पूजा भट्ट ने ट्रोलर्स को दिया जवाब:बोलीं- वो गाली देखर अटेंशन पाना चाहते हैं, नेपोटिज्म पर कहा- मेरे साथ 8 नई लड़िकयों ने काम किया

पूजा भट्ट हाल ही में अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई वेब सीरीज ‘बिग गर्ल्स डोंट क्राई’ में नजर आई हैं। सीरीज में पूजा भट्ट बोर्डिंग स्कूल की प्रिंसिपल का किरदार निभाती दिखाई दी हैं। इसी बीच पूजा भट्ट ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग करने वालों को भी जवाब दिया है। उनका कहना है कि कुछ लोग अटेंशन के भूखे हैं। यही वजह है कि वो गलत तरह के कमेंट करके लोगों का अटेंशन पाना चाहते हैं। इसके अलावा पूजा ने नेपोटिज्म जैसे बड़े मुद्दे पर भी खुलकर बात की है। नेपोटिज्म पर बोलीं पूजा भट्ट पूजा इंडस्ट्री में नेपोटिज्म शब्द सुन-सुनकर थक चुकी हैं। उन्होंने कहा कि मेरी इसी सीरीज में एक नहीं बल्कि 8 नई लड़कियों को ब्रेक मिला है। वो सभी लड़कियां अलग-अलग जगह और कल्चर से हैं। इसमें नेपोटिज्म कहां है? अपने पिता महेश भट्ट की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि वो हमेशा से नए लोगों को मौका देते आए हैं। इसलिए मेरी फैमिली पर नेपोटिज्म को लेकर कोई उंगली नहीं उठा सकता है। पूजा ने कहा मुझे स्टार मेरे पिता ने नहीं, दर्शकों ने बनाया है। उनका मानना है कि अगर मैं आज भी काम कर रही हूं तो दर्शकों की वजह से ही कर रही हूं। ये दर्शकों का प्यार है कि मुझे 52 साल की उम्र में भी काम मिल रहा है। इंडस्ट्री के लोगों के लिए उनका कहना है कि अगर आप क्रिटिसिज्म एक्सेप्ट नहीं कर पा रहे हैं, तो तारीफ भी एक्सेप्ट ना करें। क्रिटिसिज्म हो या तारीफ पूजा हर चीज के लिए खुद को तैयार रखती हैं। उन्होंने कहा- हर किसी की लाइफ में कुछ मोरल एथिक्स होने चाहिए। अपनी बात रखने की ताकत होनी चाहिए। मेरे लिए भट्ट साहब (पिता महेश भट्ट) सबसे बढ़कर हैं, लेकिन अगर मैं उनकी किसी बात से सहमत नहीं हूं, तो ये बात मैं उन्हें बताऊंगी। मैं उनकी हां में हां नहीं मिला सकती हूं, और भट्ट साहब इसकी रिस्पेक्ट करते हैं। उन्होंने बताया कि हम सभी एक साथ रहते हैं, लेकिन मेरे घर में सभी को अपना ओपिनियन रखने का पूरा हक है। वहीं सोसाइटी आपको कुछ कंडीशन के साथ अपना पक्ष रखने की छूट देती है। जेंडर देखकर किसी को काम नहीं देना चाहिए- पूजा भट्ट पूजा से पूछा गया कि क्या इंडस्ट्री में फीमेल एक्ट्रेस और डायरेक्टर्स को मेल की तुलना में बराबर मौका मिलता है? इसपर पूजा ने कहा- मेरी लाइफ में सबसे बड़े फेमिनिस्ट मेल ही रहे हैं, तो ऐसा कहना सही नहीं होगा। कई बार पुरुष आपकी भावनाएं महिलाओं से ज्यादा समझते हैं। उनका मानना है कि जेंडर देखकर काम नहीं दिया जाना चाहिए। काम उसी को मिलना चाहिए, जो उसका सही हकदार हो। पूजा को ये देखकर खुशी होती है कि आज के जमाने में सेट पर बहुत सी महिलाएं मौजूद होती हैं। उन्होंने कहा- मेरे जमाने में सेट पर मुश्किल से 3 या 4 महिलाएं ही होती थीं। उस समय सेट पर 99% पुरुष ही होते थे। पूजा ने कहा कि भले ही सेट पर इतने पुरुष होते थे। लेकिन उन्होंने कभी भी पूजा को अनकंफर्टेबल महसूस नहीं कराया। ट्रोलिंग करने वालों को पूजा ने जवाब दिया सोशल मीडिया पर होने वाली ट्रोलिंग पर पूजा भट्ट ने कहा कि ये बहुत कॉमन हो गया है। उन्होंने कहा- ये पता चल जाता है कि कौन जानबूझकर ट्रोल करने की कोशिश कर रहा है। कई बार 100 में 99 अच्छे कमेंट आते हैं। लेकिन कुछ लोग हैं जिन्होंने अपना मन बना लिया है कि आप जितना मर्जी अच्छा कर लें। वो वहीं कमेंट करेंगे जो उन्होंने पहले से सोचा है। पूजा ने कहा- ट्रोलिंग अक्सर वही लोग करते हैं, जिनको अपनी खुद की जिंदगी में अटेंशन नहीं मिलता है। वो लोग अटेंशन पाने के लिए ऐसा करते हैं। शायद ये करके वो फेम पाना चाहते हैं। लेकिन मैं यहां किसी को फ्यूल देने के लिए नहीं हूं। आपको जैसे ट्रोलिंग करनी है कीजिए। ये आपकी असलियत दिखाता है, मेरी नहीं। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पूजा ने कहा कि लोग सोशल मीडिया का मिसयूज कर रहे हैं। ए्क्ट्रेस का कहना हैं कि अगर आपको किसी की एक्टिंग या काम नहीं पसंद आया है, तो आप उसी मुद्दे पर कमेंट करिए। पूजा का मानना है कि वो गंदे शब्द इसलिए करते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि उसपर सभी का ध्यान जाएगा। आखिर में उन्होंने कहा कि दुनिया में लोगों के पास बहुत सी समस्याएं हैं। सोशल मीडिया यूज कीजिए लेकिन दूसरे लोगों के साथ भी अच्छे से पेश आइए। बोर्डिंग स्कूल में पढ़ना चाहती थीं पूजा भट्ट अपने किरदार के बारे में बात करते हुए पूजा ने बताया कि वो हमेशा से बोर्डिंग स्कूल जाना चाहती थीं। उनका सपना था कि वो हॉस्टल लाइफ का अनुभव लें। उन्हें पहले कभी मौका नहीं मिला कि वो इसे एक्सपीरियंस कर सकें। लेकिन अब, उन्होंने इस सीरीज में प्रिंसिपल का किरदार निभाकर हॉस्टल लाइफ को महसूस किया है। पूजा का मिजाज बचपन से ही शरारती रहा है। उन्होंने बताया कि वो जिस स्कूल मे पढ़ती थीं। वहां सभी बच्चों को एक जैसा ट्रीट किया जाता था। कौन किसका बेटा या बेटी है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। लेकिन वो काफी शरारती थीं इसलिए उनका ज्यादा समय कॉरिडोर में पनिशमेंट काटते हुए गुजरता था। एक्ट्रेसेस को खुलकर बोलने की इजाजत नहीं होती थी पूजा ने बताया कि उनके करियर के शुरुआती दौर से ही उन्हें रिबेलियस होने का टैग दे दिया गया था। आज भी ये टैग उनके साथ है। उन्होंने कहा- पहले एक्ट्रेसेस के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था। कई लोग आकर हमें समझाते थे कि अगर स्टार बनना है, तो अपना ओपिनियन देना बंद करना होगा। आप लोगों के सामने अपना कोई पर्सनल ओपिनियन नहीं रख सकते हैं। आपको दुनिया के सामने ये खुलकर बताने की जरूरत नहीं है कि आप कौन या क्या सोचते हैं। पूजा ने कहा- मैंने इन बातों पर उतना ध्यान नहीं दिया। क्योंकि मैं महेश भट्ट की बेटी हूं। मैंने उनसे सीखा है कि आप जैसे हैं, वैसे ही दुनिया के सामने दिखाएं। वो आपको एक्सेप्ट करें या ना करें ये आपकी प्रॉब्लम नहीं है। इंडस्ट्री में अपनी बात बेखौफ तरीके से रखना बहुत बड़ी बात है। इसके लिए बहुत हिम्मत की जरूरत होती है। इसपर पूजा का कहना है कि बेबाकी से अपनी बात रखने का हुनर उनकी ब्लडलाइन में है। उन्होंने शुरू से ही अपना रोल मॉडल उन लोगों को ही बनाया है, जो निडर होकर अपनी बात रखना जानते थे।पूजा कहती हैं- मैं हमेशा से उन लोगों को सुनना पसंद करती थी, जो अपनी हिम्मत ही नहीं बल्कि कमजोरी के बारे में भी खुलकर बात करते थे। मैंने हमेशा ऐसे लोगों से प्रेरणा ली है। रिजेक्शन पर बात करते हुए पूजा ने कहा कि आज लोग खुद पर ही इतना संदेह करते हैं, कि 50 सेल्फी लेकर उसमें से एक फोटो पोस्ट करते हैं। लोग अपनी असलियत खुद एक्सेप्ट नहीं करना चाहते हैं। क्योंकि उन्हें रिजेक्शन से डर लगता है। पूजा का मानना है कि जिसे आप अपनी कमजोरी मानते हैं वही आपकी सबसे बड़ी खासियत है। राइटर्स को इंडस्ट्री में कम वैल्यू दी जाती है- पूजा भट्ट पूजा कहती है कि हमारी इंडस्ट्री में राइटर्स को वो वैल्यू नहीं दी जाती है, जितनी वो डिजर्व करते हैं। उन्होंने कहा- एक अच्छी फिल्म बनाने के लिए सबसे जरूरी राइटिंग है। इसके बाद स्टोरी को डायरेक्टर एक अच्छा रूप देता है। लेकिन फिल्में जब हिट होती हैं, तो एक्टर्स को लगने लगता है कि उनकी वजह से हिट हुई है। लेकिन इसमें कई लोगों का योगदान होता है। वो चाहती है कि राइटिंग और स्क्रीनप्ले में महिलाओं को और आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं ये नहीं कहती हूं कि सहानुभूति केवल महिलाओं की जागीर है। पुरुषों का भी इसपर समान हक है। पूजा की हालिया सीरीज के लिए उन्हें काफी सराहना मिल रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में वो नए और चैलेंजिंग रोल करना चाहेंगी। 17 साल की उम्र में किया था डेब्यू पूजा ने फिल्म ‘डैडी’ (1989) से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इसे उनके पिता महेश भट्ट ने डायरेक्ट किया था। तब पूजा सिर्फ 17 साल की थीं। इस फिल्म में उन्हें काफी बोल्ड अंदाज में पेश किया गया था, फिल्म के लिए पूजा को फिल्मफेयर न्यू फेस ऑफ द ईयर का अवॉर्ड मिला था। 1991 में आई पूजा की फिल्म ‘दिल है की मानता नहीं’ उनके करियर की सबसे हिट फिल्म रही। आमिर खान स्टारर इस फिल्म के जरिए उन्होंने दर्शकों की वाहवाही बटोरी। संजय दत्त के साथ 1991 में आई ‘सड़क’ में उनकी एक्टिंग सराही गई। पूजा की आखिरी फिल्म 2001 में रिलीज ‘एवरीबडी सेज आई एम फाइन’ थी। 2004 में फिल्म ‘पाप’ से उन्होंने डायरेक्शन में कदम रखा। 1996 में उन्होंने पूजा भट्ट प्रोडक्शन कंपनी खोली, इसके तहत ‘तमन्ना’ रिलीज हुई।

Source: DainikBhaskar.com

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