पुष्पा, KGF और 12th फेल जैसी फिल्में क्यों हैं सफल:मनोज बाजपेयी ने बताई वजह; बोले- लोग हीरोज को जीतते देखना चाहते हैं

मनोज बाजपेयी ने बताया कि आखिर पुष्पा, KGF और 12th फेल जैसी फिल्मों को लोग क्यों पसंद कर रहे हैं। मनोज ने कहा कि आज हमारे देश के लोग काफी होपलेस हैं। शायद वे जो चाहते हैं, वो उन्हें नहीं मिल पा रहा है। मनोज ने कहा कि जिन फिल्मों में हीरो की जीत दिखाई जा रही है, ऐसी फिल्मों से लोग कनेक्ट हो रहे हैं। लोग इन फिल्मों के हीरो में खुद को देख रहे हैं। मनोज बाजपेयी ने कहा कि 12th फेल जैसी फिल्म लोगों को यह एहसास दिला रही है कि कभी न कभी वे भी अपने जीवन में सफल हो जाएंगे। मनोज ने कहा- लोग दुखी हैं, वे जो चाहते हैं नहीं मिल रहा है
मनोज बाजपेयी ने राज शमानी से बात करते हुए कहा- कहीं न कहीं आज हिंदुस्तान के लोग दुखी हैं। शायद इसलिए क्योंकि वे जो चाह रहे हैं वो उन्हें मिल नहीं पा रहा है। ऐसी कंडीशन में लोग पुष्पा के अल्लू अर्जुन और KGF के यश में खुद को देख रहे हैं। लोग ऐसे ही हीरोज की तलाश में हैं, जो अंत में जीत जाते हैं। 12th फेल इसलिए हिट रही क्योंकि लोगों को लगता है कि जैसे फिल्म का हीरो अंत में सफल होता है, वैसे ही एक दिन उन्हें भी सफलता मिल जाएगी। जाहिर है कि 12th फेल IPS मनोज शर्मा की स्ट्रगल पर बनी फिल्म है। बचपन से उनके जीवन में तमाम दिक्कतें आती हैं। कोचिंग के लिए भी पैसे नहीं रहते हैं। फिर भी सपनों को पूरा करने के लिए दिन रात एक कर देते हैं। अंत में सफलता मिल ही जाती है। विक्रांत मैसी ने फिल्म में IPS मनोज शर्मा का किरदार निभाया है। जो फिल्में समय के दस्तूर को समझती हैं, लोग उन्हें देखते हैं
मनोज ने आगे कहा- आज हम ऐसी स्टेज में हैं, जहां लोग होपलेस हो गए हैं। समाज हमेशा परिवर्तनशील रहता है। लोग हर जेनरेशन में ऐसे हीरोज की तलाश करते हैं, जिनमें वे खुद को देख पाएं। जो फिल्में समय के हिसाब से रिलेवेंसी बेस्ड होती हैं, लोग उन फिल्मों को देखना पसंद करते हैं। जो फिल्में समय के दस्तूर को समझती हैं, उसे ऑडियंस मिल ही जाती है। मनोज बाजपेयी ने हाल ही में दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में अपनी फिल्मों और सीरीज पर बात की थी। मनोज बाजपेयी की एक्टिंग के अलावा फिल्मों और सीरीज में उनकी गालियां भी बड़ी फेमस हैं। उनके इस फ्रस्टेट अवतार को लोग पसंद भी करते हैं। हालांकि स्क्रीन पर गालियां देने में मनोज को कोई आनंद नहीं आता है। उन्हें तो ऐसा करना अच्छा भी नहीं लगता है। मनोज ने कहा कि स्क्रिप्ट की डिमांड ही ऐसी रहती है कि उन्हें ऐसे शब्दों का प्रयोग करना पड़ता है। पूरी खबर पढ़ें..

Source: DainikBhaskar.com

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