लंदन से लौटीं इकरा बोलीं-मैं किसी से नहीं डरती:भाजपा वालों को हम पहले भी हरा चुके हैं, टिकट के लिए नाम जयंत ने आगे बढ़ाया

लंदन से पढ़कर लौटीं इकरा हसन कैराना में गली-गली कैंपेन कर रही हैं। एक दिन में करीब 10 किमी. से ज्यादा पैदल चलती हैं। भावुक होकर मंच से रोने लगती हैं। कभी बच्चों की एजुकेशन और युवाओं की नौकरी को लेकर बड़े-बड़े दावे करती हैं। सधे हुए पॉलिटिशियन की तरह भाजपा सांसद प्रदीप चौधरी को घेरती हुई भी दिखती हैं। वह कहती हैं, “मैं किसी से न डरती हूं, न किसी से डरना सीखा है। भाजपा वालों को हम पहले भी हरा चुके हैं और इस बार भी हराएंगे।” हसन परिवार की बेटी से भास्कर रिपोर्टर ने खास बातचीत की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू। सवाल : आपको टिकट कैसे मिला? परिवार के नाम पर या आपने खुद एफर्ट किया?
जवाब : टिकट के लिए जयंत चौधरी ने मेरा नाम आगे बढ़ाया था। अखिलेश यादव की उसमें सहमति थी। शायद इसमें परिवार भी एक बड़ा फैक्टर है। क्योंकि मैं जिस प्लेटफॉर्म पर अभी हूं, वो अपने पिताजी की बदौलत हूं। शायद उन्होंने मेरी मेहनत देखी हो, क्योंकि मैं लगातार क्षेत्र में घूम रही थी। सवाल : टिकट देने से पहले अखिलेश यादव ने आपसे बातचीत की?
जवाब : हमारी उनसे लगातार बातचीत चल रही थी। उन्होंने मुझ में उम्मीद जगाई कि आप क्षेत्र में रहकर मेहनत करो। गठबंधन में हमारी सीट राष्ट्रीय लोकदल पर जाने की चर्चा थी। उस दौरान जयंत चौधरी ने मुझे काफी सहारा दिया था और कहा था कि आपको ही लड़ाएंगे। सवाल : राहुल गांधी के भविष्य को लेकर आपकी क्या राय है?
जवाब : राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के समय से संघर्ष करके दिखाया है, हमने पहली बार ऐसा देखा। हम इतिहास की किताबों में पढ़ा करते थे। जिस तरह से गांधी जी ने यात्रा की थी। वैसी पहल राहुल गांधी ने की है। इससे देश में जुड़ाव महसूस हुआ है। मुझे उम्मीद है कि इसका प्रभाव हमें चुनाव में भी देखने को मिलेगा। सवाल : आपको लगता नहीं कि अखिलेश कन्फ्यूज हैं? बार-बार टिकट बदल रहे हैं?
जवाब : जी नहीं, ऐसा नहीं है। टिकट बहुत सोच समझकर दिया जाता है। हमारी बड़ी पार्टी है। बहुत सारे लोग दावेदारी करते हैं। हमारी सीट पर भी कई लोग दावेदार थे। इससे यही साबित होता है कि वो बहुत सोच-विचार करके और पार्टी के प्रमुख कार्यकर्ताओं का मान-सम्मान रखते हुए टिकट दे रहे हैं। सवाल : पॉलिटिक्स में आपका आइडियल कौन है? डिंपल यादव को लेकर क्या कहेंगी?
जवाब : मेरे आइडियल मेरे पिताजी हैं। उनकी विचारधारा और राजनीति करने का जो तरीका है, उसी से मैं सीख लेकर उन्हीं की सोच को आगे बढ़ाना चाहती हूं। डिंपल यादव हमारी पार्टी की दिग्गज नेता हैं। वो सौम्य व्यवहार के साथ सॉफ्ट पॉलिटिक्स कर रही हैं। मैं उससे प्रभावित हूं। मेरी सोच भी उनसे काफी मिलती-जुलती है। सवाल : जयंत चौधरी के NDA में शामिल होने से सपा को पश्चिम में क्या नुकसान होगा?
जवाब : यहां विचारधारा की लड़ाई है। भाजपा किसान हित की पार्टी नहीं है। यहां के लोग ये बात अच्छे से जानते हैं। पार्टियों का मेल हुआ है, लेकिन दिलों का मेल अभी तक नहीं हुआ है। अभी तक जो किसानों की विचारधारा है, वो भाजपा के खिलाफ है। मुझे लगता है कि ये विचारधारा अभी रहेगी, क्योंकि सरकार ने उनकी किसी समस्या का निस्तारण अभी नहीं किया है। मुझे नहीं लगता कि सभी लोग वहां पर जाएंगे। हो सकता है कि कुछ लोग जाएं, लेकिन बड़ी तादाद में हमारे साथ ही रहेंगे। सवाल : आपने विदेश में पढ़ाई की है। कैराना के जमीनी मुद्दों को कैसे समझेंगी?
जवाब : मैं 2021 से लगातार कैराना में हूं। लोगों के बीच जा रही हूं। एक साल मैंने अपने बड़े भाई की विधायकी का कार्यकाल देखा। उस दौरान मुझे काफी अनुभव हुआ। बहुत कुछ सीखने को मिला। इसलिए जमीन पर रहकर 3 साल से जनता के मुद्दों को समझ चुकी हूं। सवाल : कैराना में भाजपा पलायन मुद्दा उठा रही है। आपके क्या मुद्दे हैं?
जवाब : भाजपा का मुद्दा 2017 से चल रहा है। यहां की जनता इस मुद्दे को 2 बार नकार चुकी है। अब ये मुद्दा नहीं है। हमारा मुद्दा भाईचारा और विकास का है। इसी मुद्दे को लेकर हम जनता के बीच जा रहे हैं। सवाल : भाजपा के पास राम मंदिर और लॉ एंड ऑर्डर जैसे मुद्दे हैं। इनका कितना असर होगा?
जवाब : जनता पर इन मुद्दों का कोई असर नहीं है। जनता 2 बार नेशनल चेहरों पर वोट देकर देख चुकी है। हमारी सीट में बदहाली छाई हुई है। क्योंकि लोकल नेता इलाके में जाते ही नहीं हैं। वो सिर्फ मोदी के नाम पर वोट लेते हैं। इस बार जनता इसके प्रभाव से बाहर होकर लोकल मुद्दों पर स्थानीय और सही जनप्रतिनिधि का चयन करने जा रही है। इस बार यहां पर बाहरी मुद्दे नहीं हैं। सवाल : विधानसभा-2022 में भाई नाहिद के लिए प्रचार किया। अब खुद मैदान में हैं। दोनों चुनाव में कितना फर्क लग रहा है?
जवाब : बहुत फर्क है दोनों चुनाव में। ये चुनाव बहुत कठिन है। क्योंकि ये चुनाव 5 गुना ज्यादा बड़ा है। बहुत बड़ा क्षेत्रफल है। 150 किलोमीटर की लोकसभा है। 5 विधानसभा हैं। किसी और के लिए वोट मांगना और अपने लिए वोट मांगना, दोनों में बहुत फर्क होता है। मुझ पर काफी प्रेशर है। लेकिन उम्मीद है कि इतने सालों से मेरे जो काम रहे हैं, लोग उन पर यकीन करेंगे। सवाल : विपक्ष का आरोप है कि हार से बचने के लिए मंच पर रोकर ‘इमोशनल कार्ड’ खेल रहीं हैं?
जवाब : मैं रो नहीं रही हूं। वो एक भावुक क्षण था मेरे लिए। मेरे पिताजी अब इस दुनिया में नहीं हैं। मैं विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हूं। उसमें वो एक भावुक पल था। मैं न किसी से डरती हूं, न किसी से डरना सीखा है। हम सिर्फ ऊपरवाले से डरते हैं। भाजपा वालों को तो हम पहले भी हरा चुके हैं और इस बार भी हराएंगे। सवाल : पीएम मोदी और सीएम योगी को 10 में कितने नंबर देगी? आपका फेवरेट पीएम कौन हैं?
जवाब : मैं उन्हें नंबर देने वाली कौन होती हूं। ये तो जनता उन्हें नंबर देगी। सभी पूर्व में जो प्रधानमंत्री रहे हैं, उन्होंने देश के लिए कुछ न कुछ योगदान जरूर दिया है। मैं कोई नंबर चूज नहीं करूंगी। (स्टोरी में सहयोग : श्रवण पंडित, शामली)

Source: DainikBhaskar.com

Related posts