमत का 104 का आंकड़ा आसानी से हासिल कर लेगी। राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग के दौरान अगर कांग्रेस के 22 विधायक गैर-हाजिर रहते हैं, तब भी कांग्रेस के व्हिप का उल्लंघन करने के चलते स्पीकर उन्हें अयोग्य घोषित कर सकते हैं।
2. स्पीकर के फैसले से पहले कमलनाथ के पास 26 मार्च तक का वक्त
स्पीकर एनपी प्रजापति को कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे पर फैसला करना है। कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस विधायकों के इस्तीफे मंजूर करने का मुद्दा अदालत तक जा पहुंचा था। अगर मध्य प्रदेश में भी ऐसा होता है तो मामला लंबा खिंच जाएगा। कमलनाथ के रुख से भी ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस इस मामले को लंबा खींचना चाहती है। लेकिन 26 मार्च को राज्यसभा चुनाव से पहले कमलनाथ को नाराज विधायकों को अपने पाले में लाना होगा। इस तरह उनके पास 15 दिन का वक्त है। चर्चा है कि कांग्रेस विधायक दल की मंगलवार शाम हुई बैठक के बाद सज्जन सिंह वर्मा और डॉ. गोविंद सिंह को बेंगलुरु भेजने का फैसला किया गया है।
3. राज्यपाल की भूमिका
दो तरह की स्थितियों में राज्यपाल लालजी टंडन की भूमिका रहेगी। पहली- अगर कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते ही भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश कर दे। ऐसी स्थिति में राज्यपाल कमलनाथ से फ्लोर टेस्ट का सामना करने को कह सकते हैं। दूसरी- अगर कमलनाथ इस्तीफा दे देते हैं तो राज्यपाल भाजपा से सरकार बनाने का दावा पेश करने को कहेंगे। भाजपा दावा पेश करती है तो राज्यपाल उससे विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहेंगे।
पढ़िए, मध्यप्रदेश में क्या कुछ हो रहा है…
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2. कांग्रेस में 19 साल रहे सिंधिया ने पार्टी छोड़ी, 4 घंटे के अंदर कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे
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4. राजनीति में मास्टरस्ट्रोक के लिए मशहूर है सिंधिया परिवार, 63 साल के सियासी सफर में 5 किरदार 5 पार्टियों में रहे
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Source: DainikBhaskar.com