EVM-VVPAT वेरिफिकेशन पर SC में सुनवाई जारी:प्रशांत भूषण बोले- फ्लैश मेमोरी री-प्रोग्राम हो सकती है, जस्टिस खन्ना ने कहा- EC पर भरोसा करना होगा

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकारी को बुलाया है। अदालत EVMs की कार्यप्रणाली को लेकर कुछ सवाल पूछना चाहती है। 18 अप्रैल को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने 5 घंटे वकीलों और चुनाव आयोग की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट रूम LIVE
चुनाव आयोग: तीनों युनिट CU, BU, वीवीपैट के अपने माइक्रो कंट्रोलर होते हैं। इन्हीं में लगे होते हैं। इनमें वन-टाइम प्रोग्राम होता है।
चुनाव आयोग: सभी माइक्रो कंट्रोलर वन टाइम प्रोग्राम होते हैं। बनाते समय ही ऐसी व्यवस्था की जाती है कि इन्हें बदला नहीं जा सकता है।
चुनाव आयोग: सिंबल लोडिंग यूनिट के बारे में आपने सवाल किया था। हमारे पास 1400 ऐसी मशीनें हैं और भेल के पास 3400 मशीनें हैं।
चुनाव आयोग: सभी मशीनें 45 दिन के लिए स्टोर की जाती हैं। 46वें दिन अगर को याचिका दाखिल की जाती है तो संबंधित हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को पत्र लिखा जाता है। तब तक मशीनें जमा रहती हैं।
प्रशांत भूषण: इस बात में शक है कि ईवीएम की प्रोसेसर चिप एक बार ही प्रोग्राम की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट: चुनाव आयोग ने इस शक पर स्पष्टीकरण दे दिया है।
प्रशांत भूषण: बनानेवालों ने RTI में जवाब दिया है कि चिप इस्तेमाल की गई थीं। हमने माइक्रो कंट्रोलर के बारे में वेबसाइट से जानकारी हासिल की है। इस माइक्रो कंट्रोलर में फ्लैश मोमोरी भी है। ऐसे में यह कहना कि माइक्रो कंट्रोलर को री-प्रोग्राम नहीं किया जा सकता है, ये गलत है। यही बात कम्प्यूटर एक्सपर्ट भी कहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट: इसीलिए हमने इनसे सवाल किया था। इन्होंने कहा कि इसे सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है।
प्रशांत भूषण: फ्लैश मेमोरी को हमेशा री-प्रोग्राम किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट: तकनीकी मामलों में हमें इलेक्शन कमीशन पर भरोसा करना होगा।
प्रशांत भूषण: इन्होंने माना है कि बैलट यूनिट से वीवीपैट और वीवीपैट से सिग्नल युनिट में सिग्नलिंग में समस्या है।
सुप्रीम कोर्ट: इस मामले को हमने समझ लिया है। उन्होंने कहा था कि फ्लैश मेमोरी कोई प्रोग्राम नहीं लोड की गई है। इसमें सिर्फ सिंबल यूनिट है।
प्रशांत भूषण: यानी स्टैंड यह है कि फ्लैश मेमोरी री-प्रोग्रामेबल नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट: यह ये बात नहीं कह रहे हैं। ये कह रहे हैं कि फ्लैश मेमोरी में कोई प्रोग्राम नहीं है, इसमें सिर्फ चुनाव निशान हैं। ये निशान अपलोड कर रहे हैं, कोई सॉफ्ट वेयर नहीं। जहां तक कंट्रोल यूनिट में माइक्रो कंट्रोलर का मामला है तो यह किसी पार्टी का नाम या कैंडिडेट का नाम नहीं पहचानता है। ये केवल बैलट यूनिट के बटन पहचानता है। बैलट यूनिट के बटन आपस में बदले जा सकते हैं। मैन्युफैक्चरर को यह पता नहीं होता है कि किस पार्टी को कौन सा बटन दिया जाना है।
सुप्रीम कोर्ट: ये कोई प्रोग्राम लोड नहीं करते। ये पार्टी सिंबल लोड करते हैं, जो इमेज फॉरमेट में होते हैं।
प्रशांत भूषण: अगर सिंबल के साथ कोई गलत प्रोग्राम लोड कर दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट: हम इसका ध्यान रखेंगे। हमने उनकी बातों को समझ लिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट को EC से क्या जवाब मांगे सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था- क्या वोटर्स को पर्ची नहीं दी जा सकती? 1. हमें तथ्यात्मक रूप से सही होना चाहिए। एक बात कि माइक्रो कंट्रोलर वीवीपैट में इंस्टॉल है या फिर कंट्रोलिंग यूनिट में? हमें बताया गया कि ये कंट्रोल यूनिट में हैं। यह भी कि वीवीपैट में फ्लैश मेमोरी है?
2. हम जानना चाहते हैं वो ये कि जो माइक्रो कंट्रोलर इन्स्टॉल है, क्या उसे सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है?
3. आपने सिंबल लोडिंग यूनिट का जिक्र किया था, ये कितनी संख्या में मौजूद हैं?
4. हमें बताया गया कि इलेक्शन पिटिशन की सीमा 30 दिन की है और डेटा 45 दिन के लिए स्टोर होता है। कानून के मुताबिक, सीमा 45 दिन की है और इसलिए डेटा स्टोरेज का वक्त भी बढ़ाया जाना चाहिए?
5. क्या कंट्रोल यूनिट ही सील की जाती है या फिर वीवीपैट को भी अलग रखा जाता है? याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े ने पैरवी की। प्रशांत भूषण एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से पेश हुए। चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट मनिंदर सिंह और केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद थे। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या वोटिंग के बाद वोटर्स को VVPAT से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती है। इस पर चुनाव आयोग ने कहा- वोटर्स को VVPAT स्लिप देने में बहुत बड़ा रिस्क है। इससे वोट की गोपनीयता से समझौता होगा और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल दूसरे लोग कैसे कर सकते हैं, हम नहीं कह सकते।

Source: DainikBhaskar.com

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