दिल्ली-जयपुर प्लान से चुना जाएगा राजस्थान का सीएम
दरअसल, अभी सचिन पायलट दिल्ली पहुंचे हैं, उधर जयपुर में गहलोत हैं लेकिन उनके सपोर्ट में आए विधायक अब धीरे-धीरे छिटकने लगे हैं। ऐसे में दिल्ली-जयपुर (DJ) प्लान के जरिए राजस्थान में सीएम पद को लेकर पार्टी नेतृत्व किसी फैसले पर पहुंच सकता है। जिसमें दिल्ली पहुंचे पायलट की केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात में आगे रणनीति साफ हो सकती है। हालांकि, पायलट के करीबी सूत्रों के मुताबिक, दिग्गज नेता निजी काम से दिल्ली गए हैं और इसका मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम से कुछ लेना देना नहीं है।
ऐसे शुरू हुआ राजस्थान में सियासी खेला
इसी बीच पायलट ने मीडिया के एक वर्ग में आई उन खबरों का खंडन किया है कि उनकी मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर पार्टी आलाकमान से बात हुई है। पायलट ने ट्वीट कर इस खबर को ‘असत्य’ बताया। राजस्थान में सियासी पारा तब चढ़ा जब कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार रात को मुख्यमंत्री आवास पर होनी थी, लेकिन गहलोत के वफादार कई विधायक बैठक में नहीं आए। उस समय संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर बैठक की। फिर वहां से वे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से मिलने चले गए थे। गहलोत ने पहले एआईसीसी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। आलाकमान के निर्देश के बाद गहलोत 28 सितंबर को नामांकन दाखिल करने वाले थे। इसी बीच यह खेला हो गया। 92 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को त्याग पत्र सौंप दिए। इस हरकत से नाराज आलाकमान ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए गहलोत के बजाय दूसरे नाम पर विचार करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, आलाकमान केसी वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह समेत अन्य नेताओं के नाम पर विचार कर रहे हैं।
फिर कमजोर पड़ने लगा गहलोत खेमा
गहलोत समर्थित कई विधायक अब हाईकमान के फैसले के पक्ष में आ गए हैं। रविवार को जिन विधायकों ने शांति धारीवाल और महेश जोशी के कहने पर इस्तीफे दिए थे। वे विधायक अब गहलोत गुट से छिटकने लगे हैं। रविवार शाम को बगावत की बैठक में शामिल होने वाले विधायक इंदिरा मीणा, जितेन्द्र सिंह, मदन प्रजापत और संदीप यादव ने 24 घंटे के भीतर अपना विचार बदल दिया। इनका कहना है कि वे हाईकमान के फैसले के साथ हैं। मदन प्रजापत ने तो साफ कह दिया कि सचिन पायलट को अगर मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
अब गहलोत के मंत्री भी बोले- आलाकमान का हर फैसला मंजूर
कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास और महेश जोशी ने आक्रामक रुख अख्तियार किया था। हालांकि, सोमवार को सोनिया गांधी की ओर से नाराजगी जताने के बाद सभी के तेवर ढीले पड़ गए। शांति धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास और महेश जोशी सहित कई विधायक सरेंडर की मुद्रा में आ गए हैं। एक-एक कर बयान देने लगे हैं कि उन्हें आलाकमान का हर फैसला मंजूर है। हैरानी इस बात की है कि जब इन्हें आलाकमान का फैसला मंजूर ही है तो मुख्यमंत्री पर फैसला लेने का अधिकार हाईकमान को देने वाले प्रस्ताव पर तीन शर्तें क्यों रखी? पहले तो दिल्ली से आए पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़के और अजय माकन के सामने शर्तें रख दी। अब हाईकमान के हर आदेश को मानने की बात कहने लगे हैं।