मूवी रिव्यू- ‘रजाकार’:हैदराबाद में हुए नरसंहार पर आधारित,भारत के मजबूत व अटल‌ इरादों की एक अलग कहानी बयां करती है फिल्म

जब देश का बंटवारा हुआ तो जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद, ये तीन रियासत ऐसी थी जो देश में विलय होने से लगातार इनकार कर रही थी। फिल्म ‘रजाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ हैदराबाद’ देश की आजादी के समय हैदराबाद में हुए नरसंहार पर आधारित है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि हैदराबाद का भारत में विलय करवाने में सरदार पटेल ने अहम भूमिका निभाई थी। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार दी है। फिल्म की कहानी क्या है? फिल्म की कहानी 40 के‌‌ दशक की है जब भारत में आजादी का आंदोलन चरम पर था। एक लम्बी लड़ाई के बाद अंग्रेजो को भारत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। आजादी के बाद जहां कई रियासतें भारत में विलय के लिए तैयार थीं तो वहीं हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान की रिसायत भारत के साथ विलय के लिए राजी नहीं थी। भारत के साथ विलय की मांग करने वाली वहां के स्थानीय अवाम हिंदुओं के साथ क्रूर तरीके से पेश आ रही थी। हैदराबाद के निजाम का पाकिस्तान से हाथ मिलाने का खतरा भी सिर पर‌ मंडरा रहा था । इन हालात में भारत ने‌ कौन सा निर्णायक फैसला लेकर हैदराबाद के निजाम‌ को सबक सिखाया? कैसे सैन्य कार्रवाई कर हैदराबाद को भारत में विलय के लिए मजबूर किया गया? इसी ऐतिहासिक घटना को बड़ी बेबाकी के साथ फिल्म ‘रजाकार’ में दिखाया गया है। स्टार कास्ट की एक्टिंग कैसी है? इस फिल्म में हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान की भूमिका में मकरंद देशपांडे, सरदार पटेल की भूमिका में तेज सप्रू और राज अर्जुन, बॉबी सिम्हा वेदिका,अनूसुया भारद्वाज, इंद्रजा, सुब्बाराया शर्मा, अनुश्रिया त्रिपाठी ने अपनी भूमिका से पूरी तरह से न्याय की है। अगर फिल्म में कोई बड़ा स्टार होता है, तो यह फिल्म अलग ही लेबल पर होती। फिल्म के प्रोड्यूसर गुडूर नारायण रेड्डी इस फिल्म के लिए बॉलीवुड और साउथ सिनेमा के कई बड़े स्टार्स से बात की थी, लेकिन कोई स्टार्स इस फिल्म में काम करने के लिए राजी नहीं हुआ। फिल्म का डायरेक्शन कैसा है? फिल्म के डायरेक्टर यता सत्यनारायण ने एक ऐसे मुद्दे पर फिल्म बनाई है। जिसके बारे में किसी भी देश के नागरिकों के लिए समझना बहुत जरूरी है कि उनका देश किन कठिन परिस्थितियों से गुजरा है। यह फिल्म एक ऐसी घटना पर आधारित है, जो भारत के मजबूत व अटल‌ इरादों की एक अलग कहानी बयां करती है। दर्शकों को ना सिर्फ भारत के इतिहास से जुड़े एक बेहद महत्वपूर्ण अध्याय के बारे में पता चलेगा बल्कि एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में भारत के मजबूत इरादों की झलक भी इस फिल्म के जरिए‌ दिखाई गई है। फिल्म की कहानी के साथ – साथ टेक्निकल पक्ष का डायरेक्टर ने पूरा ध्यान दिया है। हालांकि फिल्म में हिंसा थोड़ी ज्यादा दिखाई गई है। फिल्म का म्यूजिक कैसा है? फिल्म का म्यूजिक थोड़ा सा कमजोर हैं, लेकिन कैलाश खेर का गाया गीत ‘ जिंदा है तू’ दिल को झकझोर देता है। फिल्म का BGM बहुत ही शानदार है। फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं? ‘रजाकार’ देखते वक्त अंत तक फिल्म में दिलचस्पी बनी रहती है। इस फिल्म को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखना और समझना जरूरी है। इसे बड़े पर्दे पर जरूर देखें।

Source: DainikBhaskar.com

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